Lok Sabha Election 2024: क्या राम मंदिर ने मोदी की तीसरी सरकार का रास्ता पक्का कर दिया !
Lok Sabha Election 2024: इतिहास गवाह है कि भाजपा ने जब से राम मंदिर आंदोलन को अपने एजेंडे व घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया। तब से उसकी राजनैतिक हैसियत में इज़ाफ़ा
Lok Sabha Elections 2024: बीते बाइस जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम लाल के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का अधिष्ठान पूरा कर दिया। अयोध्या में राम लला का मंदिर श्रद्धालुओं व भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। पर इस मंदिर के लिए जिस तरह समूचे भारत में जन जागरण हुआ। मसलन, कभी शिला पूजन हुआ, कलश यात्राएँ निकली, हर घर अक्षत वितरण हुआ, देश भगवा मय हुआ, धार्मिक माहौल हर ओर दिखने लगा आदि इत्यादि। उससे तमाम लोग यह कहने में गुरेज़ नहीं किये कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल कर भाजपा ने नरेन्द्र मोदी की तीसरी सरकार का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया है। जान बूझ कर ऐसा समय चुना गया। यही नही, जिस तरह इतने बड़े कार्यक्रम से विपक्षी नेताओं ने दूरियाँ बनाईं, उससे तो इस आयोजन को सियासी चश्मों से देखने की ज़रूरत आन पड़ी। किसी मंदिर के इतने व्यापक तौर पर संपन्न हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शरीक होने वाले पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बने। यह भी कहा जा सकता है कि इस शो के एक बड़े चेहरे के रुप में उभरे। जल्द चुनाव कराने की अटकलें भी ज़ोर पकड़ने लगीं।
हालाँकि यह कहने वालों की भी कमी नहीं है कि धर्म व राजनीति का गड्डमगड ठीक नहीं। भाजपा धर्म व राम को वोट के लिए प्रयोग कर रही है। बीते तीन दशक से भाजपा राम मंदिर आंदोलन से सियासी लाभ लेती आ रही है। पर इस हकीकत से भी आँख नहीं चुराया जा सकता है कि राजनीति में धर्म अनिवार्य है। यह पहले भी होता रहा है। हाँ, धर्म में राजनीति नहीं करनी चाहिए ।यह जो कुछ हुआ वह राजनीति का धर्म ही कहा जाना चाहिए । हाँ, इस राजनीति के धर्म में मुठ्टी भर लोगों को बुरी लगनी वाली बात केवल यह हो सकती है कि यहाँ मुख्यधारा में बहुसंख्यकवाद है।
इतिहास गवाह है कि भाजपा ने जब से राम मंदिर आंदोलन को अपने एजेंडे व घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया। तब से उसकी राजनैतिक हैसियत में इज़ाफ़ा लगातार जारी है। इस आंदोलन को 1984 में हाथ में लेने से पहले भाजपा के केवल दो सांसद थे। उसे केवल 7.74 फ़ीसदी वोट मिले थे। इसके बाद भाजपा को 1989 में 11.36 फ़ीसदी वोट और 85 सीटें हाथ लगी। 1991 में 20.11 फ़ीसदी वोट और 120 सीटें मिलीं। 1996 में 20.29 फ़ीसदी वोट और 161 सीटें हाथ लगी। 1998 में 25.59 फ़ीसदी वोट और 182 सीटें मिलीं। 1999 में 23.75 फ़ीसदी वोट और 182 सीटें ही फिर बात लगीं। 2004 में 22.16 फ़ीसदी वोट और 138 सीटें मिलीं। 2009 में 18.80 प्रतिशत वोट और 116 सीटें हाथ लगीं। 2014 में 31.34 प्रतिशत वोट और 282 सीटें मिली। 2019 को लोकसभा चुनाव में 37.46 फ़ीसदी वोट मिले और 303 सांसद विजयी हुए।
