प्रशांत किशोर की ऩयी चाल, पस्त होंगे नीतीश-मोदी!
राजनीतिक रणनीतिकार से जेडीयू के जरिए अपना सियासी सफर शुरू करने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार से अलग हो चुके हैं, लेकिन बिहार की सियासत में अब वह नए...
नई दिल्ली। राजनीतिक रणनीतिकार से जेडीयू के जरिए अपना सियासी सफर शुरू करने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार से अलग हो चुके हैं, लेकिन बिहार की सियासत में अब वह नए अवतार में नजर आएंगे।
ये भी पढ़ें- IAS अफसर राजीव बंसल बने एयर इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक
पीके अपनी आगे की राजनीतिक दशा और दिशा पर मंगलवार को पटना में विस्तार से खुलासा करेंगे, लेकिन इससे पहले उन्होंने एक निजी समाचार चैनल में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में वो एक मैनेजर के तौर पर किसी के सारथी नहीं बनेंगे बल्कि एक राजनीतिक योद्धा के तौर पर मैदान में उतरकर मुकाबला करेंगे।
प्रशांत एक पॉलिटिक्ल एक्टिविस्ट के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किए थे
प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा जन्म बिहार में हुआ है ऐसे में मेरा यहां से गहरा नाता है। हमने देश भर में भले ही राजनीतिक मैनेजर के तौर पर काम किया हो, लेकिन बिहार में मैंने एक पॉलिटिक्ल एक्टिविस्ट के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया था। ऐसे में एक बात साफ तौर पर समझ लीजिए कि बिहार में मेरी भूमिका एक मैनेजर की नहीं होगी बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर ही होगी।
हम हारने के लिए नहीं, जीतने के लिए लड़ते हैं
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि पिछले छह सालों में उत्तर प्रदेश को छोड़कर मैं रणनीतिकार के रूप कोई भी चुनाव नहीं हारा हूं। इससे एक बात साफ है कि मैं चुनाव हारने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए उतरता हूं। उन्होंने कहा कि मैं राजनीति से दूर नहीं जाऊंगा बल्कि राजनीतिक सक्रियता को अब और आगे बढ़ाने जा रहा हूं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लिए हमने जो भी खासा प्लान बना रखा है, वो आने वाले दो तीन महीनों में लोगों को साफ दिखाई देगा। इसके अलावा आगे की रणनीति का खुलासा मंगलवार को विस्तार से किया जाएगा और बताया जाएगा कि हम किस प्लान के तहत काम करेंगे।
पीके के खाते में दर्ज हैं ये बड़ी जीत
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जीत का फॉर्मूला गढ़ा। 2015 में बिहार में महागठबंधन की जीत का श्रेय भी पीके को मिला। ऐसे ही आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस की जीत में पीके की प्रचार टीम का अहम रोल था।
इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ का काम किया। फिलहाल पीके की कंपनी पश्चिम बंगाल में टीएमसी और तमिलनाडु में डीएमके के साथ काम कर रही है।
ये भी पढ़ें-SC खोलेगी शाहीन बाग़ का रास्ता: कब तक प्रदर्शन, सरकार और पुलिस देगी जवाब
आप को बता दें कि हाल ही में राजनीतिक गलियारे से छन कर खबर आ रही है कि प्रशांत किशोर ने एक नई राजनीतिक बिसात तैयार की है। उन्होंने कन्हैया कुमार को बिहार में नीतीश कुमार को टक्कर देन के लिए आगामी विधानसभा चुनाव उतारने का मन में बना रहे हैं।
एनआरसी के विरोध में कन्हैया कुमार की पूरे बिहार में जो यात्रा चल रही है
जानकारों का मानना है कि सीएए और एनआरसी के विरोध में कन्हैया कुमार की पूरे बिहार में जो यात्रा चल रही है, उसकी पटकथा प्रशांत किशोर ने ही लिखी है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर एक रणनीति के तहत कन्हैया कुमार को पूरे बिहार में सीएए के विरोध में उतार कर आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिटमस टेस्ट करना चाह रहे हैं।
ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार के बयान पर बोले प्रशांत किशोर- बिहार आकर जवाब दूंगा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं है बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक राजनीतिक प्रयोगशाला भी साबित होने जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, "प्रशांत किशोर ऊंची जाति के हैं और कन्हैया कुमार भी ऊंची जाति के हैं।
बिहार में मंडल और कमंडल की राजनीति को दोनों नेता तोड़ने में कितना कामयाब होगें, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन पिछले कई सालों से दलित और पिछड़ी जातियां ऊंची जातियों पर सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन, दिल्ली में जिस तरह से अरविंद केजरीवाल को जाति से ऊपर उठ कर वोट पड़े हैं।
अगर ऐसा ही वोट दिल्ली में रहने वाले बिहारी वोटर्स बिहार में देते हैं तो यह ऐतिहासिक होगा। हालांकि बिहार के लोग जाति से उठ कर वोट करेंगे ऐसी संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।"