अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए क्या है ट्रस्ट का प्लान? यहां जानें पूरी बात

राम मंदिर निर्माण के लिए धन जुटाने के लिए देश के प्रत्येक राज्य के कोने-कोने में घर-घर जाकर लोगों से संपर्क किया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान-निकोबार, रण कच्छ, त्रिपुरा में लोगों को ऐतिहासिक सच्चाई से रूबरू कराया जाएगा।

Update:2020-12-15 13:15 IST
अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह के लिए जो मुहिम चलाई जा रही है उस मुहिम को नाम दिया गया है श्री राम मंदिर संग्रह निधि अभियान।

लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गांव से लेकर शहर तक जनसंपर्क से दान जुटाया जाएगा। इसके लिए रुपये 10, 100 और 1000 के कूपन उपलब्ध रहेंगे।

दान में मिली रकम का इस्तेमाल मंदिर निर्माण के काम में किया जाएगा। साथ ही करोड़ों घरों में भगवान के दिव्य मन्दिर का चित्र भी पहुंचाया जाएगा।

ये जानकारी श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट करके दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम तेज कर दिया गया है।

राम मंदिर निर्माण के लिए आयोजित पूजा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(फोटो: सोशल मीडिया)

5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नींव की ईंट रखे जाने के बाद से मंदिर निर्माण के काम में तेजी आई है। मंदिर बनाने का काम लार्सन ऐंड टूब्रो कंपनी को दिया गया है। इसके साथ टाटा कंसल्टेंसी सलाहकार के रूप में काम करेगी।

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एल एंड टी कम्पनी करेगी मंदिर निर्माण

राम मंदिर निर्माण का काम एल एंड टी कम्पनी को सौंपा गया है। संपूर्ण मंदिर पत्थरों से निर्मित होगा। जो तीन मंजिला होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी।

मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी। मंदिर का फर्श भूतल से 16.5 फीट ऊंचा होगा। इसके अलावा भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी।मंदिर निर्माण में सलाहकार के रूप में टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर को जिम्मेदारी दी गई है।

भूकंप का नहीं होगा इस मंदिर पर कोई असर

ये मंदिर पूरी तरह से भूकंपरोधी होगा। भूकंप का इसका तनिक भी असर नहीं पड़ेगा। इसे बनाने में अभी से इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण किया जा रहा है। साथ ही भविष्य के लिए संभावित भूकंप के प्रभाव की भी स्टडी की जा रही है।

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कई साल पुराने पत्थरों का होगा इस्तेमाल

मंदिर की जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पाई गई है। गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में एक हजार सालों के आयु वाले पत्थरों को मंदिर में लगाया जाएगा।

मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत और टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के इंजीनियर आपस में सलाह-मशविरा कर रहे हैं। शीघ्र ही नींव का प्रारूप तैयार कर निर्माण काम शुरू कर दिया जाएगा।

अयोध्या (फोटो: सोशल मीडिया)

गांव से लेकर शहर तक जाकर जुटाया जाएगा दान

मंदिर निर्माण के लिए धन जुटाने के लिए देश के प्रत्येक राज्य के कोने-कोने में घर-घर जाकर लोगों से संपर्क किया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान-निकोबार, रण कच्छ, त्रिपुरा में लोगों को ऐतिहासिक सच्चाई से रूबरू कराया जाएगा।

इसके लिए लाखों कार्यकर्ता गांव और मोहल्लों में जाएंगे। इस दौरान लोग स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि (धन) समर्पित करेंगे।

इसकी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए 10 रुपये, सौ रुपए और 1000 रुपये के कूपन और रसीद बनाए गए हैं। करोड़ों घरों में भगवान के मन्दिर चित्र पहुंचेंगे। दान जुटाने के लिए जनसंपर्क कार्यक्रम की शुरुआत मकर संक्रांति से की जाएगी।

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