पैसे नहीं घर पर, हम यहां फंसे है, ये हैं बिहार में रह रहे कश्मीरियों का हाल

राजधानी पटना में बीते डेढ़ महीने यानी जब से देश में लॉकडाउन हुआ है तब से जम्मू-कश्मीर से आये लगभग 17-18 लोग फंसे हुए हैं। बिहार की राजधानी पटना में ये सभी एक किराए के मकान में रह रहे हैं।

Update: 2020-05-07 13:35 GMT

नई दिल्ली: राजधानी पटना में बीते डेढ़ महीने यानी जब से देश में लॉकडाउन हुआ है तब से जम्मू-कश्मीर से आये लगभग 17-18 लोग फंसे हुए हैं। बिहार की राजधानी पटना में ये सभी एक किराए के मकान में रह रहे हैं। ये लोग हर साल जम्मू-कश्मीर से छोटा-मोटा धंधा करने अक्टूबर-नवंबर महीने में बिहार आते हैं। फिर लगभग 4 महीनों तक कश्मीरी शॉल और गर्म कपड़े बेचने के बाद ये सभी अपने-अपने घर जम्मू-कश्मीर लौट जाते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण ये लोग बुरी तरह से फंस गए हैं। ऐसे में इनकी आर्थिक स्थिति भी डग-मगा गई है। इनमें से सबसे अधिक लोग जम्मू कश्मीर के अनन्तनाग के रहने वाले हैं जबकि कुछ लोग जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से भी हैं।

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घरवालों के पास उसके इलाज के लिए पैसे भी नहीं

जम्मू के अनन्तनाग के मोहम्मद असलम अपने बेटे को लेकर बहुत परेशान हैं। मोहम्मद असलम कहते हैं कि उनका 7 साल का बेटा बीमार है और घरवालों के पास उसके इलाज के लिए पैसे भी नहीं हैं।

इसके बाद जब वो अनन्तनाग पहुंचेंगे तभी उनके बेटे का इलाज संभव हो पाएगा। मोहम्मद असलम जैसी ही बुरी हालत श्रीनगर के रहने वाले मोहम्मद मुश्ताक की भी है, जिनके पिता जी की तबीयत ज्यादा खराब है और वह अस्पताल में भर्ती हैं।

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साथ ही मुश्ताक अपना दर्द बताते हुए फूट फूटकर रो पड़ते हैं। मुश्ताक कहते है कि हम लोग बेहद गरीब हैं और हमारे अलावा परिवार में कोई दूसरा कमानेवाला भी नहीं है। ऐसे में अगर हम श्रीनगर अपने घर नही पहुंचते हैं तो इलाज के अभाव में उनके पिता की जान भी जा सकती है।

जहां हो वहीं चुपचाप रहो, नहीं तो दूसरे झंझट में पड़ जाओगे

इन हालातों में जम्मू कश्मीर के रहने वाले ये सभी बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मदद मांग रहे हैं कि सरकार उन्हें उनके प्रदेश जम्मू कश्मीर भेज दे।

मोहम्मद असलम और मुहम्मद शफी कहते हैं कि बीते हफ्ते भर से वो थाने का चक्कर लगाकर और अधिकारियों को फोन कर करके थक गए हैं लेकिन उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है केवल अधिकारी और पुलिसवाले यही कहते हैं कि लॉकडाउन है। जहां हो वहीं चुपचाप रहो, नहीं तो दूसरे झंझट में पड़ जाओगे। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उम्मीद की रही है कि वो जरूर उनकी फरियाद सुनेंगे।

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