RBI 90 Years: '10 साल में जो हुआ वो सिर्फ ट्रेलर है, अभी तो बहुत करना...', RBI कार्यक्रम में बोले PM मोदी

RBI Ceremony 90 Years: आज आप जो नीतियां बनाएंगे, जो काम करेंगे उनसे RBI के अगले दशक की दिशा तय होगी। यह दशक इस संस्थान को उसके शताब्दी वर्ष तक ले जाने वाला दशक है।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-04-01 07:25 GMT

RBI Ceremony 90 Years (सोशल मीडिया)  

RBI 90 Years: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आज आरबीआई एक ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंच गया है। इसने अपने 90 साल पूरे कर लिए हैं एक संस्था के रूप में आरबीआई ने स्वतंत्रता-पूर्व और स्वतंत्रता-पश्चात दोनों समय देखे हैं। RBI अपनी व्यावसायितकता और प्रतिबद्धता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मैं आरबीआई के 90 वर्ष पूरे होने पर आप सभी को बधाई देता हूं। बीते एक दशक में भाजपा सरकार द्वारा देश में किए गए विकास कार्यों की उलब्धि बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आप लोगों ने बीते 10 वर्षों में जो देखा और हुआ वो सिर्फ ट्रेलर है। अभी तो बहुत कुछ करना है, अभी तो हमें देश को बहुत आगे लेकर जाना है।

RBI के 90वें वर्षगांठ में पीएम मोदी का संबोधन

पीएम मोदी ने सोमवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 90वीं वर्षगांठ पर मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए और यहां लोगों को संबोधित भी किया। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास के अलावा अन्य लोगों ने संबोधित किया। उसके बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय जो लोग RBI से जुड़े हैं उन्हें मैं बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं। आज आप जो नीतियां बनाएंगे, जो काम करेंगे उनसे RBI के अगले दशक की दिशा तय होगी। यह दशक इस संस्थान को उसके शताब्दी वर्ष तक ले जाने वाला दशक है। मैं जब 2014 में रिजर्व बैंक के 'अस्सी-वें' वर्ष के कार्यक्रम में आया था, तब हालात एकदम अलग थे। भारत का पूरा बैंकिंग सेक्टर समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। NPA को लेकर भारत के बैंकिंग सिस्टम की stability और उसके भविष्य को लेकर हर कोई आशंका से भरा हुआ था। हालात इस कदर खराब थे कि देश के सरकारी बैंक देश की आर्थिक प्रगाति को जरूरी गाति नहीं दे पा रहे थे। हमारी सरकार ने वहां से शुरुआत की।

क्रेडिट में रिकॉर्ड ग्रोथ, 

उन्होंने कहा कि आज भारत के बैंकिंग सिस्टम को दुनिया में एक मजबूत और टिकाऊ प्रणाली माना जा रहा है, जो बैंकिंग सिस्टम कभी डूबने की कगार पर था, वो बैंकिंग सिस्टम अब प्रॉफिट में आ गया है और क्रेडिट में रिकॉर्ड ग्रोथ दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश देख रहा है- जब नीयत सही होती है, तो नीति सही होती है। जब नीति सही होती है, तो निर्णय सही होते हैं। और जब निर्णय सही होते हैं, तो नतीजे सही मिलते हैं। इसका उदाहरण देश का बैंकिंग सिस्टम से देखा जा सकता है।

युवा Aspiration में आरबीआई का अहम रोल 

पीएम ने कहा कि भारत आज दुनिया के सबसे युवा देश में से एक है। इस युवा Aspiration को पूरा करने में RBI का अहम रोल है। अगले 10 साल के टारगेट को तय करते हुए हमें एक बात और ध्यान रखनी है, और वो है भारत के युवाओं की Aspirations। जिस भी देश की प्राथमिकताएं स्पष्ट हों, उसे विकास करने से कोई रोक नहीं सकता है।

बैंकिंग क्षेत्र की वृद्धि के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी

उन्होंने कहा कि हमने बैंकिंग क्षेत्र की वृद्धि के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा सरकार ने पहचान, संकल्प और पुनर्पूंजीकरण की नीति के साथ काम किया। सरकार ने पीएसबी की स्थिति और शासन संबंधित सुधार करने के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी निवेश की। यह परिवर्तन इसलिए हुआ, क्योंकि हमारे प्रयासों में ईमानदारी और निरंतरता थी। अगर नियत सही हो तो नीतियां सही फल देती हैं।

बैंकों का सकल एनपीए गिरा

कार्यक्रम शामिल आरबीआई के अधिकारियों और आर्थिक नीतियों पर काम करने वालों से पीएम मोदी ने कहा कि देश को ऐसी नीतियां बनाने की जरूरत है, जो कि Ease of Doing Banking बेहतर हो और सभी को उनकी जरूरत के अनुसार Credit Access मिल सके। पीएम मोदी ने बताया कि साल 2018 में बैंकों का सकल एनपीए 11.25 फीसदी पर था, साल 2023 में तीन फीसदी नीचे पहुंच गया है। 'ट्विन-बैलेंस शीट' समस्या अब अतीत की बात हो गई है। बैंक अब 15% की ऋण वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। इन सभी उपलब्धियों में आरबीआई की अहम भूमिका रही है।

डिजिटल लेन-देन की संभावनाओं पर और करना होगा विचार

पीएम मोदी ने कहा कि केवल 10 वर्षों में हमने बैंकिंग क्षेत्र, अर्थव्यवस्था और मुद्रा विनिमय के एक नए युग में प्रवेश किया है। UPI विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मंच बन गया है। यह हर महीने 1200 करोड़ से अधिक लेनदेन रिकॉर्ड करता है। हमें डिजिटल लेनदेन की संभावनाओं पर और अधिक विचार-विमर्श करना होगा। हमें कैशलेस अर्थव्यवस्था के चैनलों की भी निगरानी करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि हम वित्तीय रूप से समावेशी संस्कृति को बढ़ावा दें।

आउट ऑफ द बॉक्स सोचने में शक्तिकांत दास माहिर

उन्होंने कहा कि MSME पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की बैकबोन जैसी है। ऐसे सारे सेक्टर में अलग अलग कर्ज की जरूरत होती है। कोरोना के समय हमने MSME के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम चलाई, उससे इस सेक्टर को बहुत मजबूती दी। RBI को भी आगे आउट ऑफ द बॉक्स पॉलिसी के बारे में सोचना होगा। और मैं देखता हूं, शक्तिकांत दास आउट ऑफ द बॉक्स सोचने में माहिर हैं।

Tags:    

Similar News