श्रीराम के नाम पर उर्मिला का जीवन समर्पित, 28 साल से नहीं गया है पेट में अन्न का दाना

मध्य प्रदेश के जबलपुर निवासी एक बुजुर्ग उर्मिला देवी की तपस्या अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर अब पूरी होने वाली है। वे 28 साल से राम नाम का जप करते हुए उपवास कर रही हैं।

Update: 2020-08-02 03:29 GMT
उर्मिला चतुर्वेदी, जबलपुर

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर निवासी एक बुजुर्ग उर्मिला देवी की तपस्या अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर अब पूरी होने वाली है। वे 28 साल से राम नाम का जप करते हुए उपवास कर रही हैं। उनका संकल्प था कि राम मंदिर बनेगा तभी उनका उपवास टूटेगा। इस संकल्प के तहत उन्होंने अन्न का त्याग कर रखा था। वे फलाहार लेती हैं। अब 81 साल की उम्र में उनकी तपस्या पूरी हो रही है।

रोज़ राम नाम का जाप

छह दिसंबर 1992 को अयोध्या का विवादित ढांचा ढहने के बाद उन्होंने मंदिर निर्माण नहीं होने तक अन्न त्याग का संकल्प लिया था, जो अभी भी जारी है। उस वक्त उर्मिला की उम्र करीब 53 साल थी, और आज 81 साल। तब से उन्होंने अन्न ग्रहण नहीं किया और केवल फलाहार कर रहीं हैं।उर्मिला के घर में राम दरबार हैं जहां वो रोज़ बैठकर राम नाम का जाप भी करती हैं।

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जब 5 अगस्त को मन्दिर का भूमिपूजन होने जा रहा है तो उर्मिला चतुर्वेदी की इच्छा है कि अयोध्या में रामलला के दर्शन करके ही वो अपना संकल्प खोलें, ऐसा मुमकिन होता नहीं दिख रहा क्योंकि 5 अगस्त को अयोध्या में किसी भी बाहरी का जाना मना है ऐसे में परिवार का कहना है कि घर पर बैठकर कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट देखने के बाद इनका संकल्प पूरा कराने की कोशिश की जाएगी।

पिछले 28 सालों से बिना अन्न के जीवन बिता रही उर्मिला चतुर्वेदी का कहना है कि उनका बहुत मन था कि भूमिपूजन वाले दिन वो अयोध्या जाए, रामलला के दर्शन करें लेकिन ये मुमकिन नहीं है क्योंकि वहां सिर्फ आमंत्रण मिलने पर ही जाना है।उनका कहना है कि उनका संकल्प तो पूरा हो ही गया अब उनकी बस इतनी इच्छा है कि अयोध्या में थोड़ी सी जगह मिल जाए ताकि बाकी जीवन वो वहां बिता सकें।

 

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संकल्प के साथ उर्मिला देवी का ज्यादातर समय पूजा-पाठ और रामायण पढ़ने में बीतता है। पिछले कई सालों से उनकी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया है। सुबह जल्दी उठ कर पूजा करने के बाद घर के बच्चों के साथ समय बिताती हैं और उसके बाद रामायण पढ़तीं हैं, इतने साथ से रामायण गीता का पाठ करने की वजह से रामायण की चौपाइया कंठस्थ हो गई है।

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