Rajasthan Politics: आखिर क्यों अपनी ही सरकार के लिए मुसीबत बन रहे राहुल, सोशल मीडिया पर भी साधा जा रहा निशाना
Rajasthan Politics: राजस्थान में पैदा हुए सियासी संकट ने कांग्रेस नेतृत्व के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों ने जिस तरह बागी तेवर दिखाए हैं, उससे शीर्ष नेतृत्व की साख को भी धक्का लगा है।
Rajasthan Politics: राजस्थान में पैदा हुए सियासी संकट ने कांग्रेस नेतृत्व के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों ने जिस तरह बागी तेवर दिखाए हैं, उससे नेतृत्व की साख को भी धक्का लगा है। वैसे सियासी जानकार इस संकट के लिए कांग्रेस नेतृत्व और खास तौर पर राहुल गांधी को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट गुट से खींचतान के बावजूद राजस्थान में गहलोत सरकार काफी अच्छे ढंग से चल रही थी मगर राहुल ने गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनाने की योजना के जरिए अपनी ही सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर दी।
सोशल मीडिया पर भी राजस्थान संकट की खूब चर्चा हो रही है और विभिन्न प्लेटफार्मों पर यूजर्स इस संकट के लिए राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं। इससे पहले पंजाब में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की तमाम आपत्तियों के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राहुल गांधी आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ कर चुके हैं। कैप्टन के बाद मुख्यमंत्री बने चरणजीत सिंह चन्नी से भी सिद्धू के छत्तीस के रिश्ते थे और आखिरकार पंजाब भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया था।
राजस्थान को छेड़ने की नहीं जरूरत
राजस्थान कांग्रेस में पैदा हुए संकट के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की अदावत किसी से छिपी हुई नहीं है। 2020 में पायलट ने गहलोत के खिलाफ अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत भी की थी। बाद में राहुल और प्रियंका से बातचीत के बाद सचिन ने सुलह जरूर कर ली थी मगर गहलोत के साथ उनके रिश्ते कभी सहज नहीं बन सके। इसी कारण राजस्थान में सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावनाओं के बीच गहलोत समर्थक विधायकों ने बागी तेवर अपना लिया जिसे लेकर कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई है।
राजस्थान में अपने समर्थक विधायकों के इस बागी तेवर के पीछे गहलोत की ही बड़ी भूमिका मानी जा रही है। सचिन पायलट का रास्ता रोकने के लिए उन्होंने ही पर्दे के पीछे से बड़ा खेल कर डाला। अब राजस्थान में हुए इस सियासी बवाल के बाद राहुल गांधी भी निशाने पर आ गए हैं। दरअसल जानकारों का मानना है कि जब राजस्थान में सबकुछ दुरुस्त चल रहा था तो ऐसे में वहां नेतृत्व परिवर्तन की बात सोचना मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा ही था।
राजस्थान संकट से भाजपा को मिला मौका
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस में जिस तरह की गुटबाजी उजागर हुई है,उससे कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को भी धक्का लगा है। राजस्थान में लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस के बीच हर पांच साल पर सत्ता बदलती रही है। कांग्रेस का राजस्थान किला ध्वस्त करने के लिए भाजपा चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है जबकि कांग्रेस नेता आपसी गुटबाजी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में ही जुटे हुए हैं।
जानकारों का मानना है कि राजस्थान में सिर पर चुनाव होने के कारण वहां नेतृत्व के मुद्दे को छूने की कोई जरूरत नहीं थी मगर राहुल गांधी ने गहलोत को पार्टी की कमान सौंपने और सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाने की योजना पर काम करने की कोशिश की। इस तरह उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर दी।
सोशल मीडिया पर भी राहुल पर निशाना
सोशल मीडिया पर भी राजस्थान प्रकरण की खूब चर्चा हो रही है। कांग्रेस समर्थक और कांग्रेस के प्रति सॉफ्ट रवैया रखने वाले यूजर्स भी इस संकट के लिए अपने नेतृत्व को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। उनका मानना है कि चुनाव नजदीक होने के कारण इस समय राजस्थान को छेड़ने की जरूरत नहीं थी मगर राहुल ने वहां पर भी बड़ा खतरा मोल ले लिया। नेतृत्व के इस अपरिपक्व फैसले ने राजस्थान में भाजपा की राह आसान करने का ही काम किया है। इस संकट के लिए खास तौर पर राहुल गांधी को ही निशाना बनाया जा रहा है।
पंजाब में भी पैदा की थी मुसीबत
राजस्थान से पहले पंजाब में भी राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी की सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर दी थी। दरअसल तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू को किसी भी सूरत में प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के लिए तैयार नहीं थे। फिर भी कांग्रेस नेतृत्व की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। बाद में कैप्टन और सिद्धू के बीच तकरार ऐसी स्थिति में पहुंच गई कि दोनों का साथ काम करना मुश्किल हो गया।
कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद नए मुख्यमंत्री बनने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के साथ भी सिद्धू की पटरी कभी नहीं बैठ सकी। दोनों नेताओं के बीच खींचतान के चलते पार्टी में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई जिसका खामियाजा कांग्रेस को पंजाब में करारी शिकस्त के रूप में भुगतना पड़ा। राजस्थान में संकट पैदा होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग पंजाब संकट की याद दिलाते हुए भी राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं।