पंजाब कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, सिद्धू को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
पंजाब में हरीश रावत को कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने के बाद राज्य कांग्रेस में भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस के नए प्रभारी रावत से मिले संकेतों के अनुसार पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का सियासी वनवास जल्दी खत्म हो सकता है।
नई दिल्ली: पंजाब में हरीश रावत को कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने के बाद राज्य कांग्रेस में भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस के नए प्रभारी रावत से मिले संकेतों के अनुसार पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का सियासी वनवास जल्दी खत्म हो सकता है। रावत का कहना है कि सिद्धू जल्द ही पार्टी की गतिविधियों में सक्रियता से भागीदारी करना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि कई मोर्चों पर सिद्धू पार्टी को लीड करते भी नजर आएंगे।
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रावत ने सिद्धू को बताया पार्टी का भविष्य
रावत ने चंडीगढ़ पहुंचने के बाद पार्टी के कई विधायकों से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में रावत ने कहा कि वह लगातार सिद्धू के संपर्क में बने हुए हैं। उन्होंने सिद्धू को कांग्रेस का भविष्य बताते हुए कहा कि सिद्धू को राहुल गांधी और प्रियंका के साथ मिलकर देश में लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करने का काम करना चाहिए।
पंजाब की सेवा के लिए आगे आएंगे सिद्धू
पत्रकारों के सवाल के जवाब में रावत ने कहा कि सिद्धू सियासी रूप से काफी समझदार हैं और वे पंजाब की सेवा करने के साथ ही देश की सेवा करने के लिए भी आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि मेरा और सिद्धू दोनों का लक्ष्य एक ही है। हम दोनों मिलकर पंजाब को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।
पंजाब को अभी कैप्टन की जरूरत
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बारे में पूछे जाने पर रावत का कहना था कि कैप्टन तो कैप्टन है,वह जन्म से ही कैप्टन है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन के कांग्रेस का चेहरा होने के सवाल पर रावत ने कहा कि कुछ चीजों का फैसला व्यक्ति को खुद करना होता है।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह काफी अनुभवी नेता हैं और उनके अनुभवों की जरूरत पंजाब के साथ देश को भी है। हाल के दिनों में कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मैदान में उतरने का संकेत दिया गया है।
कैप्टन और सिद्धू में गहरा विवाद
सिद्धू के सियासी वनवास का बड़ा कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनका विवाद बताया जाता है। पुलवामा में हुए हमले के बाद कैप्टन ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उसे सबक सिखाने की बात कही थी तो दूसरी ओर सिद्धू का कहना था कि किसी एक गलती के लिए पूरे मुल्क को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच सियासी तंज कसने का सिलसिला चलता रहा और नाराजगी बढ़ती गई।
कैप्टन ने बदल दिया था सिद्धू का विभाग
दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को मंत्रिमंडल से तो नहीं हटाया मगर उनका विभाग बदल दिया। सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग छीनकर उन्हें बिजली विभाग का मंत्री बना दिया गया था।
कैप्टन के इस कदम से सिद्धू इतना नाराज हुए थे कि उन्होंने कुछ दिनों बाद मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे लगातार सियासी गतिविधियों से दूर बने हुए हैं।
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कांग्रेस के मंचों से दूर रहे सिद्धू
हाल में केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर सिद्धू ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला था। कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के गुस्से का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ छल किया है।
किसानों का समर्थन करने के लिए वे खुद ट्रैक्टर पर सवार होकर धरना देने के लिए निकले थे, लेकिन इस दौरान वे कांग्रेस के मंचों से बहुत दूर रहे। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी आने वाले दिनों में कांग्रेस की ओर से सिद्धू को क्या जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
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