PM Modi Speech: कच्चाथीवू द्वीप को लेकर कांग्रेस पर क्यों हमलावर हुए PM मोदी, किस नेता ने श्रीलंका को दिया था तोहफे में

PM Modi Speech: प्रधानमंत्री मोदी ने कच्चाथीवू द्वीप की चर्चा की। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष के सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था।

Update:2023-08-11 09:33 IST
PM Modi Speech (photo: social media )

PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए गुरुवार को कांग्रेस पर तीखे हमले किए। उन्होंने कांग्रेस पर मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मां भारती की हत्या की बात कहने वाली कांग्रेस 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' गैंग को बढ़ावा देने में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा तुष्टीकरण की नीति पर चलती रही है और इसी कारण उसने मां भारती के टुकड़े किए हैं।

इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी ने कच्चाथीवू द्वीप की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष के सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था। इस पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन से बाहर जाने वाले लोगों से पूछिए कि यह कच्चाथीवू द्वीप कहां है? आखिर क्या है इसकी कहानी? उन्होंने कहा कि ये लोग सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करके देश को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। देश के लोगों को इनका पुराना इतिहास भी जानना चाहिए।

कांग्रेस पर देश के टुकड़े करने का आरोप

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की ओर से लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि द्रमुक के मुख्यमंत्री मुझे पत्र लिखकर अनुरोध कर रहे हैं कि कच्चाथीवू द्वीप को वापस लाइए। ऐसे में देश के लोगों को जानना चाहिए कि यह कच्चाथीवू द्वीप का कहां है? आखिर किस नेता ने द्वीप के साथ खेल किया था? तमिलनाडु से आगे और श्रीलंका से पहले स्थित इस द्वीप को किस नेता ने किसी दूसरे देश को सौंप दिया था?

उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोगों को बताना चाहिए कि क्या यह द्वीप भारत माता का हिस्सा नहीं था? इसे भी आप लोगों ने ही तोड़ा और हमें गौर करना चाहिए कि उसे समय आखिर कौन था सत्ता में। मोदी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में यह सबकुछ किया गया था। देश के लोगों को यह सच्चाई जानी चाहिए कि कांग्रेस का इतिहास ही देश को छिन्न-भिन्न करने वाला रहा है।

भारत का हिस्सा था कच्चाथीवु द्वीप

ऐसे में कच्चाथीवू द्वीप का इतिहास जानना भी जरूरी है जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने काफी जोर-शोर से जिक्र किया। कच्चाथीवू द्वीप हिंद महासागर में भारत और श्रीलंका के बीच स्थित है। वैसे तो इस द्वीप पर कोई नहीं रहता मगर भारत और श्रीलंका के बीच इस द्वीप को लेकर लंबे समय तक विवाद बना रहा। यह द्वीप 285 एकड़ लंबा-चौड़ा है। यह द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामनद की जमींदारी के अधीन था। अंग्रेजों के भारत की हुकूमत संभालने के बाद यह द्वीप मद्रास प्रेसेडेंसी के अधीन आ गया।

1947 में भारत के आजाद होने के समय यह द्वीप सरकारी दस्तावेजों में भारतीय हिस्से में दर्ज था। हालांकि उस समय भी इस द्वीप को लेकर श्रीलंका के साथ विवाद की स्थिति थी क्योंकि श्रीलंका इस पर अपना अधिकार बताता था। दोनों देशों के मछुआरे इस द्वीप का उपयोग किया करते थे।

इंदिरा गांधी ने सौंप दिया था श्रीलंका को

1974 में इस द्वीप का विवाद सुलझाने की दिशा में कदम उठाया गया और दोनों देशों के बीच दो महत्वपूर्ण बैठते हुईं। 26 जून को कोलंबो और 28 जून को नई दिल्ली में हुई इन बैठकों में कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंपने का फैसला किया गया। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। इंदिरा गांधी ने जिस समय कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंपने का फैसला किया था उस समय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि थे और उन्होंने इंदिरा गांधी के इस फैसले पर तीखा विरोध जताया था।

द्वीप को वापस लेने का तमिलनाडु का दबाव

1976 में भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा को लेकर हुए समझौते ने कच्चाथीवू द्वीप के विवाद को काफी भड़का दिया। 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके इस द्वीप को वापस भारत में मिलने की मांग की गई। एआईएडीएमके की नेता जयललिता ने 2008 में इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था और उनकी ओर से तर्क दिया गया था कि बिना संविधान संशोधन के देश का कोई भी हिस्सा किसी दूसरे देश को नहीं सौंपा जा सकता।

2011 में मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने इस बाबत तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित कराया था। 2014 में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार की ओर से दलील देते हुए कहा था कि कच्चाथीवू द्वीप को एक समझौते के तहत श्रीलंका को सौंपा गया था और अब इसे बिना युद्ध लड़े वापस नहीं लिया जा सकता। हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस द्वीप को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसी पत्र का जिक्र करते हुए कच्चाथीवू द्वीप विवाद का जिक्र किया और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।

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