Modi Surname Case Update: मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक

Modi Surname Case Update: गुजरात के सूरत सेशन कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी संसद सदस्यता जा चुकी है। 23 मार्च को इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।

Update: 2023-08-04 06:14 GMT
Rahul Gandhi Defamation Case (photo: social media )

Modi Surname Case Update: राहुल गांधी की याचिका पर मोदी सरनेम मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस नेता को मिली 2 साल की सजा पर रोक लगा दी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मामले में अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि भाषण देते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए, उम्मीद है वे आगे ऐसा करेंगे। इसी के साथ राहुल गांधी अब संसद के मानसून सत्र में हिस्सा ले सकेंगे।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी की ओर से सीनियर वकील महेश जेठमलानी पेश हुए। वहीं, राहुल गांधी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। तीन जजों की पीठ ने शिकायतकर्ता से पूछा कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई ? कम सजा भी जा सकती थी। सजा 1 साल 11 महीने की हो सकती थी। वे डिसक्वालिफाई नहीं होते। तीन घंटे तक चली बहस में राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मानहानि का केस करने वाले पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं है। उन्होंने ये सरनेम बाद में अपनाया है। सिंघवी ने कहा कि 13 करोड़ लोगों की यह छोटी सी मोदी कम्युनिटी है। इसमें कोई एकरूपता नहीं है। इनमें जो लोग राहुल के बयान से खफा हैं और केस कर रहे हैं, वो भाजपा के दफ्तर में हैं। ये आश्चर्य की बात है।

पिछली सुनवाईयों में क्या हुआ ?

सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की याचिका पर दो बार सुनवाई हो चुकी है। जस्टिस बीआर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पहली सुनवाई 21 जुलाई को की थी। इस दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से पेश हुए सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मानसून सत्र का हवाला देते हुए कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग की थी। इस पर अदालत ने कहा था कि वह दूसरे पक्ष को सुने बिना अंतरिम राहत प्रदान नहीं कर सकते। पीठ ने 2 अगस्त को दोनों पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।

2 अगस्त को इस मामले पर दोबारा सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट के आदेश के मुताबिक, राहुल गांधी पर मानहानि का केस ठोंकने वाले बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने 21 पन्नों का जवाब पेश किया। जिसमें उन्होंने कहा कि मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी का रवैया अहंकारी है, इसलिए उनकी याचिका रद्द कर देनी चाहिए। वहीं, राहुल गांधी की ओर से कोर्ट में पेश किए जवाब में कहा गया कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग हुआ है। माफी मांगने पर मुझे अहंकारी कहा गया है, जो निंदनीय है।

क्या है मानहानि का पूरा मामला ?

साल 2019 के आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर विराजमान राहुल गांधी अपनी सभाओं में देश के भगोड़े कारोबारियों का नाम ले-लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला करते थे। 11 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक ऐसी ही चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंन कहा था, ‘एक छोटा सा सवाल है - इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी कैसे हैं ? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी थोड़ा ढूंढेंगे तो बहुत सारे मोदी मिलेंगे’।

इसी बयान के आधार पर गुजरात के बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने सूरत की कोर्ट में राहुल गांधी को मानहानि के मामले में घसीट लिया था। जिस पर चार साल बाद कोर्ट का फैसला आया। कांग्रेस नेता ने ठीक इसी तरह का बयान झारखंड की राजधानी रांची में भी एक चुनावी सभा के दौरान दिया था। वहां भी उनके खिलाफ मानहानि का केस चल रहा है। इसके अलावा इस मामले में एक अन्य केस बिहार की राजधानी पटना में भी चल रहा है, जिसके शिकायतकर्ता बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी हैं।

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