राम मंदिर ट्रस्ट: कल्याण सिंह और उमा भारती ने उठाई ये बड़ी मांग

राम मंदिर के लिए गठित 15 सदस्यीय ट्रस्ट में एक दलित समुदाय से ट्रस्टी का होना जरूरी रखा गया है जबकि ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू धर्मावलंबी से होना अनिवार्य बनाया गया है।

Update:2020-02-07 19:25 IST

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की। राम मंदिर के लिए गठित 15 सदस्यीय ट्रस्ट में एक दलित समुदाय से ट्रस्टी का होना जरूरी रखा गया है जबकि ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू धर्मावलंबी से होना अनिवार्य बनाया गया है।

राम मंदिर ट्रस्ट के 15 सदस्यों में 9 स्थाई और 6 पदेन सदस्य होंगे। ट्रस्ट के डीड में ही 9 स्थाई सदस्यों के नाम दे दिए गए हैं, जिनमें एक दलित जातीय और आठ ब्राह्मण समुदाय के लोगों को जगह मिली है। अब ट्रस्ट के मौजूदा स्वरूप को लेकर सवाल और विवाद होने लगे हैं। अब ट्रस्ट में ओबीसी समुदाय के सदस्य बनाने की मांग उठी है।

राम मंदिर आंदोलन में शामिल रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और अयोध्या आंदोलन का चेहरा रहीं उमा भारती ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में ओबीसी समुदाय के एक सदस्य को शामिल किए जाने की मांग की है। बीजेपी के ये दोनों नेता ओबीसी समुदाय से आते हैं और राम मंदिर आंदोलन में इनकी अहम भूमिका रही है।

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पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को गिरने की नैतिक जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने कहा कि सरकार को राम मंदिर ट्रस्ट में एक दलित के साथ किसी ओबीसी को भी शामिल करना चाहिए। देश में ओबीसी की संख्या सबसे ज्यादा है, ऐसे में मंदिर ट्रस्ट में कम से कम एक ओबीसी को भी शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने साफ किया है कि वो खुद ट्रस्ट का हिस्सा नहीं बनना चाहते, लेकिन एक ओबीसी को जरूर लिया जाए।

राम मंदिर आंदोलन में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती ने कहा कि ओबीसी समुदाय के किसी एक व्यक्ति को राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व ओबीसी समुदाय ने किया था, जिनमें खुद से लेकर कल्याण सिंह और विनय कटियार शामिल थे। ऐसे में एक ओबीसी को ट्रस्ट में जगह मिलनी चाहिए।

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राम मंदिर ट्रस्ट के स्थाई सदस्य

-ट्रस्ट में सुप्रीम कोर्ट के वकील के परासरण (ब्राह्मण) अयोध्या मामले में 9 साल हिंदू पक्ष की पैरवी की।

-जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज (ब्राह्मण) बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य।

-जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज (ब्राह्मण) कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के निधन के बाद पदवी संभाली।

-युगपुरुष परमानंद जी महाराज (ब्राह्मण) अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख. वेदांत पर उनकी 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।

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-स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज (ब्राह्मण) महाराष्ट्र के अहमद नगर में 1950 में जन्म हुआ। रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं।

-विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा (ब्राह्मण) अयोध्या राजपरिवार के वंशज हैं। रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी।

-श्री कामेश्वर चौपाल (दलित) अयोध्या आंदोलन से जुड़े रहे हैं। कारसेवक के तौर पर 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका और दलित होने के नाते उन्हें यह मौका दिया गया।

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-महंत दिनेंद्र दास (ब्राह्मण) अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के प्रमुख हैं।

-डॉ. अनिल मिश्र (ब्राह्मण) मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी अनिल अयोध्या के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर हैं. वो होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं. मिश्रा ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अभी संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं.

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