अर्थशास्त्र का नोबेल: इन दो महान शख्स को मिला पुरस्कार, इस पर किया शोध
नीलामी सिद्धांत या ऑक्शन थ्योरी (Auction Theory) का इस्तेमाल करते हुए, शोधकर्ता बोली लगाने और अंतिम कीमतों के लिए विभिन्न नियमों के परिणामों को समझने की कोशिश करते हैं। यह विश्लेषण मुश्किल है, क्योंकि उपलब्ध जानकारी के आधार पर बोली लगाने वाले रणनीतिक व्यवहार करते हैं।
नई दिल्ली: देश और विदेश में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नये सिद्धांतों को प्रतिपादित करने के लिए शोधकर्ताओं को नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा जाता है। इस साल नोबेल पुरस्कार पॉल आर मिलग्रो और रॉबर्ट बी विल्सन को दिया गया है। मिलग्रो और विल्सन को यह पुरस्कार ऑक्शन थ्योरी (नीलामी सिद्धांत) में सुधार और नीलामी के नए तरीकों का आविष्कार करने के लिए दिया गया है। बता दें कि नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को इस साल के छठे और अंतिम पुरस्कार विजेताओं का एलान किया।
खोज से विक्रेता, खरीदार और करदाताओं को लाभ पहुंचा
बता दें कि मिलग्रोम और विल्सन दोनों अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं। दोनों शोधकर्ताओं ने नीलामी की प्रक्रिया के सिद्धांतों पर अध्ययन किया कि नीलामी कैसे काम करती है। उन्होंने ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के लिए (जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी) नए नीलामी प्रारूपों को तैयार किया, जिन्हें पारंपरिक तरीके से बेचना मुश्किल है। उनकी खोजों से दुनियाभर के विक्रेता, खरीदार और करदाताओं को लाभ पहुंचा है।
नीलामी सिद्धांत विश्लेषण मुश्किल
नीलामी सिद्धांत या ऑक्शन थ्योरी (Auction Theory) का इस्तेमाल करते हुए, शोधकर्ता बोली लगाने और अंतिम कीमतों के लिए विभिन्न नियमों के परिणामों को समझने की कोशिश करते हैं। यह विश्लेषण मुश्किल है, क्योंकि उपलब्ध जानकारी के आधार पर बोली लगाने वाले रणनीतिक व्यवहार करते हैं। वे दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हैं कि वे खुद क्या जानते हैं और उनके हिसाब से अन्य बोली लगाने वाले क्या जानते हैं।
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सामान्य मूल्य वाली वस्तुओं की नीलामी का सिद्धांत
विल्सन ने एक सामान्य मूल्य वाली वस्तुओं की नीलामी के लिए सिद्धांत विकसित किया। इसके अनुसार एक मूल्य जो पहले से अनिश्चित होता है लेकिन अंत में सभी के लिए समान रहता है। विल्सन ने दिखाया कि तर्कसंगत बोली लगाने वाले क्यों अपने सामान्य मूल्य के अपने सर्वश्रेष्ठ अनुमान से नीचे बोलियां लगाते हैं। वे विजेता होने के नुकसान के बारे में चिंतित होते हैं। अर्थात, ज्यादा भुगतान करने और इससे होने वाले नुकसान की उन्हें चिता रहती है।
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में काम करते हैं
मिलग्रोम और विल्सन दोनों अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं। इन्होंने अध्ययन किया कि नीलामी कैसे काम करती है। उन्होंने ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के लिए (जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी) नए नीलामी प्रारूपों को तैयार किया, जिन्हें पारंपरिक तरीके से बेचना मुश्किल है। उनकी खोजों से दुनियाभर के विक्रेता, खरीदार और करदाताओं को लाभ पहुंचा है।
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नीलामी सिद्धांत या ऑक्शन थ्योरी (Auction Theory) का इस्तेमाल करते हुए, शोधकर्ता बोली लगाने और अंतिम कीमतों के लिए विभिन्न नियमों के परिणामों को समझने की कोशिश करते हैं। यह विश्लेषण मुश्किल है, क्योंकि उपलब्ध जानकारी के आधार पर बोली लगाने वाले रणनीतिक व्यवहार करते हैं। वे दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हैं कि वे खुद क्या जानते हैं और उनके हिसाब से अन्य बोली लगाने वाले क्या जानते हैं।
सामान्य मूल्य वाली वस्तुओं की नीलामी के लिए सिद्धांत
विल्सन ने एक सामान्य मूल्य वाली वस्तुओं की नीलामी के लिए सिद्धांत विकसित किया। इसके अनुसार एक मूल्य जो पहले से अनिश्चित होता है लेकिन अंत में सभी के लिए समान रहता है। विल्सन ने दिखाया कि तर्कसंगत बोली लगाने वाले क्यों अपने सामान्य मूल्य के अपने सर्वश्रेष्ठ अनुमान से नीचे बोलियां लगाते हैं। वे विजेता होने के नुकसान के बारे में चिंतित होते हैं। अर्थात, ज्यादा भुगतान करने और इससे होने वाले नुकसान की उन्हें चिता रहती है।