Parliament Special Session: सबसे युवा और सबसे बुजुर्ग सांसद का हुआ जिक्र

Parliament Special Session 2023: संसद के विशेष सत्र की शुरुआत में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे युवा, सबसे बुजुर्ग, सबसे लंबे समय तक के सांसदों का उल्लेख भी किया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-09-18 18:19 IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी-सपा के 93 वर्षीय सांसद शफीकुर रहमान बर्क-बीजू जनता दल की चंद्रानी मुर्मू: Photo- Social Media

Parliament Special Session 2023: संसद के विशेष सत्र की शुरुआत में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे युवा, सबसे बुजुर्ग, सबसे लंबे समय तक के सांसदों का उल्लेख भी किया। पीएम ने लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य, सपा के 93 वर्षीय सांसद शफीकुर रहमान बर्क और सबसे कम उम्र के सदस्य बीजू जनता दल की चंद्रानी मुर्मू का उल्लेख किया, जो 25 साल की उम्र में सांसद बनी थीं।

पीएम ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) नेता इंद्रजीत गुप्ता को भी याद किया, जिन्होंने 1977 से 1980 की छोटी अवधि को छोड़कर, 1960 से 2001 तक लगभग 36 वर्षों तक लोकसभा सांसद के रूप में कार्य किया।

सपा के 93 वर्षीय सांसद शफीकुर रहमान बर्क: Photo- Social Media

सबसे बुजुर्ग

लोकसभा के मौजूदा सांसद शफीकुर रहमान बर्क नौ बार सांसद चुने जा चुके हैं। वह पहली बार 1996 में मुरादाबाद से लोकसभा सदस्य बने। इससे पहले वह चार बार विधायक के तौर पर चुनाव जीत चुके थे। वह 1998 और 2004 में मुरादाबाद से और 2009 तथा 2019 में संभल से लोकसभा के लिए चुने गए। शफीकुर रहमान बर्क विवादों के केंद्र में भी रहे हैं। 2019 में संसद में अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उन्होंने "वंदे मातरम" का नारा लगाने से इनकार कर दिया था।

बीजू जनता दल की चंद्रानी मुर्मू: Photo- Social Media

सबसे युवा

चंद्राणी मुर्मू ने 2019 में ओडिशा के क्योंझर से लोकसभा चुनाव जीता। वह वर्तमान में सबसे कम उम्र की भारतीय सांसद हैं। पूर्व कांग्रेस सांसद हरिहरन सोरेन की बेटी चंद्राणी के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री है।

इंद्रजीत गुप्ता लोकसभा में सबसे लंबे समय तक रहने वाले सांसद: Photo- Social Media

सबसे लंबे समय तक सांसद

इंद्रजीत गुप्ता लोकसभा में सबसे लंबे समय तक रहने वाले सांसद हैं। इंद्रजीत गुप्ता 1960 में पहली बार उपचुनाव में लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद, 1977 से 1980 तक की छोटी अवधि को छोड़कर, वह 2001 में अपनी मृत्यु तक संसद सदस्य रहे। उन्होंने 1960 से 1967 तक कलकत्ता दक्षिण पश्चिम से सीपीआई सांसद, 1967-1977 तक अलीपुर सांसद और फिर 1980-1989 तक बशीरहाट सांसद के रूप में कार्य किया, जिसके बाद उन्होंने 1989 में मिदनापुर से चुनाव लड़ा और जीता और 2001 में मृत्यु तक लोकसभा में इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

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