New President Droupadi Murmu: मुर्मू का राष्ट्रपति बनना पहले से कितना अलग, जानिए क्या-क्या हुआ पहली बार

New President Droupadi Murmu: देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ लेने के साथ ही मुर्मू के नाम के साथ पांच रिकॉर्ड भी दर्ज हो गए हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-07-25 10:26 IST

New India President Draupadi Murmu (Image: Newstrack)

Click the Play button to listen to article

New President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति के चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद द्रौपदी मुर्मू (New President Draupadi Murmu) ने आज देश के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाल ली है। संसद के केंद्रीय कक्ष में आज आयोजित भव्य समारोह में उन्होंने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। ओडिशा के मयूरभंज जिले से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं।

देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ लेने के साथ ही मुर्मू के नाम के साथ पांच रिकॉर्ड भी दर्ज हो गए हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि वे कौन सी उल्लेखनीय बातें हैं जो मुर्मू के शपथ लेने के साथ जुड़ी हुई हैं।


देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति

द्रौपदी मुर्मू पहली ऐसी आदिवासी नेता है जो देश के राष्ट्रपति के पद पर पहुंचने में कामयाब हुई हैं। देश में दो दलित नेताओं को इस पद तक पहुंचने का मौका तो जरूर मिला मगर कोई आदिवासी आज तक इस पद पर नहीं पहुंचा था। दो दलित नेता रामनाथ कोविंद और के आर नारायणन ने जरूर देश के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली मगर द्रोपदी मुर्मू इस पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी हैं नेता हैं।

द्रौपदी मुर्मू से पहले प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति होने का गौरव जरूर हासिल है मगर मुर्मू पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले वे 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं।

आजाद भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति

द्रौपदी मुर्मू के साथ एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि वे आजाद भारत में जन्म लेने वाली देश की पहली राष्ट्रपति हैं। उनका जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले के एक संथाल परिवार में हुआ था। अभी तक राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था। 2014 तक देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने वाले सभी नेताओं का जन्म देश को आजादी मिलने से पूर्व हुआ था।

2014 में देश के प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी पहले ऐसे नेता थे जिनका जन्म आजादी मिलने के बाद हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी 17 सितंबर 1950 को पैदा हुए और वे आजाद भारत में जन्म लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले पहले नेता हैं।

New President Droupadi Murmu (photo: social media )

राष्ट्रपति बनने वालों में सबसे युवा

द्रौपदी मुर्मू के साथ एक विशेष बात यह भी जुड़ी हुई है कि वे देश की सबसे युवा राष्ट्रपति हैं। 20 जून 1958 को पैदा होने वाली मुर्मू की आज की तारीख में उम्र 64 साल एक महीना और 8 दिन है। उनसे पहले सबसे युवा राष्ट्रपति का गौरव 1977 में राष्ट्रपति बनने वाले नीलम संजीव रेड्डी को हासिल था। जब वे देश के निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए थे तब उनकी उम्र 64 साल 2 महीना और 6 दिन थी। इस तरह द्रौपदी मुर्मू नीलम संजीव रेड्डी से कम उम्र में ही देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने में कामयाब हुई हैं। अगर देश के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति की बात की जाए तो यह रिकॉर्ड के आर नारायणन के नाम दर्ज है। जिस समय वे राष्ट्रपति चुने गए थे, उस समय उनकी उम्र 77 साल 5 महीना और 21 दिन थी।

ओडिशा से पहली राष्ट्रपति हैं द्रौपदी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की पहली ऐसी नेता है जिन्हें इस शीर्ष पद पर पहुंचने में कामयाबी मिली है। देश में अभी तक चुने गए 14 राष्ट्रपतियों में से 7 का ताल्लुक दक्षिण भारत से था। ओडिशा के एक पिछड़े आदिवासी इलाके में जन्म लेने के बाद मुर्मू इस पद पर पहुंचने में कामयाब हुई हैं।

मुर्मू के ओडिशा से जुड़ा होने के कारण ही उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद ही राज्य के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के मुखिया नवीन पटनायक ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। उनके राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ओडिशा में खासा उत्साह दिख रहा है।

New President Droupadi Murmu (photo: social media )

पार्षद से राष्ट्रपति तक का सफर

देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहली ऐसी नेता हैं जिन्होंने पार्षद से राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया है। 1997 में उन्होंने सियासी मैदान में उतरने का फैसला किया था। हालांकि पहले वे सियासत में आने को तैयार नहीं थी मगर काफी मान मनोव्वल के बाद वे रायरंगपुर के वार्ड 2 से चुनाव लड़ने को तैयार हुई थीं। अपने पहले चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वे पार्षद चुनी गई थीं।

पार्षद चुने जाने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती रहीं। बाद में विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने ओडिशा में मंत्री के रूप में भी विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी संभाली। 2015 से 2021 तक वे झारखंड की राज्यपाल रहीं। वे राज्यपाल पद की जिम्मेदारी संभालने वाली भी देश की पहली महिला आदिवासी हैं। अब उन्होंने देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की जिम्मेदारी संभाली है।

Tags:    

Similar News