Padma Awards 2025: लोक गायिका शारदा सिन्हा को मिला पद्म विभूषण, लोक गायन में उनके अतुलनीय योगदान के लिए मिला सम्मान

Padma Award 2025: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार 2025 के लिए सम्मानित व्यक्तियों के नामों की घोषणा की। इन नामों में प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।;

Newstrack :  Network
Update:2025-01-25 22:30 IST

Sharda Sinha Honored with Padma Vibhushan (Photo: Social Media)

Padma Award 2025: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार 2025 के लिए सम्मानित व्यक्तियों के नामों की घोषणा की। इन नामों में प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है, जो देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। शारदा सिन्हा की आवाज और उनके लोक गीतों का असर बिहार और पूर्वांचल में खासकर छठ पर्व से जुड़े अनुष्ठानों में साफ देखा जाता है। उनकी आवाज़ देशभर में चर्चित रही है और वे उत्तर भारत की सांस्कृतिक दूत मानी जाती हैं। शारदा सिन्हा के मैथिली, भोजपुरी और हिंदी लोकगीत दशकों से लोकप्रिय रहे हैं। विशेष रूप से छठ पर्व से जुड़ी उनकी आवाज़ हर घर में सुनाई देती है।


1970 में की थी शुरूआत

शारदा सिन्हा ने अपने गायन करियर की शुरुआत 1970 के दशक में की थी और उस समय से लेकर आज तक उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी में कई लोकगीत गाए हैं। उनकी गायकी में बिहार से पलायन और महिलाओं के संघर्ष की झलक दिखाई देती है। उनकी आवाज़ में आज भी वह ताजगी बनी हुई है, जो उन्हें एक अद्वितीय गायिका के रूप में स्थापित करती है। शारदा सिन्हा का प्रसिद्ध गीत 'बाबुल' जो फिल्म हम आपके हैं कौन में था, आज भी बेटियों की विदाई के समय बजाया जाता है। इससे यह साबित होता है कि उनकी गायकी ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है।

2018 में पद्मभूषण से हुईं थी सम्मानित

2018 में शारदा सिन्हा को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया था, और अब उन्हें पद्म विभूषण के रूप में इस सम्मान से नवाजा गया है। उनका संगीत आज भी हर मौके पर गूंजता है, चाहे वह जन्म का उत्सव हो या मृत्यु का शोक, त्योहार हो या मौसम में बदलाव।शारदा सिन्हा के परिवार में गायकी की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी, लेकिन उनके पिता ने यह पहचान लिया कि उनकी बेटी में संगीत की गहरी समझ है। शारदा सिन्हा ने कहा था कि उनके पिता ने हमेशा उन्हें गायकी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और उनका साथ दिया। 


बिहार के सुपौल में हुआ था जन्म

शारदा सिन्हा का जन्म 1953 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास गाँव में हुआ था। उनके पिता सुखदेव ठाकुर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे और उन्होंने शारदा सिन्हा को गायकी की शिक्षा दिलवाने का निर्णय लिया था। शारदा सिन्हा ने अपनी गायकी के सफर में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उनके पति और सास ने उनका हमेशा साथ दिया। लोक संगीत के क्षेत्र में शारदा सिन्हा का योगदान अतुलनीय है, और उनका यह सम्मान उनकी गायकी के प्रति समर्पण और भारतीय संस्कृति में उनके योगदान की सराहना करता है।

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