One Nation-One Election: एक देश-एक चुनाव पर कमेटी की अहम बैठक आज, आगे के रोडमैप पर किया जाएगा मंथन

One Nation-One Election:कमेटी की पहली बैठक परिचयात्मक होगी और इसके बाद 'एक देश- एक चुनाव' के मुद्दे को लेकर आगे के रोडमैप पर मंथन किया जाएगा।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-09-23 08:44 IST

Former President Ramnath Kovind (PHOTO: social media )

One Nation-One Election: पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मोदी सरकार की ओर से गठित कमेटी की पहली बैठक आज होगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हाल के दिनों में 'एक देश-एक चुनाव' का मुद्दा काफी चर्चाओं में रहा है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि कमेटी की पहली बैठक परिचयात्मक होगी और इसके बाद 'एक देश- एक चुनाव' के मुद्दे को लेकर आगे के रोडमैप पर मंथन किया जाएगा। बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि कमेटी के लिए तय किए गए एजेंडे पर कैसे आगे बढ़ा जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समय-समय पर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने पर जोर देते रहे हैं। इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से गठित कमेटी की बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कोविंद के अलावा कमेटी में सात सदस्य

केंद्र सरकार की ओर से 'एक देश-एक चुनाव' की दिशा में ठोस पहल करते हुए गत दो सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी को देश में एक साथ चुनाव कराने की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

कमेटी में अध्यक्ष के अलावा सात अन्य सदस्यों के रूप में गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी, वरिष्ठ राजनेता गुलाम नबी आज़ाद, एनके सिंह, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी को शामिल किया गया है।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आमंत्रित अतिथि के रूप में बैठक में हिस्सा लेंगे। कानूनी मामलों के विभाग के सचिव नितेन चन्द्र उच्चस्तरीय समिति के सचिव के रूप में जिम्मेदारी निभाएंगे।

अधीर रंजन का कमेटी में शामिल होने से इनकार

मोदी सरकार की ओर से इस उच्चस्तरीय समिति के सदस्य बनाए गए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कमेटी से किनारा कर लिया है। उन्होंने इस बाबत गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था जिसमें कमेटी में शामिल होने से इनकार किया गया था। इस पत्र में उन्होंने कमेटी के गठन को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। दूसरी ओर केंद्र सरकार का इस बाबत कहना था कि चौधरी की सहमति मिलने के बाद ही उन्हें कमेटी का सदस्य बनाया गया था।

पीएम मोदी देते रहे हैं इस मुद्दे पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का जिक्र किया था। उसके बाद वे समय-समय पर यह मुद्दा उठाते रहे हैं। भाजपा के अन्य नेता भी अपने भाषणों में इस मुद्दे का जिक्र करते रहे हैं। इसके पीछे पैसे की काफी बचत होने का तर्क दिया जाता रहा है। पिछले दिनों इस बाबत की गई एक स्टडी की रिपोर्ट भी जारी हुई थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि लोकसभा से लेकर पंचायत स्तर तक के चुनाव में करीब 10 लाख करोड़ रुपए का खर्च होने का अनुमान है। वहीं सभी चुनाव एक साथ या एक सप्ताह के भीतर कराने की स्थिति में खर्चे में तीन से पांच लाख करोड़ रुपए की बचत की जा सकती है।

आम सहमति बन पाना मुश्किल

देश में जल्द ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम शामिल हैं। इन सभी चुनावी राज्यों में विभिन्न सियासी दलों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। प्रत्याशियों के नामों का ऐलान भी शुरू हो गया है।

ऐसी स्थिति में यदि सरकार इस मुद्दे को लेकर सचमुच गंभीर है तो उसे जल्द बिल लाना होगा। अब सबकी निगाहें 'एक देश-एक चुनाव' के लिए गठित कमेटी की बैठक पर लगी हुई है। अब यह देखने वाली बात होगी कि कमेटी की ओर से इस बाबत रूपरेखा कब तक तैयार की जाती है।

एक ओर केंद्र सरकार की ओर से पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया जाता रहा है तो दूसरी ओर विपक्षी दल इसे संघीय ढांचे पर हमला बताते रहे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना काफी मुश्किल माना जा रहा है।

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