लोकनीति व सीएनडीएस द्वारा जारी आँकड़े बताते हैं कि 2014 व 2019 में देश में रोज़ाना मंदिर जाने वाले 51 फ़ीसदी और जो रोज मंदिर नहीं जाते उनमें से 32 फ़ीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया। आँकड़े साफ़ कहते हैं धार्मिक लोगों की भाजपा पहली पसंद बन कर उभरी। हालाँकि यह कहने वालों की भी कमा नहीं है कि जब ढाँचा ढहा था। तब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार को सत्ता में लौटने का अवसर नहीं मिला था। ऐसे में यह कैसे माना जाये कि मंदिर मुद्दे में सत्ता वापसी की मंत्र अंतर्निहित है। लेकिन यह कहने वालों को ढाँचा विध्वंस के बाद के चुनाव के नतीजों को गंभीरता से देखना ज़रूरी होगा। 1992 में 6 दिसंबर को ढाँचा गिरा। 1993 में चुनाव हुए इस चुनाव में कल्याण सिंह की अगुवाई में भाजपा को 177 सीटें तथा 33.30 फ़ीसदी वोट मिले। भाजपा का यह स्कोर तब था जब सपा व बसपा मिल कर चुनाव लड़े थे। पर इन दोनों दलों को एक जुट होने के बाद भी भाजपा से एक कम सीट हाथ लगी थी। बसपा के 67 विधायक जीतने में कामयाब हुए। जबकि मुलायम सिंह यादव की सपा को 109 विधायक जीते। इन दोनों दलों को क्रमशः 11.12 व 17.94 फ़ीसदी वोट मिले। ये दोनों मिलकर 29.06 फ़ीसदी बैठते हैं। भाजपा ये तकरीबन 3.25 फ़ीसदी कम। 1991के चुनाव में जब भाजपा ने 208 सीटें जीती थीं। तब उसे 31.45 फ़ीसदी ही वोट मिले थे।
आज जब धार्मिक माहौल 1990 और 1992 से कहीं ज़्यादा सघन और व्यापक है। उस समय के धार्मिक माहौल में ग़ुस्सा था। जोश था। जोश में कारसेवकों ने होश खो दिया। आज के माहौल में उल्लास है। उमंग है। जोश में होश हैं। रणनीति है। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले हर घर अक्षत अभियान ने भारत के उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम सभी ओर अपनी पहुँच बनाई है। बढ़ाई है। आज मंडल व कमंडल आमने सामने नहीं हैं। भाजपा ने पिछड़ों को जनसंघ के दौर के ब्राह्मण व बनिया की तरह ही जोड़ लिया है। दलितों में भी बाल्मीकी, पासी, धोबी, कोरी समेत ग़ैर जाटव वोटर भाजपा के धार्मिक रुझान के साथ पैबंदस्त हैं। तभी तो नरेंद्र मोदी के यू ट्यूब से एक करोड़ दस लाख लोगों ने मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखा।
जबकि प्रधानमंत्री के यू ट्यूब पर इस देखने वालों की तादाद बारह लाख थी।भाजपा के यू ट्यूब पर पचास लाख अस्सी हज़ार देखते मिले। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स की बात करे तो नरेंद्र मोदी के इस प्लेटफ़ार्म पर भी पचास लाख दस हज़ार लोग कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे। जबकि पीएमओ के एक्स पर दस लाख तीस हज़ार और भाजपा के एक्स पोस्ट पर एक लाख चौवालीस हज़ार लोगों ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम देखा।
इसी के साथ नरेंद्र मोदी की गरीब कल्याण योजनाओं का भी असर कम नहीं है। आज भाजपा धर्म व गरीब कल्याण के सियासी एजेंडे पर चल रही है। भाजपा की रीढ़ कहे जाने वाले संघ, बजरंगदल, विश्व हिंदू परिषद समेत तमाम अन्य धार्मिक व समाजसेवी संस्थाओं ने मिलकर देश में जाति से धर्म को बड़ा मुद्दा बना दिया है। कभी भाजपा को छोड़ बाक़ी के सब के सब सियासी दल मुसलमान व इस्लाम के ख़तरे में होने के बात कह कर अपनी रोटी सेंकते थे। तो आज हिंदुओं के मन में यह पैठ गया है। लव जेहाद ने भी इस नम: स्थिति बनाने में काफ़ी मदद की है।
