ओडिशा में सरकारी सिस्टम का निकला 'जनाजा', अब पिता ने ढोई बेटी की लाश

Update: 2016-09-03 00:52 GMT

भुवनेश्वरः ओडिशा के कालाहांडी में दाना माझी के अपनी पत्नी की लाश कंधे पर लेकर चलने के बाद मचे हो-हल्ले के थोड़ा शांत होते ही वैसी ही एक और तस्वीर सामने आई है। ताजा मामला मलकानगिरी का है। यहां एक पिता को अपनी सात साल की बेटी का शव हाथों में लेकर छह किलोमीटर चलना पड़ा। बताया जा रहा है कि एंबुलेंस ड्राइवर ने उन्हें रास्ते में ही उतार दिया था। कुल मिलाकर कहा यही जा सकता है कि राज्य में सरकारी सिस्टम का 'राम नाम सत्य' हो गया।

क्या है मामला?

सात साल की आदिवासी बरसा खोमडू की उस वक्त मौत हो गई, जब एंबुलेंस से उसे मिथाली हॉस्पिटल से मलकानगिरी हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था। लड़की के पिता ने बताया कि एंबुलेंस ड्राइवर को जब पता चला कि उनकी बेटी मर गई है, तो उसने एंबुलेंस सड़क किनारे रोकी और उनसे उतर जाने को कहा। उतरने के बाद छह किलोमीटर दूर तक उन्हें पैदल ही चलना पड़ा।

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ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर

स्थानीय लोगों ने जब उन्हें बेटी की लाश हाथों में ले जाते देखा तो पूछताछ की। सारी घटना पता चलने पर ग्रामीणों ने स्थानीय बीडीओ से बात की और लाश ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी। घटना की जानकारी जिले के कलेक्टर के. सुदर्शन को भी दी गई। सुदर्शन ने सीएमओ से घटना की जांच करने को कहा है। साथ ही एंबुलेंस के ड्राइवर के खिलाफ थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई है।

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पहले भी हुईं दो घटनाएं

बता दें कि इससे पहले कालाहांडी के रहने वाले आदिवासी दाना माझी को 'महापारायण योजना' के तहत सरकारी एंबुलेंस न मिलने की वजह से अपनी बीवी की लाश कंधे पर ढोकर ले जानी पड़ी थी। इसे लेकर खूब हो हल्ला मचा था। साथ ही बरहमपुर में भी एंबुलेंस न मिलने पर एक महिला की लाश के पैर तोड़कर गठरी बना दिया गया था। उस गठरी को ले जाते रिश्तेदारों की फोटो भी वायरल हुई थी।

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