सस्ता होगा पेट्रोल-डीजलः कम हो सकती हैं कीमतें, अगर सरकार इस पर काम करे
राजधानी दिल्ली में अभी पेट्रोल 91.17 रुपए प्रति लीटर और डीजल 81.47 रुपए प्रति लीटर है। 27 फरवरी को इन दोनों की कीमतों में क्रमशः 24 पैसे और 15 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई थी।
रामकृष्ण वाजपेयी
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी आने से बुधवार को भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार चौथे दिन स्थिरता रही। देश में पेट्रोल की कीमतें सौ रुपये के पार जा चुकी हैं। पेट्रोल डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि को देखते हुए सरकार भी इसके टैक्स में कुछ कटौती करने पर विचार कर रही है। लेकिन इसे जीएसटी में डालने पर विचार करने को तैयार नहीं है।
हालांकि डिरेगुलेशन के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि पेट्रोल डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं जिसका सीधा असर महंगाई पर भी पड़ रहा है। ऐसे में असल सवाल यह है कि सरकार को इस स्थिति में क्या करना चाहिए। क्या पेट्रोल डीजल का उत्पादन बढ़ने से कीमतों में नियंत्रण आएगा या फिर इसका उत्पादन बढ़ने से इनकी कीमतें नियंत्रित होंगी।
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पेट्रोल 91.17 रुपए प्रति लीटर और डीजल 81.47 रुपए प्रति लीटर है
राजधानी दिल्ली में अभी पेट्रोल 91.17 रुपए प्रति लीटर और डीजल 81.47 रुपए प्रति लीटर है। 27 फरवरी को इन दोनों की कीमतों में क्रमशः 24 पैसे और 15 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई थी। तेल विपणन करने वाली सरकारी कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन के अनुसार आज इन दोनों ईंधन की कीमतें स्थिर हैं। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल में इन खबरों के बाद नरमी आई है कि ओपेक व समूह देश इसके उत्पादन को बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। कल होने वाली बैठक में इसका ऐलान भी संभव है।
लंदन ब्रेंट क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ है। कल ओपेक समूह देशों की बैठक होने वाली है जिसमें तेल उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिए जाने की उम्मीद है। यदि उत्पादन बढ़ता है तो कीमतों पर असर पड़ना स्वाभाविक माना जा रहा है।
कीमतें काफी कम हो जाएंगी फिर इसमें रुकावट कहां है
मजे की बात यह है कि पेट्रोल डीजल डीलर्स एसोसिएशन और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्षधर हैं। अगर ये उत्पाद जीएसटी के दायरे में आ जाते हैं तो कीमतें काफी कम हो जाएंगी फिर इसमें रुकावट कहां है। बताया जाता है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास टैक्स घटाने की सलाह दे रहे हैं तो पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ओपेक देशों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढाने कीगुजारिश कर रहे हैं।
पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में ले आया जाता है
जानकारों का मानना है कि यदि पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में ले आया जाता है तो इसकी कीमतों में काफी फर्क आ जाएगा और यह तब भी हो सकता है जबकि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के सबसे ऊपरी स्लैब में रखा जाए। मोटे तौर पर यह जान लें कि पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य में करीब 60 परसेंट हिस्सा टैक्स और ड्यूटी का होता है जो सरकारें वसूलती हैं। यदि यह जीएसटी के दायरे में आया तो इसकी कीमतों में तीस फीसदी तक कमी आ सकती है।
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हालांकि हुआ अभी कुछ नहीं है। ऐसी खबरें हैं कि मंत्रालय पेट्रोल-डीजल की महंगाई से लोगों को राहत देने के लिए अब एक्साइज ड्यूटी में कटौती पर विचार कर रहा है।दरअसल पेट्रोलियम उत्पाद केंद्र और राज्य सरकार की कमाई का बड़ा स्रोत हैं और सरकार अपने खजाने पर कोई असर पड़ने नहीं देना चाहती है।
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