PM Narendra Modi: मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता, भारत की डिप्लोमेसी को पहुंचाया नेक्स्ट लेवल पर

PM Narendra Modi Birthday Special: प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण को कई मायनों में बदल दिया है। एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए उन्होंने पश्चिम, विशेषकर अमेरिका के साथ अपने देश के संबंधों को फिर से स्थापित किया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-09-17 08:38 IST

पीएम नरेंद्र मोदी ( सोशल मीडिया)

PM Narendra Modi Birthday Special: बीते नौ वर्षों में भाजपा दो आम चुनावों और दर्जनों राज्यों में भारत की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के कारण अगले पांच वर्षों और शायद उससे भी अधिक वर्षों के लिए इस पार्टी का सत्ता पर बने रहना तय लग रहा है। 77 फीसदी की अनुमोदन रेटिंग के साथ, प्रधानमंत्री मोदी अपनी पार्टी की तुलना में दोगुने से भी अधिक लोकप्रिय हैं। वह अब तक दुनिया के सबसे लोकप्रिय निर्वाचित नेता हैं।

बदल दिया भारत का कूटनीतिक नज़रिया 

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण को कई मायनों में बदल दिया है। एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए उन्होंने पश्चिम, विशेषकर अमेरिका के साथ अपने देश के संबंधों को फिर से स्थापित किया है। मोदी ने पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन के प्रति भी अधिक सख्त आक्रामक रुख अपनाया है, और पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में भागीदारों के साथ जुड़ाव बढ़ाया है। मोदी ने मध्य पूर्व के देशों के साथ भी मजबूत गठबंधन बनाए हैं।


2014 के संसदीय चुनावों में भाजपा को बहुमत मिलने के तुरंत बाद पीएम मोदी ने ग्लोबल फलक पर सिक्का जमाना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ और पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई समेत कई क्षेत्रीय नेताओं को आमंत्रित किया।


अमेरिका का दौरा

सितंबर 2014 में पीएम मोदी ने अमेरिका का दौरा किया और न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया। उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी बातचीत की। मोदी की "राजनयिक कुशलता" ने भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी सुर्खियां बटोरीं। बाद के वर्षों में, मोदी ने ओबामा के साथ घनिष्ठ कामकाजी संबंध विकसित किए।


डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद, भारत-अमेरिका संबंध लगातार फलते-फूलते रहे, दोनों देशों ने कई व्यापार और रक्षा सौदों पर मुहर लगाई और संयुक्त सैन्य अभ्यास किया। जो बिडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों के सम्बंध और प्रगाढ़ हुए।

यूरोपीय संघ से निकटता

मोदी की कूटनीति ने यूरोपीय संघ को भी उतना ही मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रधानमंत्री ने 2015 में बर्लिन और पेरिस का दौरा किया और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत की। फ्रांस में मोदी 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री पर गतिरोध तोड़ने में कामयाब रहे।

जहां तक रूस से रिश्तों की बात है तो अमेरिका से प्रगाढ़ता के बावजूद पुतिन से पीएम मोदी के बहुत अच्छे संबंध हैं। यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत रूस व्यापार और आगे बढ़ा है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो पीएम मोदी ने अधिक मुखर होना चुना है। इस दृढ़ता की मिसाल पाकिस्तान में संदिग्ध आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ भारत की "सर्जिकल स्ट्राइक" रही है।

एक्ट ईस्ट नीति

पीएम मोदी ने भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति को और अधिक आक्रामक ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में बदल दिया है, जिसका उद्देश्य बेहतर बुनियादी ढांचे, व्यापार और क्षेत्रीय संस्थानों के माध्यम से भारत को पूर्वी एशिया से जोड़ना है। ‘एक्ट ईस्ट' नीति पीएम मोदी की सबसे बड़ी विदेश नीति है। साफ है कि भारत ने अपनी इंडो-पैसिफिक नीति के माध्यम से क्षेत्र के साथ अधिक व्यापक रूप से जुड़ने का अवसर फिर से हासिल कर लिया है।


विश्लेषकों का कहना है कि एक्ट ईस्ट नीति आर्थिक संबंधों और सुरक्षा हितों को समान महत्व देती है। परिणामस्वरूप, भारत विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा के लिए स्वतंत्र समुद्री नेविगेशन और नियम आधारित व्यवस्था के बारे में अधिक मुखर रहा है। भारत ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मलक्का में स्थित सबांग बंदरगाह के निर्माण के लिए इंडोनेशिया के साथ एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। सबसे ताज़ा उदाहरण भारत - मध्य पूर्व - यूरोप आर्थिक गलियारे पर सहमति का है जो इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।

पीएम मोदी ने भारत की डिप्लोमेसी और विदेश नीति में ऐतिहासिक बदलाव और मजबूती प्रदान की है जिसके चलते भारत अब सुपर पावर के दर्जे पर पहुंच गया है जिसे दुनिया का कोई देश नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।

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