सिर्फ ये रेप कांड दोषियों को बचा सकते हैं, जाने कैसे...

निर्भया गैंगरेप केस में दोषी मुकेश सिंह ने फांसी से बचने के लिए अब आखिरी दांव चला है। उसने मंगलवार को राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल की।

Update: 2020-01-14 14:23 GMT

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस में दोषी मुकेश सिंह ने फांसी से बचने के लिए अब आखिरी दांव चला है। उसने मंगलवार को राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल की। इससे पहले मुकेश सिंह को आज ही सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने सजा को कम करने की याचिका को खारिज किया। मामले में चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा।

सजा को कम करने की याचिका खारिज कर दी गई थी

जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में इनकी याचिका खारिज कर दी गई है। फैसले के दौरान जजों ने कहा कि क्यूटेरिव याचिका में कोई आधार नहीं है। जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने ये फैसला दिया है।

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दोषियों के पास सारे कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं। दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति के पास है। राष्ट्रपति ने भी अगर दया याचिका खारिज कर दी तो दोषियों की मौत की सजा तय तारीख पर ही मिलेगी। इस दया याचिका में राष्ट्रपति से मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में बदलने की गुहार लगाई गई है।

राष्ट्रपति के पास सजा माफ करने का अधिकार

संविधान की धारा-72 के अनुसार राष्ट्रपति को ये अधिकार है कि वे सजा माफ कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी कारण को बताने की जरूरत नहीं पड़ती है। ये राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है।

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अब ये दोषियों पर निर्भर करता है कि वे दया याचिका लगाते हैं या नहीं। बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया कांड के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी के लिए डेथ वारंट जारी किया है।

जेल प्रशासन दया याचिका दिल्ली सरकार को भेजेगा

के पास दया याचिका लगाने की प्रक्रिया लंबी है। हालांकि इस मामले में तीव्रता लाने के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल किया जा सकता है। दया याचिका लगाने के लिए सबसे पहले जेल प्रशासन को याचिका दी जाती है। जेल प्रशासन ये याचिका दिल्ली सरकार को भेजता है।

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यहां इस याचिका पर दिल्ली सरकार का गृह मंत्रालय अपनी टिप्पणी करता है। इसके बाद ये याचिका एलजी के पास भेजी जाती है। राष्ट्रपति से गृहमंत्रालय। इसके बाद ये फाइल एलजी को मिलती है। एलजी ऑफिस से ये फाइल दिल्ली सरकार के गृह मंत्रालय को भेजी जाती है। यहां से ये फाइल जेल प्रशासन को भेजी जाती है।

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