Period Leave on Workplace: पीरियड लीव दे रही मोदी सरकार! स्मृति ईरानी के जवाब पर क्यों लग रहा प्रश्न चिन्ह

Period Leave on Workplace: बता दें कि दोनों सदनों में यह बात पूछा गया था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आखिर महिलाओं को वर्कप्लेस पर पीरियड लीव के बारे में क्या कदम उठा रही है। पहले यह सवाल RJD के सांसद मनोज कुमार झा ने राज्य सभा में उठाया था।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-12-14 15:43 IST

Period Leave on Workplace in India (Image: Social Media)

Period Leave on Workplace: बीते कई वर्षों से इस बात पर बहस चली आ रही है कि महिलाओं को हर महीने होने वाले पीरियड के समय वर्कप्लेस से पेड लीव दी जानी चाहिए अथवा नहीं। कार्यस्थल पर मासिक धर्म के दौरान छुट्टी प्रदान करने की अवधारणा एक बढ़ती प्रवृत्ति है जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके मासिक धर्म चक्र के दौरान सामना की जाने वाली अनूठी जरूरतों और चुनौतियों को पहचानना और संबोधित करना है।

अब इस सम्बन्ध में भारत सरकार ने भी अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। बीते कई वर्षों से पीरियड लीव की चल रही मांग पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपनी बात रखी है। बता दें कि दोनों सदनों में यह बात पूछा गया था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आखिर महिलाओं को वर्कप्लेस पर पीरियड लीव के बारे में क्या कदम उठा रही है। पहले यह सवाल RJD के सांसद मनोज कुमार झा ने राज्य सभा में उठाया था।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जवाब देते हुए कहा कि एक मासिक धर्म वाली महिला के रूप में, मासिक धर्म और मासिक धर्म चक्र कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं की जीवन यात्रा का एक स्वाभाविक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि वर्कप्लेस पर मासिक धर्म के दौरान छुट्टी कार्यबल में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है, सिर्फ इसलिए कि जो कोई मासिक धर्म नहीं करता है उसका मासिक धर्म के प्रति एक विशेष दृष्टिकोण है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी PIL एंटरटेन करने से किया था मना

इसी वर्ष 24 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में वर्कर्स और छात्रों के लिए मासिक धर्म अवकाश के संबंध में एक जनहित याचिका को स्वीकार करने से मना कर दिया था। अदालत ने इसे एक नीतिगत मामला बताते हुए कहा था कि मासिक धर्म के दौरान होने वाली दर्द छुट्टी के अलग-अलग आयाम होते हैं और यह नियोक्ताओं के लिए महिला कर्मचारियों को काम पर रखने से हतोत्साहित करने वाला भी हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाकर्ता से एक नीति बनाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संपर्क करने को कहा था। अब इस सम्बन्ध में मंत्रालय का भी जवाब सामने आ गया है।

किन राज्यों में लागू है पीरियड लीव

बिहार और केरल दो ऐसे राज्य हैं जिन्होंने महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश नीतियां शुरू की हैं। बिहार की नीति 1992 में शुरू की गई थी, जिसके तहत कर्मचारियों को हर महीने दो दिन की सवैतनिक मासिक छुट्टी की अनुमति दी गई थी। केरल ने हाल ही में घोषणा की है कि राज्य का उच्च शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों में मासिक धर्म और मातृत्व अवकाश देगा, और केरल के एक स्कूल ने भी इसी तरह की प्रणाली शुरू की है। भारत में कुछ कंपनियों ने मासिक धर्म अवकाश देने शुरू कर दिए है। ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी कंपनी ज़ोमैटो ने सबसे पहले 2020 में प्रति वर्ष 10-दिवसीय पेड पीरियड लीव की घोषणा की थी। बाद में स्विगी और बायजूस जैसी अन्य कंपनियों ने भी इसका अनुसरण किया।

विश्व में कौन से देश दे रहे हैं पीरियड लीव

विश्व के कई देश जैसे- स्पेन, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जाम्बिया, दक्षिण कोरिया और वियतनाम पीरियड लीव किसी न किसी रूप में महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश दे रहे हैं। स्पेन श्रमिकों को सवेतन मासिक धर्म अवकाश देने वाला पहला यूरोपीय देश बना था। इसमें प्रति माह तीन दिनों के मासिक धर्म अवकाश का अधिकार है, जिसे पांच दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

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