आर्टिकल 370 हटाने के विधेयक को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, जानिए क्या होगा अब

जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने और आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने संबंधी विधेयक संसद में बहुमत से पारित हो गया है। मोदी सरकार ने इस विधेयक को पहले राज्यसभा और बाद लोकसभा में पेश किया था।

Update: 2019-08-07 09:39 GMT

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने और आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने संबंधी विधेयक संसद में बहुमत से पारित हो गया है। मोदी सरकार ने इस विधेयक को पहले राज्यसभा और बाद लोकसभा में पेश किया था।

बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने की मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद अब यह विधेयक कानूनी रूप से लागू किया जा सकेगा।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकी सभी खंडों को समाप्त करने की अधिसूचना पर दस्तखत कर दिया है। इसके साथ ही मंगलवार से ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया। अब केंद्र सरकार के सारे कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे।

जम्मू-कश्मीर में संविधान का अनुच्छेद-370 लागू था। इस वजह से राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था। वहां राष्ट्रपति शासन नहीं, बल्कि राज्यपाल शासन लगता था। अब वहां राष्ट्रपति शासन लग सकेगा।

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भारतीय संविधान की धारा 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। वो भी जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता था। अब यहां वित्तीय आपातकाल लागू हो सकेगा। जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

अनुच्छेद-370 हटने के बाद यहां भी विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होगा। संविधान में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्व भी यहां लागू नहीं होते थे। साथ ही कश्मीर में अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता था। गृहमंत्री ने अमित शाह ने कहा कि इस बिल के तहत जम्मू कश्मीर में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। यहां नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर में अलग झंडा और अलग संविधान चलता है। जो अब खत्म हो जाएगा।

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संसद में पास कानून जम्मू कश्मीर में तुरंत लागू नहीं होते थे। शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, मनी लांड्रिंग विरोधी कानून, कालाधन विरोधी कानून और भ्रष्टाचार विरोधी कानून कश्मीर में लागू नहीं था, जो अब लागू हो सकेगा।

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