Jharkhand Political Crisis: ‘ऑपरेशन लोट्स’ की आहट से सत्तारूढ़ खेमे में हड़कंप, विधायकों को शिफ्ट करने की तैयारी

Jharkhand Political Crisis: राजभवन से निकलकर हेमंत सोरेन जब ईडी के साथ जा रहे थे, तब उनके चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था। उन्हें लगा कि उनका काम हो गया लेकिन रांची के ताजा सियासी हालत बताते हैं कि मामला फंस गया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2024-02-01 09:13 GMT

Jharkhand Political Crisis   (photo: social media )

Jharkhand Political Crisis: झारखंड में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। सोरेन पहले ही भांप चुके थे कि उनकी गिरफ्तारी हो सकती है, इसलिए उन्होंने कुछ घंटों के लिए गायब होकर आगे की रणनीति बनाई और उसके साथ रांची पहुंचे। यहां उन्होंने पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की जिद छोड़ते हुए अपने विश्वासपात्र कैबिनेट सहयोगी चंपई सोरेन की ताजपोशी का मार्ग प्रशस्त किया। बीजेपी की कोई चाल कामयाब न हो, इसलिए वो बुधवार रात राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंपा और लगे हाथ चंपई सोरेन से नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कराया।

राजभवन से निकलकर हेमंत सोरेन जब ईडी के साथ जा रहे थे, तब उनके चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था। उन्हें लगा कि उनका काम हो गया लेकिन रांची के ताजा सियासी हालत बताते हैं कि मामला फंस गया है। बदले सियासी माहौल में राजभवन की अहमियत बढ़ गई है और उस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। सरकार बनाने के लिए तैयार बैठी जेएमएम, कांग्रेस और राजद राज्यपाल के बुलावे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

‘ऑपरेशन लोट्स’ की आहट से सत्तारूढ़ खेमे में हड़कंप

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की खामोशी से परेशान वरिष्ठ जेएमएम नेता चंपई सोरेन की बेचैनी बढ़ती जा रही है। उन्होंने राज्यपाल पर हमला बोलते हुए कहा कि राजभवन को नींद से जागना चाहिए और उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। इन सबके बीच ‘ऑपरेशन लोट्स’ की आहट से सत्तारूढ़ खेमे में हड़कंप मचा हुआ। सभी विधायकों को रांची के सर्किट हाउस में रखा गया है, जहां बाहर दो ट्रैवलर और एक बस खड़ी है।

खबरों के मुताबिक, एक चार्टर प्लेन को भी तैयार रखा गया है। राजभवन से आमंत्रण न मिलने की सूरत में कम से कम 35 विधायकों को बेंगलुरू या हैदराबाद शिफ्ट कर दिया जाएगा। ये दोनों राज्य कांग्रेस शासित हैं। वहीं, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान राजनीतिक हालत पर चर्चा के लिए कल विधायक दल की मीटिंग बुलाई है। गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि चंपई सोरेन के पास बहुमत नहीं है।

हेमंत सोरेन के साथ बैठक में सीता सोरेन, रामदास सोरेन जैसे जेएमएम विधायकों के अलावा कई कांग्रेस नेता भी शामिल नहीं हुए थे। हालांकि, उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि बीजेपी किसी भी सूरत जेएमएम के किसी भी गुट के साथ सरकार नहीं बनाएगी। दरअसल, हेमंत की भाभी सीता सोरेन ने बुधवार को खुलेआम कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने का विरोध किया था, जिससे सोरेन परिवार में छिड़ा अंदरूनी घमासान खुलकर बाहर आ गया।


हेमंत सोरेन के समर्थन में उतरे विपक्ष के दिग्गज

इंडिया ब्लॉक में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन में इंडिया ब्लॉक के दिग्गज मैदान में उतर गए हैं। हेमंत सोरेन की तरह ईडी की कार्रवाई का सामना कर रहे पड़ोसी राज्य बिहार के राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने केंद्र पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, झारखंड की लोकप्रिय सरकार के जनप्रिय आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को केंद्र की तानाशाह सरकार प्रताड़ित कर रही है। भाजपा के यह घिनौने हथकंडे अल्प समय के लिए परेशान तो कर सकते हैं पर पिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और हाशियों पर रहने वाले समूहों के संकल्प और महत्वाकांक्षाओं को पराजित नहीं कर सकते। भाजपा का डर जग-ज़ाहिर है और जनता भी यह बात अब समझ चुकी है। हम मजबूती से हेमंत के साथ हैं।


इसी प्रकार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन ने भी केंद्र को आड़े हाथों लेते हुए राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया। उन्होंने एक्स पर ईडी की कार्रवाई को अपमानजनक और शर्मनाक बताते हुए लिखा, किसी भी आदिवासी नेता को परेशान करने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करना एक निचला स्तर है। इस कृत्य से हताशा और सत्ता के दुरुपयोग की बू आती है।


वहीं, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा, झारखंड में भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ रहा है। झारखंड के साहसी योद्धा हेमंत सोरेन जी भाजपा के आदिवासियों और आदिवासी क्षेत्रों की रक्षा के लिए सदैव वचनबद्ध रहे हैं और भाजपाई भ्रष्ट राजनीतिज्ञों व पूंजीपतियों के सामने इसलिए दीवार बनकर खड़े रहे, जिससे झारखंड को शोषण से बचाया जा सके। इसीलिए उनके साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया जा रहा है। ये झारखंड के जनमत का अपमान है। इसीलिए हर एक झारखंड निवासी इस बार भाजपा के ख़िलाफ़ वोट डालेगा और भाजपा को ऐतिहासिक पराजय की सामना करना पड़ेगा।

झारखंड विधानसभा में सीटों का गणित

झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 48 सीटें हैं। इसमें झामुमो 29, कांग्रेस 17, राजद एक और माले एक शामिल है। जबकि विपक्षी एनडीए के पास 32 विधायक हैं। इसमें बीजेपी 26, आजसू 3, निर्दलीय 2 और एनसीपी(एपी) एक शामिल है। एक सीट रिक्त है। बता दें कि राज्य में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होंगे और इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

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