आक्रामक दिखे मोदी, किसान आंदोलन पर खोला विपक्ष का कच्चा-चिठ्ठा

23 दिनों से बैठे किसानों के आंदोलन से उठने वाले सवालों का जवाब शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के किसानों के साथ संवाद के दौरान दिया। ऐसे में मोदी ने कहा कि किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक इसलिए चलाई जा रही है कि पिछले बीस-पच्चीस सालों से किसानों के हित में जिन कानूनों की मांग की जा रही थी।

Update: 2020-12-18 11:16 GMT
23 दिनों से बैठे किसानों के आंदोलन से उठने वाले सवालों का जवाब शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के किसानों के साथ संवाद के दौरान दिया।

लखनऊ। दिल्ली का घेरा डालकर 23 दिनों से बैठे किसानों के आंदोलन से उठने वाले सवालों का जवाब शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के किसानों के साथ संवाद के दौरान दिया। विपक्ष पर आक्रामक दिखे मोदी ने कहा कि किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक इसलिए चलाई जा रही है कि पिछले बीस-पच्चीस सालों से किसानों के हित में जिन कानूनों की मांग की जा रही थी, वह मोदी सरकार ने बनाकर दे दिया है। यह बात विपक्ष को हजम नहीं हो रही है इसलिए किसानों को भडक़ाया जा रहा है।

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किसानों को सबसे ज्यादा एमएसपी का लाभ

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये किसानों से मुखातिब प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच झूठ का जाल फैलाया जा रहा है। उन्हें जमीन जाने का डर दिखाकर लोग अपनी राजनीति चमका रहे हैं। एमएसपी न बंद होगी और न खत्म होगी। उल्टे भाजपा सरकार ने अब तक किसानों को सबसे ज्यादा एमएसपी का लाभ दिया है।

स्वामीनाथन कमेटी ने लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने की सिफारिश की थी। पिछली सरकारों ने कई दशक बीतने के बावजूद ऐसा नहीं किया लेकिन हमारी सरकार ने किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दिलाई और एमएसपी की घोषणा हमेशा फसल बुवाई के समय करने की परंपरा शुरू की। जिससे किसानों को भी मालूम रहता है कि अगली फसल का उन्हें कितना दाम मिलेगा।

मोदी ने कहा कि 2014 से पहले पांच साल में किसानों से केवल डेढ़ लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी गई जबकि हमने 112 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी है। उन्होंने दाल पैदा करने वाले किसानों को महज 650 करोड़ दिए जबकि हमने इस दौरान 50 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

फोटो-सोशल मीडिया

मोदी के भाषण में दिखी किसान आंदोलन की चिंता

प्रधानमंत्री ने फार्मिंग एग्रीमेंट के मुद्दे पर भी स्थितियां स्पष्ट करने की कोशिश की। उनके पूरे भाषण में किसानों के आंदोलन और उनके मुद्दे छाए रहे। किसानों को समझाने के अंदाज में उन्होंने बताया कि विपक्ष की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है कि किसानों की जमीन चली जाएगी। वास्तव में केवल खेती के लिए ही एग्रीमेंट होगा जिसे किसान कभी खत्म कर सकेगा।

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इसी तरह से उन्होंने यह बताने की भी कोशिश की है कि कैसे नए कृषि कानूनों से किसानों को नया बाजार मिलने लगा है जहां उन्हें अच्छे दाम पर उत्पाद बेचने की सुविधा मिल रही है। उन्होंने अपने भाषण में किसानों को सुनहरा सपना दिखाने की कोशिश भी की। उन्होंने बताया कि किसानों को आने वाले पांच सालों के अंदर दस लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होगा।

कृषि उत्पाद प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश बढऩे से किसानों को अपनी फसल का भविष्य में अच्छा मूल्य मिलेगा। इसके बावजूद वह न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी पर कुछ कहने से बचते रहे। अपने पूरे संबोधन में उन्होंने बार- बार इतना ही कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था कभी खत्म नहीं होगी।

अपनी पूरी बात कहने के बावजूद उन्हें शायद यह अहसास है कि किसान इस पूरे मामले में इस कदर आक्रोशित है कि उसे समझाने के लिए आने वाले दिनों में भी संवाद करना जरूरी होगा। इसलिए उन्होंने 25 दिसंबर को पूरे देश के किसानों को संबोधित करने का ऐलान भी किया।

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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

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