युद्धक टैंक दहलाएंगे सीमा: ताकतवर पुलों से हुई राह आसान, दुश्मन तक पहुंचेगा भारत
44 पुलों के जरिये देश के सबसे भारी युद्धक टैंकों की आवाजाही आसान हो जायेगी। इनमें से 30 पुल लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पड़ते हैं।
लखनऊ: भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद से देश ने सीमा सड़क निर्माण कार्य में तेजी लाइ तो वहीं करीब अब तक बीआरओ द्वारा निर्मित 44 पुलों की आज औपचारिक शुरुआत की। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इन 44 पुलों का उद्धाटन किया। बता दें कि सीमा सड़क संगठन (BRO) कुल 102 पुल बना रहे हैं। इन्ही में से 44 पुलों की शुरुआत से भारतीय सेना को अधिक बल मिला। इन पुलों के जरिये देश के सबसे भारी युद्धक टैंकों की आवाजाही आसान हो जायेगी। इनमें से 30 पुल लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक वास्तविक नियंत्रण रेखा के रास्ते में पड़ते हैं। ये सभी पल क्लास 70 के हैं।
44 पुलों का उद्धाटन, 30 पुल लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक
बता दें, देशभर में सभी स्थायी पुल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन मतलब कि बीआरओ(BRO) ने बनाकर तैयार किए है। बीआरो द्वारा निर्मित इन 44 पुलों मे से 10 जम्मू-कश्मीर की सीमा में हैं।
इनमें से 7 पुल लद्दाख में, 2 पुल हिमाचल प्रदेश में, 4 पुल पंजाब में, 8 पुल उत्तराखंड में, 8 पुल अरूणाचल प्रदेश में और 4 पुल सिक्किम में है। सबसे अहम बात ये है कि इन सभी 44 पुलों का उद्घाटन एक ही दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया है।
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पुलों के जरिये देश के सबसे भारी युद्धक टैंकों की आवाजाही आसान
इस ऐतिहासिक क्षण के दौरान हिमाचल प्रदेश, पंजाब, अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के मुख्यमंत्री सहित जम्मू कश्मीर और लद्दाख के उप-राज्यपाल भी मौजूद रहें। साथ ही बीआरओ के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह भी शामिल रहें।
आपको बता ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की अलग-अलग सरहदों यानी सीमाओं पर बने इतनी बड़ी तादाद में पुलों का एक साथ उद्घाटन किया गया।
ऐसे में बीते चार महीने से चीन से तनातनी के चलते बीआरओ दिन-रात एक करके सीमाओं की नदी-नालों पर पुलों का निर्माण कर रही है। वहीं इन में से 22 अकेले चीन सीमा पर जाने के लिए तैयार किए गए हैं।
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इसके चलते चीन के लिए ये एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं इनमें से एक पुल हिमाचल प्रदेश के दारचा में तैयार किया गया है। जो लगभग 350 मीटर लंबा है।
चीन को तगड़ा झटका
चीन से बीते कई महीनों से चल रहा टकराव पूर्वी लद्दाख के लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अभी भी बरकरार है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि रोहतांग टनल के जरिए सेना की सप्लाई लाइन पूर्वी लद्दाख के जरिए खुली रही।
इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर भी चीनी सेना की गतिविधियां अभी इन दिनों काफी बढ़ गई हैं। तो हालातों को देखते हुए सेना की मूवमेंट क लिए इन पुलों की काफी अहमियत है।
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