Parliament Special Session: राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिक सोच की आवश्यकता पर डाला जोर, बोले-संस्कृति एवं विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं
Parliament Special Session:रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा - जब मैं वैज्ञानिक स्वभाव के बारे में बात कर रहा हूं, तो मेरा मतलब सिर्फ कुछ वैज्ञानिक उपकरण विकसित करना नहीं है।
Parliament Special Session: लोकसभा में चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज वैज्ञानिक सोच की आवश्यकता पर जोर डाला। उन्होंने कहा कि संस्कृति एवं विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। उन्होंने चंद्रयान ३ और अल्तिस की सफलता पर इसरो के वैज्ञानिकों तथा देश के समस्त वैज्ञानिक समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि चंद्रयान की सफलता हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा - जब मैं वैज्ञानिक स्वभाव के बारे में बात कर रहा हूं, तो मेरा मतलब सिर्फ कुछ वैज्ञानिक उपकरण विकसित करना नहीं है। वैज्ञानिक स्वभाव से मेरा तात्पर्य यह है कि हमारी सोच में वैज्ञानिकता और तर्कसंगतता होनी चाहिए। भारत के चंद्रमा मिशन की सफलता एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
रक्षा मंत्री ने लोकसभा में चंद्रयान-3 की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे राष्ट्र की उपलब्धियों के बारे में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह भी कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता उन सभी लोगों के लिए गर्व का विषय है जो अपने राष्ट्र और राष्ट्र की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं। उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 की सफलता हमारे लिए निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि एक तरफ दुनिया के अधिकांश विकसित देश हैं, जो हमसे कहीं अधिक संसाधन-संपन्न होते हुए भी, चांद पर पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम बेहद सीमित संसाधनों से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले देश बने हैं।
वैज्ञानिक चेतना
रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिक चेतना का उल्लेख करते हुए कहा, जब मैं यहां वैज्ञानिक चेतना की बात कर रहा हूं, तो उससे मेरा मतलब केवल कुछ वैज्ञानिक उपकरणों के विकास कर लेने भर से नहीं है। वैज्ञानिक चेतना से मेरा आशय है कि वैज्ञानिकता और तार्किकता हमारी सोच में हो, वह हमारे बात व्यवहार में हो, और वह हमारे स्वभाव में हो। उनका कहना था, संस्कृति के बगैर विज्ञान, और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है। संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृति के बगैर विज्ञान और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है, संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं।