Delhi हाईकोर्ट ने कहा- '15 साल की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को रेप नहीं कह सकते'

Delhi HC Rape Case: एक शख्स पर उसकी पत्नी ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। अदालत ने दुष्कर्म के आरोप में मुस्लिम व्यक्ति को ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी करने के फैसले को बरकरार रखा।

Update:2023-08-22 16:30 IST
Delhi HC Rape Case (Social media0
Delhi HC Rape Case: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत (Justice Suresh Kumar Kait) और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा (Justice Nina Bansal Krishna) की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरक़रार रखा। दरअसल, ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 'नाबालिग की गवाही के मद्देनजर पाक्सो एक्ट की धारा- 5 (1) के साथ पढ़ी जाने वाली धारा- 6 के तहत व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।'

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दुष्कर्म के एक मामले में एक मुस्लिम व्यक्ति को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि, व्यक्ति की करीब 15 साल की पीड़िता पत्नी के साथ शारीरिक संबंध (Physical relationship) बनाने को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता।'

कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को बरी किया

पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि, दिसंबर, 2014 में उसकी शादी हुई थी। उसके बाद ही उनके पति से बीच शारीरिक संबंध बने थे। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा, 'कोर्ट ने पाया है कि चूंकि 15 वर्षीय पीड़िता आरोपी की पत्नी थी। इसलिए पीड़िता के साथ शख्स के शारीरिक संबंध बनाने को दुष्कर्म (Rape) नहीं कहा जा सकता। साथ ही, कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया।'

हाईकोर्ट ने ये कहा

दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने अभियोजन पक्ष (Prosecutors) की तरफ से दायर उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें 15 नवंबर, 2016 को ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति मांगी गई थी। खंडपीठ ने ये कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि, उसे उस शख्स को बरी करने के ट्रायल कोर्ट (Trial Court) के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति देने का कोई आधार नहीं मिला है।'

जानिए क्या है मामला?

गौरतलब है कि, ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा-376 के तहत दंडनीय रेप मामले में आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया था। पीड़िता ने जानकारी दी कि 2014 में उसने आरोपित से शादी की थी। शादी के बारे में पीड़िता के माता-पिता को पता नहीं था। गर्भवती होने पर पीड़िता की मां नाबालिग को लेकर थाने पहुंची। उनकी शिकायत पर मामला दर्ज हुआ। मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए अपने बयान में पीड़िता ने बताया था कि, आरोपित व्यक्ति ने शादी से पहले उसके साथ कभी कोई गलत काम नहीं किया। नाबालिग की मां ने अदालत को बताया था कि उनकी बेटी ने उसकी सहमति के बिना आरोपित से शादी की थी।

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