Opposition Meeting: विपक्षी दलों की बड़ी बैठक आज, NDA के खिलाफ बनेगी संयुक्त रणनीति, PM चेहरे व सीट शेयरिंग पर चर्चा नही
Opposition Meeting Today: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर हो रही इस बैठक पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि इस बैठक से बड़ा सियासी संदेश निकलने वाला है।
Opposition Meeting Today: आखिरकार इंतजार की घड़ियां खत्म हो गई हैं। कई बार टलने के बाद पटना में आज विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए तमाम सियासी दिग्गज पटना पहुंच चुके हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष की महाबैठक में आज बड़ी रणनीति बनाने की तैयारी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर हो रही इस बैठक पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि इस बैठक से बड़ा सियासी संदेश निकलने वाला है।
बैठक के आयोजन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आज की बैठक के दौरान एनडीए के खिलाफ साझा रणनीति पर मंथन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व और सीट शेयरिंग से जुड़े सवालों पर चर्चा होने की संभावना नहीं है। इन दोनों मुद्दों को फिलहाल नजरअंदाज करने की तैयारी है। सियासी जानकारों का मानना है कि इन मुद्दों पर चर्चा से मामला शुरुआत में ही अटक सकता है। इसलिए इन मुद्दों को फिलहाल टालने की तैयारी है। बैठक के दौरान विपक्षी एकजुटता को मजबूत बनाने के लिए एक आधारभूत रूपरेखा तैयार की जा सकती है।
दिग्गज नेताओं का पटना में जमावड़ा
पटना में हो रही इस महत्वपूर्ण बैठक में करीब 16 सियासी दलों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। बैठक में हिस्सा लेने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती, भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और आप सांसद संजय सिंह आदि गुरुवार को ही पटना पहुंच गए।
बैठक में इन नेताओं के अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, एनसीपी के मुखिया शरद पवार,तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन,समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, भाकपा नेता डी राजा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य प्रमुख विपक्षी चेहरे भी हिस्सा लेंगे। पटना में इन सभी नेताओं की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं।
ममता की लालू और नीतीश से मुलाकात
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को पहुंचने के तत्काल बाद राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से मुलाकात की। इस दौरान बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। लालू यादव के किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद ममता की उनसे यह पहली मुलाकात थी।
लालू यादव से मुलाकात के बाद ममता के सर्किट हाउस पहुंचने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलने के लिए पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच विपक्ष की बैठक के संबंध में 15 मिनट तक चर्चा हुई। बाद में नीतीश कुमार ने भाकपा माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य से मुलाकात करके विपक्ष की रणनीति पर मंथन किया।
एकजुटता की रूपरेखा होगी तैयार
बैठक के आयोजन से जुड़े एक प्रमुख विपक्षी नेता ने बताया कि आज की बैठक को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए विपक्ष की एकजुटता की मजबूत शुरुआत के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की बैठक के दौरान विपक्ष की एकजुटता को मजबूत बनाने के लिए आधारभूत रूपरेखा तैयार की जा सकती है। बैठक के दौरान विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग और विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा होने की कोई संभावना नहीं है। इस तरह के सवालों को अभी नजरअंदाज किया जाएगा।
विपक्ष के मुद्दों पर भी होगी चर्चा
सूत्रों के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए विपक्षी दल एकजुटता की राह पर चल पड़े हैं। विपक्षी एकजुटता की राह में बाधा बनने वाले अन्य सवालों को बाद में सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।
आज की बैठक के दौरान भाजपा की घेराबंदी के लिए विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। मणिपुर हिंसा को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा जा सकता है।
केजरीवाल के रुख पर सबकी निगाहें
बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बैठक से पूर्व ही बयान दिया था कि पटना की बैठक में सबसे पहले चर्चा केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली के संबंध में लाए गए अध्यादेश पर होगी। केजरीवाल इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष के कई बड़े नेताओं के साथ चर्चा कर चुके हैं। केजरीवाल और आप के अन्य नेता इस मुद्दे पर कांग्रेस के रुख से सबसे ज्यादा नाराज हैं। कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया है। केजरीवाल की कोशिशों के बावजूद मलिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन्हें मुलाकात का समय तक नहीं दिया।
केजरीवाल ने गुरुवार को कांग्रेस के रुख को लेकर बैठक का बायकॉट करने तक की चेतावनी दे डाली थी। हालांकि बाद में वे गुरुवार की शाम पटना पहुंच गए। केजरीवाल पटना तो पहुंच गए हैं मगर उनका सारा जोर इस मुद्दे पर विपक्ष का समर्थन जुटाना होगा। ऐसे में सबकी निगाहें कांग्रेस के रुख पर होंगी। अगर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केजरीवाल का साथ नहीं दिया तो केजरीवाल अलग राह भी चुन सकते हैं।
पीएम पद के चेहरे को लेकर सवाल
विपक्ष की इस महत्वपूर्ण बैठक की से पहले भाजपा की ओर से विपक्ष के पीएम चेहरे को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी का कहना है कि बराती तो जुट गए हैं मगर दूल्हे का कोई अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि बिना दूल्हे की इस बरात का कोई मतलब नहीं है। दूसरी ओर विपक्ष के नेताओं की दलील है कि प्रधानमंत्री पद का मुद्दा चुनाव के बाद भी सुलझाया जा सकता है। नीतीश कुमार और शरद पवार की ओर से भी यही तर्क दिया जा रहा है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के चेहरे से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल विपक्ष की एकजुटता है। नेतृत्व के सवाल को चुनाव के बाद मिल बैठकर तय किया जा सकता है। अब यह देखने वाली बात होगी कि आज की बैठक के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के अन्य दिग्गज नेता क्या बड़ा सियासी संदेश देने में कामयाब हो पाते हैं।