दुर्गेश पार्थसारथी
चंडीगढ़: पंजाब में आम आदमी पार्टी टूट के मुहाने पर है और उसके विधायक एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। यहां तक कि कार्यकर्ताओं की रैली कर शक्ति प्रदर्शन भी किया जाने लगा है।
पंजाब विधान सभा में आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा को हटाकर हरपाल सिंह चीमा को बनाए जाने से इन दिनों पंजाब की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। सुखपाल सिंह खैहरा ने तो एक तरह से दिल्ली नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि दिल्ली में बैठे अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम पंजाब के नेताओं की मर्जी के बिना अपने फैसले थोप रही है।
उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि पार्टी नेतृत्व विधायकों को धमका रही है। खैहरा को पद से हटाए जाने के बाद ‘आप’ के नाराज विधायकों पर पार्टी हाई कमान ने अनुशासनहीनता के आरोप लगा कर कार्रवाई की चेतावनी भी दे डाली है। इसके बावजूद बगावत थमने का नाम नहीं ले रही है। खैहरा ने कहा है कि पार्टी हाइकमान ने पंजाब के 20 विधायकों में से किसी की राय नहीं ली और उन्हें नेता प्रतिपक्ष से हटाए जाने का फैसला सुना दिया।
केंद्रीय नेतृत्व से दो-दो हाथ करने के मूड में उतर आए आप विधायकों का कहना है कि दिल्ली में बैठे नेताओं के फैसलों के कारण ही पार्टी विधानसभा चुनावों में मात्र 20 सीटों पर ही सिमट गई।
आप विधायक बलदेव सिंह, जगतार सिंह, पिरमल सिंह, जगदेव सिंह, नारज सिंह मनहासिया व कवर सिंह संधू ने कहा कि विधान सभा चुनाव के दौरान पार्टी 100 से अधिक सीटों पर चुनाव जीत सकती थी, लेकिन बड़े नेताओं ने स्थानीय नेताओं से विचार-चर्चा किए बिना ही फैसले लिए। इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी मात्र 20 सीटों पर सिमट कर रह गई।
पार्टी की एक अन्य नेता नवजोत कौर ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा एक ट्वीट कर सुखपाल सिंह खैहरा को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटना गैर जिम्मेदाराना व असंवैधानिक है। उन्होंने कहा, ‘पहले सांसद डॉक्टर धर्मवीर गांधी, सुच्चा सिंह छोटेपुर, गुरप्रीत सिंह घुग्गी को हटाया गया और अब खैहरा को। आखिर इनमें कमी क्या थी कि हरपाल सिंह चीमा को विधायक दल का नेता बनाया गया है। दिल्ली के फैसले से पंजाब के पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को ठेस पहुंची है।’
बहरहाल, पंजाब में पार्टी के भीतर जो हालात बने हैं उसे देख कर तो यही लगता है कि ‘आप’ दो फाड़ होने के कगार पर है।