चूँकि राम मंदिर को भाजपा और संघ आदि ने मिलकर राजनीतिक नहीं धार्मिक मुद्दा बनाने और हिंदू अस्मिता से जड़ने में कामयाबी हासिल कर के दिखा दिया है, इसलिए विपक्षी नेताओं का अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा में जाने का निमंत्रण न स्वीकार करना भारी पड़ने वाला है। क्योंकि मंदिर मुद्दे ने मंहगाई व बेरोज़गारी जैसे तमाम अन्य मुद्दों से बढ़त ले ली है। वैसे भी इन मुद्दों को उठाने में विपक्ष की दिलचस्पी जनता को नहीं दिखती है। विपक्षी ज़्यादातर राजनेता ईडी और सीबीआई द्वारा उनके या उनके दल के नेताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का रोना रोते नहीं अघा रहे हैं। लेकिन वे यह नहीं समझा पा रहे हैं कि जहां भी ये जाँच एजेंसियाँ जा रही हैं, वहाँ से करोड़ों रुपये नक़दी के तौर पर क्यों और कैसे निकल रहे है। इसी की वजह से आम जनता इन जाँच एजेंसियों द्वारा की जा रही कार्रवाई पर इनके प्रति सहानुभूति नहीं रख पा रही है।
जब विपक्ष गठबंधन की गाँठ बांधने और खोलने में व्यस्त हैं। सीटों की साझेदारी को लेकर सिर फुटव्वल कर रहा है, तब विहिप व संघ ने अक्षत अभियान के मार्फ़त देश के पाँच लाख गाँवों तक पहुँचने और हर घर तक अक्षत पहुंचाने को अभियान को अंजाम दे दिया। ग़ौरतलब है कि 2011की जनगणना के अनुसार देश में कुल 6,40,867 गाँव हैं। इसी के साथ विकसित भारत संकल्प यात्रा ने गाँव गाँव पहुँच कर मोदी सरकार के कामकाज की याद लोगों के ज़ेहन में ताज़ा कर दी है। शुक्रिया मोदी भाई जान अठारह से चालीस साल की मुसलमान औरतों को तीन तलाक़ की पीड़ा से राहत दिलाने और लाभार्थियों को मोदी के किये काम से अवगत कराने का जो बहाना बना है, उसका नतीजा भी 2024 को लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। मोदी ने केंद्र सरकार की योजनाओं के मार्फ़त अपने लिए एक बिलकुल नया लाभार्थी क्लास क्रियेट किया है। हम देखते हैं इन योजनाओं के माध्यम से मोदी सरकार कितने लोगों तक पहुँचने में कामयाब हुई है।
ग्राम्य विकास की योजनायें
- अमृत सरोवर –67,503 अब तक बने।
- प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण – 2,94,55,190 यूनिट्स बनीं ।
महिला एवं बाल विकास
- पोषण अभियान (मिड डे मील) – 10,10,89,751 लाभार्थी।
- प्रधानमंत्री मात्र वंदना योजना - 3,48,29,628 लाभार्थी ।
स्वास्थ्य मंत्रालय
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना - 5,72,23,985 मुफ्त इलाज हुए ।
- ई संजीवनी - 16,79,16,539 मरीजों को इलाज ।
आवास एवं शहरी विकास
- प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना - 1,18,90,000आवास मंजूर हुए ।
जल शक्ति मंत्रालय
- जल शक्ति अभियान के लिए - 14,25,984 लाख करोड़ रुपये खर्च।
- हर घर जल - 13,28,25,818 नल कनेक्शन ।
श्रम मंत्रालय
- पीएम श्रम योगी मान धन योजना - 49,61,665 लोगों का नामांकन
पंचायती राज ।
- स्वामित्व स्कीम - 1,25,00,000 प्रॉपर्टी कार्ड बांटे गए ।
इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय
- नेशनल स्कोलरशिप पोर्टल - 1,35,17,000 आवेदकों का नाम दर्ज ।
पेट्रोलियम मंत्रालय
- उज्ज्वला योजना - 9,58,59,418 एलपीजी कनेक्शन ।
वित्त मंत्रालय
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना - 16,19,00,000 लोगों के नाम दर्ज।
- पीएम सुरक्षा बीमा योजना - 34,18,00,000 लोगों के नाम दर्ज।
