Delhi Service Bill Row: संसद में दिल्ली सेवा बिल का समर्थन करने वाली BJD और YSRCP से चिदंबरम ने पूछे तीखे सवाल

Delhi Service Bill Row:मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिल्ली सेवा बिल को लोकसभा में पेश कर दिया। सत्तारूढ़ एनडीए के संख्याबल को देखते हुए अब इसका राज्यसभा से भी पास होना बिल्कुल तय माना जा रहा है।

Update:2023-08-02 12:15 IST
Delhi Service Bill Row (फोटो: सोशल मीडिया )

Delhi Service Bill Row: मंगलवार को आम आदमी पार्टी को उस समय बड़ा झटका लगा, जब दो विपक्षी पार्टियां ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) और आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस ने दिल्ली सेवा बिल का समर्थन करने का ऐलान कर दिया। दिल्ली सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल महीनों से इसके खिलाफ विपक्षी खेमे में मुहिम चला रहे थे। मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिल्ली सेवा बिल को लोकसभा में पेश कर दिया। सत्तारूढ़ एनडीए के संख्याबल को देखते हुए अब इसका राज्यसभा से भी पास होना बिल्कुल तय माना जा रहा है।

ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजद और आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वाईएसआरसीपी द्वारा इस बिल का समर्थन किए जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम भड़क गए। उन्होंने ट्विटर पर ही इन दोनों सियासों दलों को इस मुद्दे पर घेर लिया। चिदंबरम ने प्रस्तावित दिल्ला सेवा बिल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र करते हुए इन दोनों दलों से पूछा कि आखिर वो किस बात पर सहमत होकर इसका समर्थन कर रहे हैं।

चिदंबरम ने ट्वीट कर पूछे तीखे सवाल

यूपीए सरकार के दौरान वित्त एवं गृह मंत्रालय जैसे भारी भरमक पोर्टफोलियो को संभाल चुके पी. चिदंबरम ने लंबा चौड़ा ट्वीट कर बीजद और वाईएसआरसीपी को घेरा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, मैं दिल्ली सेवा प्राधिकरण विधेयक का समर्थन करने वाले भाजपा सांसदों को समझ सकता हूं, लेकिन मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि बीजेडी और वाईएसआरसीपी पार्टियों को विधेयक में क्या चीज अच्छी लगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा, क्या दोनों दलों (बीजद और वाईएसआरसीपी) को 3 सदस्यीय प्राधिकरण में यह ठीक लग रहा है, जहां मुख्यमंत्री केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो अधिकारियों के मुकाबले सिर्फ एक होगा? क्या उन्हें उस प्रावधान में अच्छाई दिख रही है जहां दो अधिकारी कोरम का गठन कर सकते हैं और बैठक आयोजित कर सकते हैं और मुख्यमंत्री की भागीदारी के बिना निर्णय ले सकते हैं?

क्या उन्हें उस प्रावधान में अच्छाई दिख रही है जहां दो अधिकारी मुख्यमंत्री को खारिज कर सकते हैं? क्या उन्हें उस प्रावधान में अच्छाई दिख रही है जहां लेफ्टिनेंट गवर्नर प्राधिकरण के सर्वसम्मत निर्णय को भी खारिज कर सकते हैं? क्या उन्हें उस प्रावधान में अच्छाई दिख रही है जो केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार के मंत्रियों को छोड़कर दिल्ली सरकार में काम करने वाले अधिकारियों की "शक्तियों और कर्तव्यों" को परिभाषित करने का अधिकार देता है? क्या दोनों पार्टियों को यह एहसास हो गया है कि यदि विधेयक पारित हो गया तो अधिकारी मालिक होंगे और मंत्री अधीनस्थ?

आप भी कर चुकी है तीखा विरोध

दिल्ली सेवा बिल का सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने भी तीखा विरोध किया है। पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढ़ा ने तो इसे केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश से भी खराब बताया है। उन्होंने कहा कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो दिल्ली में लोकतंत्र की जगह बाबूशाही ले लेगी। चुनी हुई सरकार के पास कोई शक्ति ही नहीं बचेगी। ये बिल सरासर दिल्ली की दो करोड़ जनता का अपमान है।

संसद में किसका पलड़ा मजबूत

लोकसभा में बीजेपी के पास खुद के 301 के सांसद हैं। वहीं, सहयोगी दलों को मिला लें तो एनडीए सांसदों की संख्या 333 पर पहुंच जाती है। इसलिए यहां बीजेपी को कोई टेंशन नहीं है। बहुमत जुटाने का असली खेल उच्च सदन यानी राज्यसभा में है। यहां सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 93 सांसद हैं। सहयोगी दलों को मिलाकर ये आंकड़ा 105 पर पहुंचता है। इसके अलावा बीजेपी को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना भी तय है। इस हिसाब से ये आंकड़ा 112 पर पहुंच जाता है। हालांकि, ये बहुमत आंकड़े 120 से अब भी 8 कम है। यहां उनकी मदद बीजद और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दल करेंगे, जिनके पास 9-9 राज्यसभा एमपी हैं।

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