Sanatan Row: 2024 का एजेंडा सेट करने में जुटे PM मोदी, सनातन पर हमला करके DMK ने दिया मौका, इस पिच पर खेलना विपक्ष के लिए मुश्किल
Sanatan Row: प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पूर्व भी सनातन धर्म पर विपक्ष की टिप्पणी को लेकर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने पार्टी नेताओं को इस मुद्दे पर विपक्ष को सख्ती से जवाब देने का संदेश दिया था।
Sanatan Row: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के दौरे के समय सनातन धर्म को लेकर डीएमके नेताओं की बयानबाजी का उल्लेख करते हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया पर तीखे हमले किए। विपक्षी गठबंधन को इंडी और घमंडिया बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये लोग सनातन संस्कारों और परंपरा को समाप्त करने का संकल्प लेकर आए हैं। उनकी नीति और रणनीति भारत की संस्कृति पर हमला करने की है। मुंबई बैठक के दौरान इन्होंने अपना यह एजेंडा तय किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पूर्व भी सनातन धर्म पर विपक्ष की टिप्पणी को लेकर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने पार्टी नेताओं को इस मुद्दे पर विपक्ष को सख्ती से जवाब देने का संदेश दिया था। गुरुवार को अपने कार्यक्रमों के दौरान पीएम मोदी ने जिस अंदाज में इस मुद्दे को लेकर विपक्ष को घेरा,उससे साफ हो गया है कि वे 2024 का एजेंडा सेट करने की कोशिश में जुट गए हैं। उन्हें इस सियासी पिच पर बैटिंग करने में महारत हासिल है और यह सियासी पिच उन्हें विपक्ष के नेताओं ने ही मुहैया करा दी है। इस पिच पर बैटिंग करना विपक्ष के लिए हमेशा मुश्किलों भरा रहा है और यही कारण है कि अब विपक्षी नेता बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं।
पीएम मोदी ने लपक लिया सनातन का मुद्दा
गुरुवार को पीएम मोदी के तेवर से साफ हो गया है कि सनातन धर्म पर डीएमके नेताओं की बयानबाजी के बाद उन्होंने इस मुद्दे को लपक लिया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को भी इस बात का एहसास हो चुका है कि भाजपा इस मुद्दे को सियासी रूप से भुनाने की कोशिश में जुट गई है मगर अब तीर उनके हाथ से निकल चुका है।
पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के कार्यक्रम में कहा कि यहां कुछ दल ऐसे हैं जो देश और समाज को विभाजित करने में जुटे हैं। इन लोगों ने मिलकर इंडी अलायंस बनाया है जिसे कुछ लोग घमंडियां गठबंधन भी कहते हैं। इन्होंने अपने मुंबई बैठक के दौरान गठबंधन की रणनीति बनाने के साथ एक छिपा हुआ एजेंडा भी तय कर लिया।
भारतीयों की आस्था पर हमला कर रहा विपक्ष
प्रधानमंत्री मोदी ने सनातन धर्म संबंधी डीएमके नेताओं के बयानों को लेकर कहा कि इस घमंडिया गठबंधन की नीति और रणनीति भारत की संस्कृति पर हमला करने की है। इस गठबंधन का निर्णय है कि भारतीयों की आस्था पर हमला करो।
इस घमंडिया गठबंधन की नीयत है कि भारत को जिन विचारों और संस्कारों ने हजारों साल से जोड़ने का काम किया है,उन्हें तबाह कर दो। देश के कोने-कोने में रहने वाले हर सनातनी और इस देश से प्यार करने वाले लोगों को इस गठबंधन से सतर्क रहने की जरूरत है।
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पार्टी नेताओं को तीखा जवाब देने का संदेश
प्रधानमंत्री ने इससे पूर्व भी सनातन के मुद्दे को लेकर विपक्षी गठबंधन पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने पार्टी नेताओं को इस मुद्दे पर विपक्ष को तीखा जवाब देने का निर्देश भी दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि विपक्ष को भारत नाम से आपत्ति है मगर अपने एक नेता की ओर से सनातन धर्म पर की जा रही टिप्पणियों पर उसे कोई एतराज नहीं है। देश की जनता सब देख रही है और अब यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भाजपा के अन्य प्रमुख नेता भी इस मुद्दे पर मुखर होकर विपक्ष को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सनातन धर्म से जुड़े हुए मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी ने हाल में कहा कि रावण के अहंकार और बाबर व औरंगजेब के अत्याचार से भी सनातन धर्म नहीं मिट पाया था। ऐसे में यह तुच्छ लोग कहां से सनातन धर्म को मिटा पाएंगे। योगी ने हाल में अपने मध्य प्रदेश दौरे के समय भी इस मुद्दे को उठाया था।
पीएम के तेवर से रक्षात्मक मुद्रा में आए स्टालिन
सनातन धर्म के मुद्दे पर पीएम मोदी और अन्य भाजपा नेताओं का तीखा तेवर अब डीएमके और विपक्ष के अन्य दलों के नेताओं पर भारी पड़ता दिख रहा है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इन बयानों से दूरी बनाते हुए कहा है कि संविधान के मुताबिक देश में सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी अब इस मुद्दे पर रक्षात्मक मुद्रा में आ गए हैं।
उन्होंने अपने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सनातन विवाद से दूर रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा इस विवाद को लेकर हथकंडे अपना रही है। इसलिए पार्टी नेताओं को इससे सतर्क रहते हुए इस विवाद से दूरी बना लेनी चाहिए।
स्टालिन के बेटे उदयनिधि और पार्टी के वरिष्ठ नेता ए.राजा के बयानों से ही इस विवाद की शुरुआत हुई थी। उदयनिधि का कहना था कि डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह सनातन धर्म को भी खत्म करना जरूरी है। बाद में डीएम के नेता ए.राजा और शिक्षामंत्री पोनमुदी के बयानों से मामला और बिगड़ गया।
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2024 की जंग के लिए मिला बड़ा हथियार
सियासी जानकारी का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह सनातन के मुद्दे को धार देने की कोशिश में जुट गए हैं,उससे साफ हो गया है कि पार्टी इस मुद्दे को 2024 के सियासी जंग में ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर सकती है। भाजपा नेताओं को इस बात का भी बखूबी एहसास है कि इस मुद्दे पर हमलावर होने के बाद इंडिया गठबंधन में भी फूट पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
शिवसेना, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसीलिए डीएम के नेताओं के बयानों से दूरी बना ली है। विपक्षी दलों के नेता अब सभी धर्मों के सम्मान की बात कहने लगे हैं। उन्होंने खुलकर डीएम के नेताओं के बयानों से असहमति भी जता दी है।
हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग का मिला मौका
हिंदुत्व की सियासी पिच पर खेलना भाजपा को हमेशा से रास आता रहा है और डीएम के नेताओं ने सनातन पर बयानबाजी करके भाजपा को यह मौका मुहैया करा दिया है। अब डीएमके का बैक फुट पर आना इस बात का संकेत है कि पार्टी नेताओं को इस बात का एहसास हो गया है कि उन्होंने भाजपा को हमलावर होने का मौका मुहैया कराकर बड़ी गलती कर दी है।
आने वाले दिनों में पीएम मोदी समेत भाजपा के अन्य शीर्ष नेता भी इस मुद्दे पर सियासी माहौल गरमाने की कोशिश करते हुए दिखेंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में भाजपा नेताओं का तेवर पार्टी के लिए सियासी नजरिए से फायदेमंद साबित हो सकता है।