भारत के 10 जन आंदोलन: जिन्होंने बदल के रख दी देश की तस्वीर, क्या आप जानते हैं

दिल्ली में हुई गैंग रेप की यह घटना में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के साथ गैंग रेप अपराधियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की। इस निर्भया आंदोलन को देश भर में समर्थन मिला और इस आंदोलन के चलते कई सुधार हुए।

Update: 2020-12-27 10:07 GMT
भारत के 10 जन आंदोलन: जिन्होंने बदल के रख दी देश की तस्वीर, क्या आप जानते हैं photos (social media)

नई दिल्ली : भारत में विरोध प्रदर्शनों का लंबा इतिहास देखने को मिलेगा। ये प्रदर्शन चाहे आजादी से पहले के हो या आजादी के बाद के। महात्मा गांधी के स्वदेशी और सत्याग्रह जैसे आंदोलनों के साथ सुभाषचंद्र बोस जैसे कई बड़े नेताओं के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन शामिल रहे हैं। आजादी के बाद भी समय समय पर कई बड़े विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। तो जानते हैं देश के 10 सबसे बड़े आंदोलनों के बारे में।

जेपी आंदोलन 1975

यह आंदोलन इंदिरा गांधी सरकार के इमरजेंसी लगा देने पर किया गया था। आपको बता दें कि जे पी आंदोलन 25 जून 1975 में हुआ था। और इस आंदोलन में देश भर के छात्र आंदोलित हुए थे। जय प्रकाश के नेतृत्व में खासकर यह आंदोलन उत्तर भारत में लाखों की संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए थे। इनमें से हजारों छात्रों को जेल में ठूंसा गया था।

चिपको आंदोलन 1973

जंगल के पेड़ो को बचाने के लिए गांधीवादी विचारधारा पर आधारित इस आंदोलन को देश भर में बड़ी तेजी के साथ समर्थन मिला था। जिसमें महिलाएं पेड़ से चिपक जाती थी और इन पेड़ो को काटने नहीं देती थी। यह आंदोलन सुंदरलाल बहुगुणा और चांदनी प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में हुआ था।

साइलेंट वैली आंदोलन 1973

केरल के पलक्क्ड़ जिले में स्थित सदाबहार घाटी और जंगल को बचाने के लिए कई एक्टिविस्टों और लोगों ने इकठ्ठा होकर आंदोलन शुरू किया था। आपको बता दें कि यह आंदोलन बिजली परियोजना के विरोध में किया गया आंदोलन था।

नामान्तर आंदोलन 1978

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी के नाम को बदल कर डॉ भीमराव आंबेडकर के नाम पर रख दिया था। आपको बता दें कि इस नाम को बदलने के लिए 16 सालों तक आंदोलन करना पड़ा। साल 1994 में यह आंदोलन तब सफल हुआ जब इस यूनिवर्सिटी का नाम डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी किया गया।

नर्मदा बचाओ आंदोलन 1985

समय समय पर नर्मदा बचाओ आंदोलन से कई आदिवासी, किसान और सेलिब्रिटी भी जुड़ते रहे। इसके साथ इस आंदोलन के तहत कई बार भूख हड़ताल और हजारों की संख्या में मार्च होते रहे।

जन लोकपाल बिल 2011

5 अप्रैल 2011 को भ्रष्टाचार के विरोध में एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने दिल्ली के जंतर मंतर पर भूख हड़ताल शुरू की थी। आपको बता दें कि इस आंदोलन में पूरा देश अन्ना हजारे के साथ जुड़ा रहा। और अंत में अंजाम यह हुआ कि शरद पवार जैसे कई मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था।

निर्भया आंदोलन

दिल्ली में हुई गैंग रेप की यह घटना में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के साथ गैंग रेप अपराधियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की। इस निर्भया आंदोलन को देश भर में समर्थन मिला और इस आंदोलन के चलते कई सुधार हुए।

एफटीटीआई आंदोलन

आपको बता दें कि जब केंद्र सरकार ने पुणे स्थित फिल्म और टेलिविजन इंस्टीटूट के चैयरमैन के तौर पर भाजपा से जुड़े अभिनेता गजेंद्र चौहान को नियुक्त कर दिया था जिसकी वजह से संस्था के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस आंदोलन में देश भर के छात्रों का प्रदर्शन मिला था।

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एंटी सीएए प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून के तहत कई प्रदर्शन किए गए थे। आपको बता दें कि इस विरोध में कई महिलाएं और छात्र सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए उतर गए थे। दिल्ली के शाहीन बाग़ में महिलाओं का प्रदर्शन कई दिनों तक दिखा।

किसान आंदोलन 2020

वर्तमान समय में पिछले कुछ हफ्तों से किसान आंदोलन का मुद्दा चिड़ा हुआ है। आपको कि इस आंदोलन में हजारों की तादाद में पंजाब और हरियाणा के किसान इस बिल का विरोध कर रहे हैं।

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