- अटल पेंशन योजना - 5,00,00,007 लाभार्थी।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना - 50,56,00,000 लाभार्थी।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना - 43,57,60,741 लोन मंजूर।
केंद्रीय कैबिनेट
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर - 32,33,595 करोड़ रूपये ट्रान्सफर किये गए ।
बिजली मंत्रालय
- उजाला योजना - 36,86,87,558 एलईडी बांटे गए।
कृषि मंत्रालय
- पीएम फसल बीमा योजना - 37,66,00,000 किसनों के आवेदन दर्ज।
- नेशनल एग्रीकल्चर मार्किट - 1,76,27,904 किसान पंजीकृत।
- पीएम् किसान सम्मान निधि - 11,27,80,670 लाभार्थी किसान ।
कहने वाले कह सकते हैं कि हर सरकार अपने अपने हिसाब से रोज़गार, समाज कल्याण आदि से जुड़ी योजनाएँ चलाती है। फिर मोदी सरकार में ऐसा क्या है कि लाभार्थी क्लास उन्हें ही वोटरों। इसका सीधा सा उत्तर है कि मोदी से पहले जो भी सरकारें ऐसे जन कल्याणकारी काम करती थी, तो उनमें कोई न कोई बिचौलिया ज़रूर होता था। पर मोदी ने इन सब योजनाओं को केंद्र व लाभार्थी से सीधे जोड़ दिया। बिचौलियों को ख़त्म कर दिया। इसलिए हर लाभार्थी नरेंद्र मोदी के नाम व काम दोनों को जानने लगा है। मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं है। जब कि इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं को भ्रष्टाचार के आरोप में अंदर बाहर आते जाते जनता देख रही है।
सोशल मीडिया भी आज की तारीख़ में किसी की भी लोकप्रियता मापने का एक बड़ा मानदंड है। तो ऐसे में मोदी और इंडिया गठबंधन के नेताओं के सोशल मीडिया पर उपस्थिति व सक्रियता को भी जाँचना परखना चाहिए ।
फेसबुक (List of Popular Politicians On Facebook)
नरेन्द्र मोदी - 4 करोड़ 90 लाख फालोवर।
राहुल गाँधी - 69 लाख फालोवर।
एमके स्टालिन - 30 लाख फालोवर।
अखिलेश यादव - 81 लाख फालोवर।
ममता बनर्जी - 51 लाख फालोवर।
नीतीश कुमार - 20 लाख फालोवर।
शिवराज सिंह चौहान - 51 लाख फालोवर।
अरविन्द केजरीवाल - 92 लाख फालोवर।
एक्स पर - (List of Popular Politicians On Twitter)
नरेन्द्र मोदी - 9 करोड़ 49 लाख फालोवर।
राहुल गाँधी - 2 करोड़ 48 लाख फालोवर।
अरविन्द केजरीवाल - 2 करोड़ 73 लाख फालोवर।
अखिलेश यादव - 1 करोड़ 91 लाख फालोवर।
एमके स्टालिन - 37 लाख फालोवर।
नितीश कुमार - 85 लाख फालोवर।
शिवराजसिंह चौहान - 92 लाख फालोवर।
इन्स्टाग्राम (List 40 Popular Politicians On Instagram)
नरेन्द्र मोदी - 8 करोड़ 63 लाख फालोवर।
राहुल गाँधी - 55 लाख फालोवर।
अरविन्द केजरीवाल - 18 लाख फालोवर।
अखिलेश यादव - 12 लाख फालोवर।
एमके स्टॅलिन - 15 लाख फालोवर।
शिवराज सिंह चौहान - 45 लाख फालोवर।
इसी के साथ भाजपा ने हर बूथ से पाँच राम भक्तों को दर्शन करने के काम को भी अंजाम देने में जुटी है। राम भक्त के लाने व दर्शन कराने का ज़िम्मा इलाक़े सांसद व विधायक का होगा। पच्चीस हज़ार लोगों के ठहरने की व्यवस्था अयोध्या के टेंट सीटी में की गई है। इस टेंट सीटी में भोजन का ज़िम्मा अयोध्या के मठों व मंदिरों ने सँभाल रखा है। भाजपा के नेताओं को गाँव में एक रात्रि प्रवास का काम भी फ़रवरी में पूरा कर लेना है। तैयारियाँ यह बता रही हैं कि भाजपा अब तक अपने सारे रिकार्ड तोड़ दें तब भी किसी को कोई हैरत नहीं होनी चाहिए ।