खतरे में बैंक अकाउंट, नहीं समझे तो खाली हो जाएगा खाता
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हैकर्स की वेबसाइट पर जो जानकारी डाली गई है, उसमें 98 फीसदी जानकारी भारतीयों की है। यहां तक कि 18 फीसदी जानकारी तो एक ही बैंक के हैं। हालांकि, इस बैंक के नाम का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है।
नई दिल्ली: आज के इस समय में पूरी दुनिया डिजिटल की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन जहां लोगों को इससे आसानी होती है, तो वहीं इससे खतरा भी बहुत ज्यादा है। खबर है कि देश में करीब 12 लाख डेबिट और क्रेडिट कार्ड का डेटा लीक हो गया है। यह डेटा ऑनलाइन बेचा भी जा रहा है।
डार्कनेट मार्केट प्लेस पर बेचा जा रहा डेटा
दरअसल, सिंगापुर स्थित एक ग्रुप आईबी सुरक्षा अनुसंधान की टीम ने डार्क वेब पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के विवरण के एक बड़े डेटाबेस का पता लगाया है। इन कार्ड्स की डीटेल को Joker’s Stash नाम के डार्कनेट मार्केट प्लेस पर बेचा जा रहा है। 'INDIA-MIX-NEW-01' के रूप में डब किए गए डेटा दो संस्करणों में उपलब्ध हैं - ट्रैक-1 और ट्रैक-2।
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बता दें कि ट्रैक-1 डेटा में सिर्फ कार्ड नंबर ही होता है जो कि सामान्य बात है जबकि ट्रैक-2 डेटा में कार्ड के पीछ स्थित मैग्नेटिक स्ट्रिप की डीटेल होती है। इसमें ग्राहक की प्रोफाइल और लेनदेन की सारी जानकारी होती है।
98 फीसदी जानकारी भारतीयों की है
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हैकर्स की वेबसाइट पर जो जानकारी डाली गई है, उसमें 98 फीसदी जानकारी भारतीयों की है। यहां तक कि 18 फीसदी जानकारी तो एक ही बैंक के हैं। हालांकि, इस बैंक के नाम का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है।
बता दें कि 2016 में भी इसी तरह का एक डेटा ब्रीच हुआ था जब करीब 32 लाख डेबिट कार्ड का विवरण चोरी हो गया था। इसमें यस बैंक, आईसीआईसीआई, एसबीआई सहित कई दूसरे बैंक शामिल थे। बाद में इन्होंने अपने ग्राहकों को दूसरा कार्ड जारी किया था।
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गौरतलब है कि इसी को ध्यान में रखते हुए दो साल पहले आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया था कि वे मैग्नेटिक स्ट्रिप के बजाय ईएमवी बेस्ड चिप कार्ड्स का प्रयोग करें। ध्यान रहे कि इसी साल फरवरी में करीब 20 लाख अमेरिकी कार्ड का भी डेटा चोरी होने की खबर आई थी।
इससे कैसे बचें :
1. अपना ओटीपी किसी को भी न शेयर करें।
2. कभी भी कोई गैर ऐसा मैसेज आये जिस पर आपको फ्राड की आशंका हो उस पर तुरंत शिकायत करें।
3. कोई फोन पर आपकी जानकारी मांगे तो उसे भी कभी न शेयर करें।
4. डेटा चोरी उन जगहों से होती है जहां डाउनलोड किया गया। साइबर कैफे में आधार या फिर अन्य दस्तावेज डाउनलोड किए हैं तो रिसाइकिल बिन से भी डिलीट कर दें।
5. मिलते-जुलते नाम वाले ऐप से बचें। गूगल प्ले स्टोर पर ऐप डाउनलोड करने से पहले उसकी रेटिंग देखें। रेटिंग 4 या अधिक होनी चाहिए।