जनादेश- 2019: अमेठी में इस बार राहुल गांधी की राह आसान नहीं

Update: 2019-03-20 06:59 GMT
जनादेश- 2019: अमेठी में इस बार राहुल गांधी की राह आसान नहीं

असगर नकी

अमेठी। कांग्रेस की दबदबे वाली अमेठी सीट पर इस बार भाजपा से पार पाना उसके लिए आसान नहीं होगा। 2014 में हार के बाद भी स्मृति ईरानी के अमेठी में डटे रहने व गठबंधन की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने की खबर ने कांग्रेसियों की नींद उड़ा रखी है। उम्मीद है कि भाजपा इस बार भी स्मृति ईरानी को ही चुनाव मैदान में उतारेगी। पिछले दिनों पीएम मोदी भी अमेठी पहुंचे। भाजपा की नजर इस प्रतिष्ठा वाली सीट पर गड़ी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार राहुल को यहां चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

गठबंधन प्रत्याशी की सुगबुगाहट

अब यहां से गठबंधन का प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने की भी सुगबुगाहट है। ऐसे में राहुल के लिए 2019 में अमेठी की राह कांटों भरी हो सकती है। वैसे अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और दो उपचुनावों में कांग्रेस ने 16 बार यहां जीत का परचम लहराया है। सिर्फ दो बार उसे हार का सामना करना पड़ा। 1977 में भारतीय लोकदल और 1998 में भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

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पिछले चुनाव में कम अंतर से जीते थे राहुल

बात अगर 2014 के चुनाव की हो तो इस चुनाव में राहुल गांधी को 4 लाख 8 हजार 651 वोट मिले थे। स्मृति ईरानी को 3 लाख 748, बीएसपी के धर्मेन्द्र प्रताप सिंह को 57 हजार 716 व आप के कुमार विश्वास को 25 हजार 527 वोट मिले थे। यह राहुल गांधी की सबसे कम वोट से जीत थी। वर्ष 2009 के चुनाव की अगर बात करें तो राहुल ने 3 लाख 50 हजार से भी ज्यादा के अंतर से चुनाव जीता था। उन्हें 4 लाख 64 हजार 195 वोट मिले थे। दूसरे पायदान पर रहे भाजपा के प्रदीप कुमार को 37 हजार 570 वोट मिले थे। राहुल गांधी जब पहली बार 2004 में चुनाव मैदान में उतरे थे तो उन्होंने बसपा प्रत्याशी चंद्रप्रकाश मिश्रा को 2,90, 853 वोटों के अंतर से हराया था।

 

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