PM eBus Sewa: लखनऊ कानपुर सहित देश के इन शहरों में जल्द शुरू होगी ई-बस सेवा, सस्ता होगा सफर

PM eBus Sewa: केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने इस योजना को शहरी परिवहन का ढांचा सुधारने तथा वाहनों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिहाज से क्रांतिकारी कदम बताया है

Update: 2023-09-02 09:32 GMT
पीएम ई-बस ( सोशल मीडिया)

PM eBus Sewa: राजधानी लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद उन 169 शहरों में शामिल है, जहां पर जल्द ही पीएम ई-बस सेवा शुरू होने जा रही है। पीएम ई बस योजना को हाल ही में कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। शहरी परिवहन के लिए इस योजना को बड़ा ही प्रभावशाली माना जा रहा है। इससे आने वाले समय में लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

दस हजार खरीदी जाएंगी बसें

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने इस योजना को शहरी परिवहन का ढांचा सुधारने तथा वाहनों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिहाज से क्रांतिकारी कदम बताया है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार के 20 हजार करोड़ रुपये की मदद से पीपीपी माडल में दस हजार बसें खरीदी जाएंगी। ये वातानुकूलित बसें लोगों को मेट्रो में सफर जैसा अनुभव प्रदान करेंगी। उन्होने कहा कि मंत्रालय ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें तीन श्रेणियों में वे शहर हैं जिन्हें इस योजना के लिए चुना गया है।

पहले चरण में इन शहरों में चलेंगी ई-बस

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने बताया कि पहली श्रेणी में उन शहरों को शामिल किया गया है जिन शहरों की आबादी 20 से 40 लाख है और दूसरी में जिनकी आबादी 10 से 20 लाख तथा तीसरी 5 से 10 लाख है। बीस से चालीस लाख आबादी वाले शहरों में कोच्चि, कोझिकोड, नागपुर और कोयबंटूर उत्तर प्रदेश के लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर शहर शामिल है, जहां ई-बस सेवा की शुरुआत की जाएगी।

दूसरी श्रेणी के शहरों में चंडीगढ़, रायपुर, फरीदाबाद, श्रीनगर, धनबाद, जमशेदपुर, रांची, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, अमृतसर, लुधियाना, जोधपुर, कोटा, गुरुग्राम, जम्मू, बोकारो स्टील सिटी, उज्जैन, भुवनेश्वर, कटक, राउरकेला, जालंधर, अजमेर, बीकानेर शामिल है, जबकि दूसरी श्रेणी के शहरों में यूपी के आगरा, प्रयागराज, मेरठ, वाराणसी, अलीगढ़, बरेली, फिरोजाबाद, गोरखपुर, झांसी, मुरादाबाद नोएडा शामिल हैं।

वहीं, तीसरी श्रेणी में पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों की भी अच्छी-खासी संख्या है। ऐसे 76 शहर योजना में शामिल किए गए हैं जिनकी आबादी पांच लाख से कम है और वे सार्वजनिक परिवहन के उपयुक्त ढांचे से वंचित हैं।

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