Bihar News: आरक्षण संशोधन कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर, रिजर्वेशन में बढ़ोतरी को बताया गया संविधान का उल्लंघन

Bihar News: ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस कानून को अब पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जनहित याचिका में आरक्षण को बढ़ाने के फैसले को संविधान का उल्लंघन करार दिया गया है।

Update: 2023-11-27 13:15 GMT

 आरक्षण संशोधन कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर, रिजर्वेशन में बढ़ोतरी को बताया गया संविधान का उल्लंघन: Photo- Social Media

Bihar News: हाल ही में आरक्षण संशोधन कानून लागू करने के बाद बिहार देश के उन राज्यों में शामिल हो गया, जहां रिजर्वेशन की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक है। ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस कानून को अब पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जनहित याचिका में आरक्षण को बढ़ाने के फैसले को संविधान का उल्लंघन करार दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने बिहार आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में कोर्ट से इन अधिनियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से क्या दी गई दलील ?

पटना उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के मुताबिक आरक्षण इन वर्गों (ओबीसी, एससी, एसटी) के आनुपातिक प्रतिधिनित्व के बजाय सामरिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व पर आधारित होना चाहिए। इसलिए बिहार सरकार का यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (1) और अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन है।

अनुच्छेद 15(1) किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है। वहीं अनुच्छेद 16 (1) राज्य के तहत आने वाले किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए समानता का अवसर देता है।

ये भी पढ़ें: Patna High Court: हाई कोर्ट का अहम फैसला, बंदूक की नोक पर मांग भरना अब शादी नहीं कहलाएगी, फिर चर्चा में आया बिहार का पकड़ौआ

बिहार में आरक्षण का कुल कोटा 75 परसेंट

आरक्षण संशोधन बिल 2023 के मुताबिक, अब राज्य में आति पिछड़ी जाति को 25 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति को 2 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा यानी 65 प्रतिशत। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसदी आरक्षण अलग से मिलता रहेगा। इस तरह राज्य में आरक्षण का कुल कोटा 75 फीसदी हो गया है।

10 नवंबर को इस संशोधन विधेयक को बिहार विधानमंडल से मंजूरी मिली थी। 18 नवंबर को राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर के इसको स्वीकृति प्रदान की। 21 नवंबर को नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का गजट नोटिफिकेशन जारी किया।

ये भी पढ़ेंBihar Reservation: नीतीश सरकार का आरक्षण अधिनियम लागू, जानें अब किसे क्या मिलेगा जातीय जनगणना से

बता दें कि पिछले दिनों बिहार सरकार द्वारा जो जातीय सर्वे की रिपोर्ट सावर्जनिक की गई थी, उसके मुताबिक, राज्य में पिछड़ों की आबादी 63 प्रतिशत है। इनमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा समूह है। इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27.13 प्रतिशत का नंबर आता है। जनसंख्या के लिहाज से ओबीसी समुदाय में शामिल यादव समुदाय सबसे बड़ा समुदाय है, जिसकी आबादी 14.27 प्रतिशत है। विपक्ष के अलावा सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और यहां तक कि जदयू के कुछ नेता भी जातीय सर्वे में दिखाए गए आंकड़ों पर अपनी असहमति जाहिर कर चुके हैं। 

Tags:    

Similar News