विशेष विमान से भारत आएगा पंडित जसराज का पार्थिव शरीर, US में ली थी अंतिम सांस

दिग्गज संगीतकार पंडित जसराज के पार्थिव शरीर के मंगलवार को अमेरिका के न्यू जर्सी में अंमित दर्शन करवाए गए। उनके पार्थिव शरीर को अब भारत लाया जाएगा। पंडित का सोमवार को न्यू जर्सी में निधन हो गया था। वह 90 साल के थे। संगीत की दुनिया में 80 साल से ज्यादा बिताने वाले पंडित जसराज को पद्म विभूषण समेत कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किए गया था।

Update: 2020-08-18 06:02 GMT
पंडित जसराज का पार्थिव शरीर विशेष विमान से आएगा मुंबई

मुंबई: दिग्गज संगीतकार पंडित जसराज का पार्थिव शरीर के मंगलवार को अमेरिका के न्यू जर्सी में अंमित दर्शन करवाए गए। उनके पार्थिव शरीर को अब भारत लाया जाएगा। पंडित का सोमवार को न्यू जर्सी में निधन हो गया था। वह 90 साल के थे। संगीत की दुनिया में 80 साल से ज्यादा बिताने वाले पंडित जसराज को पद्म विभूषण समेत कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किए गया था।

पंडित जसराज अंतिम संस्कार

विमान मंगलवार दोपहर को अमेरिका के न्यूजर्सी से रवाना होगा, जो बुधवार दोपहर तक मुंबई पहुंचेगा। अंतिम संस्कार बुधवार शाम या गुरुवार को होने की संभावना है। पंडित जसराज की पत्नी मधुरा पंडित जसराज, बेटे शारंगदेव, बेटी दुर्गा जसराज सहित पूरा परिवार मुंबई में है। अमेरिका में रहने वाली पंडित जसराज की शिष्य मंडली विशेष विमान से ही मुंबई पहुंचेगी। इन शिष्यों में पद्मश्री तृप्ति मुखर्जी, सुमन घोष शामिल हैं।

 

पंडित जसराज के निधन

पंडित जसराज के निधन की खबर मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय संस्कृति के आकाश में गहरी शून्यता पैदा हो गई है। उन्होंने न केवल उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दीं, बल्कि कई अन्य गायकों के लिए अनूठे परामर्शदाता के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। उनके परिवार और दुनियाभर में उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।

 

 

सम्मानित शास्त्रीय गायक

बता दें कि पंडित जसराज का सोमवार को 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया था। वह तीनों पद्म पुरस्कारों- पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित शास्त्रीय गायक थे। आठ दशकों तक भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में छाए रहे पंडित जसराज मेवाती घराना से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने महज 14 साल की उम्र में शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया था। बाद में उन्होंने अपने बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण से तबला वादन भी सीखा। ठुमरी और खयाल गायन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

बता दें कि पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा हिसार में हुआ था और उनके पिता पंडित मोतीराम भी मेवात घराने में एक संगीतज्ञ थे। पंडित जसराज ने संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने पिता से ही मिली थी। इसके बाद उन्होंने मेवाती घराने के महाराणा जयवंत सिंह वाघेला और आगरा के स्वामी वल्लभदास से संगीत की शिक्षा ली।

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