Coromandel Express Accident: क्या रेल मंत्री के इस्तीफे से कुछ बदलेगा?
Coromandel Express Accident Update: विपक्ष के इस्तीफे की मांग के बीच ही भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नैतिक आधार पर इस्तीफा देना ही समस्या का उचित समाधान होगा? शायद नहीं। क्योंकि जरूरत है सुरक्षा के लिए बनाई गई योजनाओं को तेजी से लागू करने की।
Coromandel Express Accident: दो जून को ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 288 हो चुकी है। दिल-दहला देने वाले हादसे में करीब 1200 यात्री घायल हुए हैं जिनमें से 300 से ज्यादा अस्पताल में भर्ती हैं। हादसे से सभी दुखी हैं और लापरवाही पर नाराज भी। हादसे के बाद भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि हाल के वर्षों में रेलवे ने किराया तो बढ़ाया है लेकिन उसे रेलयात्रियों की सुरक्षा की चिंता नहीं है। विपक्षी दल केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। घटनास्थल पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे रेल मंत्री ने कहा कि इस तरह के हादसे दोबारा न हों इसकी कोशिश की जाएगी। इस बीच सोशल मीडिया पर भी हैशटैग IStandwithAshwiniVaishnaw टॉप ट्रेंड कर रहा है। बड़ी संख्या में लोग उनका समर्थन कर रहे हैं।
विपक्ष के निशाने पर सरकार
समाजवादी पार्टी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि हादसे (Coromandel Express Accident) के लिए मंत्री से लेकर कंपनी तक सब जिम्मेदार हैं। जांच के बाद दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने भीषण दुर्घटना की उच्चस्तरीय व समयबद्ध तरीक से जांच की मांग उठाई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री और रेल मंत्री से पूछने के लिए हमारे पास बहुत सवाल हैं, लेकिन पहले जरूरत बचाव और राहत कार्य की है। तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि सरकार वंदे भारत एक्सप्रेस और नए बने रेलवे स्टेशन खूब दिखा रही है लेकिन सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज कर रही है। रेल मंत्री को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। कई और दलों के नेताओं ने रेलमंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
बीजेपी सरकार ने रेल को चौपट कर दिया: लालू यादव
तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्ष के नेताओं की जासूसी पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन ऐसे हादसे रोकने के लिए ट्रेनों में एंटी कॉलिजन डिवाइस लगाने की जरूरत को नजर अंदाज कर रही है। कांग्रेस नेता अधीरंजन चौधरी ने कहा कि सरकार बुलेट ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस में निवेश कर रही है, लेकिन जिस भारतीय रेलवे से रोजाना औसतन 25 लाख यात्री सफर करते हैं, उस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। रेल को चौपट कर दिया है।
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वर्ष 1995 से लेकर अब तक हुए हादसे: फोटो
क्या रेलमंत्री के इस्तीफे से बात बन जाएगी?
विपक्ष के इस्तीफे की मांग के बीच ही भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नैतिक आधार पर इस्तीफा देना ही समस्या का उचित समाधान होगा? शायद नहीं। क्योंकि जरूरत है सुरक्षा के लिए बनाई गई योजनाओं को तेजी से लागू करने की। केंद्र सरकार ने अपने बजट में रेल हादसों को रोकने के लिए हर ट्रेन में टक्कर रोधी यंत्र (एंटी कॉलिजन डिवाइस) लगाए जाने का बजट पास किया था, लेकिन अभी तक इसका टेंडर भी जारी नहीं हुआ है। जबकि टेंडर जारी होने की टाइम लिमिट दो वर्ष दो साल रखी गई थी। टेंडर जारी होने के पांच वर्षों के भीतर इसे समूचे रेल नेटवर्क पर लगाना था।
खुद को कवच को परखा था रेलमंत्री ने
मार्च 2022 में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने टी कॉलिजन डिवाइस परियोजना कवच सिस्टम को लांच करते हुए दावा किया था कि ये सुरक्षा सिस्टम यूरोपीय सिस्टम से भी बेहतर है। कवच आटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी है, अगर दो ट्रेन गलती से एक ही ट्रैक पर आ जाएंगी तो कवच टकराने से पहले स्वतः ब्रेक लगा देगा। तब रेल मंत्री ने बाकायदा आमने-सामने आ रही ट्रेन में बैठकर इस सिस्टम को परखा भी था। उन्होंने कहा था कि मैं खुद इंजीनियर हूं, मुझे तकनीक पर भरोसा था इसलिए मैंने ये खतरा उठाया था।
एक बड़ी समस्या यह भी...
रेल कर्मचारियों की भी कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। घटती रेलकर्मचारियों की संख्या ने रेलवे की सुरक्षा-व्यवस्था को कमजोर किया है। नतीजन पटरियों का पर्याप्त रख-रखाव नहीं हो पाता। वर्ष 2021 में राज्यसभा में सरकार ने बताया था कि दिसंबर 2022 तक रेलवे के सभी जोन में 2,98,973 पद खाली थे। इसके अलावा सीएजी रिपोर्ट बताती है कि ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए धन के आवंटन में वर्षों से गिरावट आई है और तो और आवंटित बजट का भी पूरी तक उपयोग नहीं किया गया।
नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग
यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि वंदे भारत और बुलेट ट्रेन के साथ-साथ पूरे रेल नेटवर्क पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। आम ट्रेनों में रोजाना तकरीबन 25 लाख लोग यात्रा करते हैं इसलिए इनकी सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। ऐसा करने में सरकार विफल रही है, इसलिए रेलमंत्री को नैतिक आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।
कब-कब रेलमंत्रियों ने दिये इस्तीफे?
अगस्त 1956 में आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में भीषण रेल हादसा हुआ था, जिसमें 112 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि, तब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया था। कुछ महीनों बाद तमिलनाडु में एक और हादसा हुआ था, जिसमें 144 लोग मारे गये थे। इस बार भी लाल बहादुर शास्त्री ने इस्तीफा दिया और इसे तत्काल स्वीकार करने का अनुरोध भी किया था। वर्ष 1999 में असम के गैसल में हुए रेल हादसे में 290 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था। वर्ष 2000 में पंजाब में हुए रेल हादसे के बाद तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने इस्तीफा दिया था। 2017 में कई रेल हादसे हुए थे जिसके बाद सुरेश प्रभु ने भी अपना इस्तीफा पीएम मोदी को सौंपा था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। आपको बता दें कि रेलमंत्रियों के इस्तीफों की पेशकश होती रही है, इनमें से अब तक दो ही रेल मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार किए गए हैं।