Jagdeep Dhankhar: क्या रंग दिखाएगा विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, राज्यसभा के गणित से क्यों निश्चिंत है सत्ता पक्ष

Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ गोलबंद विपक्षी इंडिया ब्लॉक उन्हें पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-12-11 11:12 IST

Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा में आखिरकार विपक्षी दलों ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। धनखड़ के खिलाफ गोलबंद विपक्षी इंडिया ब्लॉक उन्हें पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं और यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंप दिया गया है। विपक्षी दलों ने संविधान के आर्टिकल 67 बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव रखा है।

दूसरी ओर सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह निश्चिंत नजर आ रहा है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि विपक्षी दलों ने सभापति की गरिमा का अनादर किया है। उन्होंने कहा कि उच्च सदन में एनडीए के पास बहुमत है और ऐसे में कांग्रेस सहित अन्य दलों को इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। वैसे सत्ता पक्ष विपक्ष के इस कदम को लेकर परेशान नहीं है। ऐसा क्यों है,इसे समझने के लिए राज्यसभा का गणित जानना जरूरी है। राज्यसभा के गणित के मुताबिक इस प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना पहले से ही तय माना जा रहा है।

धनखड़ पर पक्षपात का विपक्ष का आरोप

धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए विपक्ष ने उन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि उन्हें सदन में बोलने का मौका नहीं दिया जाता। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी दलों के पास धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

उन्होंने इसे कष्टकारी फैसला बताते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता तक को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है जबकि सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष के बड़े नेताओं पर भी बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। 


देश के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। उल्लेखनीय है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस से खिंची-खिंची रहने वाली तृणमूल कांग्रेस भी इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ गोलबंद हो गई है।

रिजिजू ने सभापति की गरिमा का अनादर बताया

दूसरी ओर राज्यसभा के नंबर गेम को देखते हुए सत्ता पक्ष पूरी तरह निश्चिंत नजर आ रहा है। वैसे संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर विपक्ष को जमकर खरी-खोटी भी सुनाई है। उन्होंने सभापति की गरिमा का अनादर करने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा में एनडीए के बहुमत होने का भी प्रमुखता से उल्लेख किया। रिजिजू ने कहा कि सरकार सदन को सही तरीके से चलाने के लिए तैयार है। जब सब कुछ तय हो चुका तो सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि सोरोस के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। कांग्रेस और विपक्षी दलों का यह व्यवहार निंदनीय है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। सच्चाई यही है कि यह पूरी तरह सोरोस के मुद्दे से भागने की कांग्रेस की रणनीति है। विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में आसन की गरिमा का अनादर किया है।

बीजू जनता दल रहेगा तटस्थ

इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजू जनता दल ने इससे किनारा कर लिया है। बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद डॉक्टर सस्मित पात्रा ने कहा कि यह प्रस्ताव इंडिया ब्लॉक की ओर से लाया गया है और बीजू जनता दल इंडिया ब्लॉक का घटक नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस प्रस्ताव पर पूरी तरह तटस्थ रहेगी। डॉ पात्रा ने कहा कि यह ऐसा विषय है जिससे हमारा कोई संबंध नहीं है।


दरअसल उपराष्ट्रपति चुनाव के समय नवीन पटनायक की अगुवाई वाले बीजू जनता दल ने धनखड़ का समर्थन किया था। बीजू जनता दल उस समय भी एनडीए या इंडिया, दोनों में से किसी गठबंधन का सदस्य नहीं था। अब धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी पार्टी ने इस मुद्दे पर तटस्थ रहने का ऐलान कर दिया है।

राज्यसभा में एनडीए की ताकत

संसदीय इतिहास में उपराष्ट्रपति के खिलाफ ले गए इस पहले अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सत्ता पक्ष की निश्चिंतता का बड़ा कारण है। राज्यसभा के गणित को देखकर सरकार की निश्चिंतता का आधार आसानी से समझा जा सकता है। राज्यसभा की कुल संख्या 245 सदस्यों की है जबकि मौजूदा समय में राज्यसभा में 234 सदस्य हैं। मौजूदा समय में भाजपा के पास 96 सांसदों की ताकत है।

यदि एनडीए की बात की जाए तो उसके पास कुल 113 सांसद है। इन सदस्यों के अलावा छह मनोनीत सदस्य हैं जिन्हें सरकार समर्थक माना जाता है। ऐसे में राज्यसभा में सरकार समर्थक सांसदों की संख्या 119 है जो कि बहुमत का आंकड़ा है। बीजू जनता दल के सांसदों के तटस्थ रहने के फैसले से सरकार की राह और आसान हो गई है।

कमजोर स्थिति में इंडिया ब्लॉक

दूसरी ओर इंडिया ब्लॉक की बात की जाए तो उसके पास 85 सांसदों की ताकत है। इसके अलावा विपक्ष में कुछ ऐसे भी सदस्य हैं जो दोनों में से किसी गठबंधन से जुड़े हुए नहीं है। ऐसे में विपक्ष के लिए 117 सांसदों का समर्थन जुटाना टेढ़ी खीर माना जा रहा है।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित भी हो जाता है तो संविधान के अनुसार उस प्रस्ताव पर लोकसभा की मंजूरी जरूरी है। लोकसभा में भी एनडीए के पास 293 सांसदों की ताकत है और वहां भी विपक्ष की दाल नहीं गलने वाली है। यही कारण है कि विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को राजनीतिक शिगूफा ही माना जा रहा है।

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