परिवारवाद पर होती है जजों की नियुक्ति, जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने पीएम को लिखा पत्र

रंगनाथ ने पत्र में लिखा हैं - हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में वंशवाद और जातिवाद हावी हैं। न्यायधीश के परिवार से ही अगला न्यायधीश होता हैं। साथ ही रंगनाथ ने पत्र में यह भी लिखा कि न्यायधीशों की नियुक्ति का कोई निश्चित मापदंड नही है।

Update: 2019-07-03 04:23 GMT
justice rangnath

नई दिल्ली : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर जजों की नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा है कि जजों की नियुक्ति में कोई निश्चित मापदंड नहीं है और प्रचलित कसौटी सिर्फ परिवारवाद और जातिवाद है।

पत्र में लिखी ये बात

रंगनाथ ने पत्र में लिखा हैं - हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में वंशवाद और जातिवाद हावी हैं। न्यायधीश के परिवार से ही अगला न्यायधीश होता हैं। साथ ही रंगनाथ ने पत्र में यह भी लिखा कि न्यायधीशों की नियुक्ति का कोई निश्चित मापदंड नही है। न्यायपालिका की गुणवत्ता लगातार संकट पर पड़ने की स्थिति में है।

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जजों का चयन होता है बंद कमरों में

जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों का चयन बंद कमरों में चाय की दावत पर किया जाता है, जिसका मुख्य आधार जजों की पैरवी और उनका पसंदीदा होना ही है। जस्टिस पांडेय ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में न्यायपालिका की गरिमा फिर से बहाल करने की मांग की है।

जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने चिट्ठी में लिखा है, 'पिछले दिनों माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों का विवाद बंद कमरों से सार्वजनिक होने का प्रकरण हो, हितों के टकराव का विषय हो, अथवा सुनने की बजाय चुनने के अधिकार का विषय हो, न्यायपालिका की गुणवत्ता और अक्षुण्णता लगातार संकट में पड़ने की स्थिति रहती है। आपके स्वयं के प्रकरण में री-ट्रायल का आदेश सभी के लिए अचंभित करने जैसा रहा।'

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पीएम मोदी से रंगनाथ का अनुरोध

जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने आगे लिखा, 'महोदय क्योंकि मैं स्वयं बेहद साधारण पृष्ठभूमि से अपने परिश्रम और निष्ठा के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा में चयनित होकर न्यायाधीश और अब उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त हुआ हूं। अतः आपसे अनुरोध करता हूं कि उपरोक्त विषय को विचार करते हुए आवश्यकता अनुसार न्याय संगत तथा कठोर निर्णल लेकर न्यायपालिका की गरिमा पुनर्स्थापित करने का प्रयास करेंगे।

जिससे किसी दिन हम यह सुनकर संतुष्ट होंगे कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आया हुआ व्यक्ति अपनी योग्यता परिश्रम और निष्ठा के कारण भारत का मुख्य न्यायाधीश बन पाया।'

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