प्रियंका गांधी की वो रात! जब बेड पर सोया था ये शख्स, जानिए फिर क्या हुआ

प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि मेरे परदादा के बारे में मेरी पसंदीदा याद वह है, जब एक सुबह 3 बजे परदादा काम से लौटे तो देखा कि उनके बिस्तर पर उनका बॉडीगार्ड सो रहा था इस पर नहरू ने गार्ड को कंबल ओढ़ाया और खुद बगल की कुर्सी पर सो गए।

Update: 2019-12-04 10:09 GMT

नई दिल्लीः देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। एक समय था जब कांग्रेस को लोग भारत की जान समझते थे जब पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी ने देश में बड़े कांतिकारी बदलाव किए थे। लगभग सभी राज्यों में कांगेस की सरकार थी, लेकिन मौजूदा समय में वैसी स्थिति नहीं है।

नेहरू की 130वीं जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाया गया

बीते 14 नवंबर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 130वीं जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। जहां हर कोई अपने तरीके से नेहरू याद कर रहा था वहीं कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अपने परदादा को एक पुरानी स्मृति ट्विटर पर शेयर कर उन्हें याद किया।

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उनके बिस्तर पर लेटा था बॉडीगार्ड

प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि मेरे परदादा के बारे में मेरी पसंदीदा याद वह है, जब एक सुबह 3 बजे परदादा काम से लौटे तो देखा कि उनके बिस्तर पर उनका बॉडीगार्ड सो रहा था इस पर नहरू ने गार्ड को कंबल ओढ़ाया और खुद बगल की कुर्सी पर सो गए।



बता दें कि पंडित नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। मोतीलाल नेहरू और स्वरूप रानी के पुत्र नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और इस पद पर वह 1964 में अपने निधन तक रहे। नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बच्चे उनको चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। पंडित नेहरू हमेशा कहते थे कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं।

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पंडित नेहरू कुशल राजनीतिज्ञ भी थे

ऐसे में प्रियंका गांधी के ट्वीट से नेहरू के स्वभाव के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है, हालांकि पंडित नेहरू का स्वभाव किसी से अछूता नहीं है। वह बड़े ही सरल स्वभाव के थे। ऐसे ही उनके जीवन से संबंधित कई वाकये हैं जो कि आज भी लोगों को याद आते हैं। पंडित नेहरू जितने ही सरल स्वभाव के थे उतने ही कुशल राजनीतिज्ञ भी थे।

ऐसे समय में जब कांग्रेस को करीब करीब राज्यों में हार का सामना करना पड़ रहा है। तो पुराने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के नेहरू और इंदिरा की याद आने लगी है। इस दौर में एक बार फिर कांग्रेस को अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता नजर आ रही है। हालांकि हम किसी नेता के नेतृत्व पर सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं।

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