अब मिलेंगे कटहल के जूस और चॉकलेट

भारतीय उपमहाद्वीप में तकरीबन 5,000 वर्षों से कटहल हमारे भोजन का हिस्सा बना हुआ है। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना 1.74 मिलियन टन कटहल का उत्पादन होता है।

Update: 2020-07-03 10:22 GMT

नई दिल्ली: भारतीय उपमहाद्वीप में तकरीबन 5,000 वर्षों से कटहल हमारे भोजन का हिस्सा बना हुआ है। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना 1.74 मिलियन टन कटहल का उत्पादन होता है। कटहल में भरपूर पोषक तत्व होते हैं और इसे कच्चा और पका दोनों तरह से खाया जा सकता है। अब आप इस कटहल का मज़ा जूस, चॉकलेट और कुकीज़ के रूप में भी ले सकते हैं।

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च

बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआऱ) ने कटहल से एक एंजाइम- क्लेरफाइ रेडी-टू-ड्रिंक पेय बनाया है। उन्होंने बीज और गूदे से आटा निकालने के लिए एक विधि भी विकसित की है, जिसे बिस्कुट और चॉकलेट में शामिल किया जा सकता है।

आईआईएचआर के सीके नारायण कहते हैं कि तीन साल की रिसर्च के बाद, हमने कटहल के पल्प का उपयोग करके एक रेडी-टू-ड्रिंक पेय बनाने के लिए एक प्रक्रिया विकसित की है। इस प्रक्रिया में विभिन्न एंजाइमों का उपयोग किया जाता है।

सीके नारायण के नेतृत्व वाली टीम ने तीन उत्पाद लॉन्च किए

सीके नारायण के नेतृत्व वाली टीम ने तीन उत्पाद लॉन्च किए हैं- हलासुरस जो बिना चीनी और प्रिज़र्वेटिव वाला एक पेय है। हलासुरस की शेल्फ लाइफ छह महीने की है। इसमें चीनी या प्रिजर्वेटिव नहीं है इसलिए अन्य जूस और ड्रिंक से यह बेहतर है।

जैकी, जोकि गेहूं के आटे और कटहल के बीज के आटे के मिश्रण से बनी अत्यधिक पौष्टिक बिस्कुट हैं। इसे बनाने के लिए 40% रिफाइंड आटा या मैदा की जगह कटहल के बीज का आटा इस्तेमाल किया गया है। रिफाइंड आटा या मैदा से बनी कोई भी चीज़ ग्लूटन से भरी होती है और इसमें पोषक तत्व कम होता है, जबकि कटहल के आटे में स्टार्च, फाइबर होता है और इसमें कैंसर-रोधी गुण होते हैं।

और चॉकलेट जो कटहल के बीज के आटे और फलों के आटे का मिश्रण है और जिसे सामान्य चॉकलेट से कवर किया गया है। जैकोलेट समान्य चॉकलेट की तरह ही है लेकिन तुलनात्मक रूप से यह बेहतर है। इसमें 5-6% प्रोटीन है और फैट और कैलोरी कम होते हैं।

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प्रयोगशाला ट्रायल पूरा होने के बाद, दक्षिण कन्नड़ में खाद्य प्रसंस्करण कंपनी नित्या फूड्स ने आईआईएचआऱ के साथ सहयोग किया और वर्तमान में कटहल के बीज के आटे से चपातियाँ बना रही है। जूस और आटा तैयार करने की तकनीक, कटहल से खाद्य उत्पाद विकसित करने की इच्छा रखने वाली अन्य खाद्य कंपनियों को भी दी जाएगी।

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