मदर टेरेसा को 'भारत रत्न' मिला, क्योंकि वो ईसाई थीं, देश में हिंदू होना गुनाह है क्या?: रामदेव
बाबा रामदेव ने आरोप लगाते हुए कहा कि मदर टेरेसा को 'भारत रत्न' इसलिए दिय गया, क्योंकि वह ईसाई थीं। लेकिन संन्यासियों को यह पुरस्कार नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या भारत में हिंदू होना गुनाह है?
नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' को लेकर योगगुरु बाबा रामदेव ने एक बारि केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। बाबा रामदेव ने आरोप लगाते हुए कहा कि मदर टेरेसा को 'भारत रत्न' इसलिए दिय गया, क्योंकि वह ईसाई थीं। लेकिन संन्यासियों को यह पुरस्कार नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या भारत में हिंदू होना गुनाह है?
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'70 सालों में एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया'
रामदेव ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीते 70 सालों में एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया गया, चाहे वह महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद या शिवकुमार स्वामी ही क्यों न हों। देश को बड़ा योगदान देने वाले इन संन्यासियों को भी भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए था।
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'इस देश में हिंदू होना गुनाह है क्या?'
योग गुरु ने कहा, 'महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद का योगदान राजनेताओं या कलाकारों से कम है क्या? आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला? मदर टेरेसा को दे सकते हैं, क्योंकि वह ईसाई हैं, लेकिन संन्यासियों को नहीं, क्योंकि वे हिंदू हैं, इस देश में हिंदू होना गुनाह है क्या?'
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इससे पहले शनिवार को भी बाबा रामदेव ने कहा था, 'पिछले 70 सालों में किसी भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं मिला है। कई संन्यासी ऐसे हैं, जिन्होंने भारत रत्न पाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। यह दुर्भाग्य है कि किसी भी संन्यासी को आज तक भारत रत्न से गौरवान्वित नहीं किया गया है।'