हर दिन होता है सड़कों पर चीर-हरण फिर भी चैन से सोते हैं मासूमों के खून से रंगे कातिल

Rape Cases: देश में हर दिन और शायद हर घंटे एक बलात्कार की घटना होती है। महिलाओं के खिलाफ अपराध ये राज्य अव्वल हैं।

Written By :  Snigdha Singh
Update: 2024-08-12 08:36 GMT

Rape in India (Photo: Social Media)

Rape Cases in India: जान की भीख, दर्द की कराह और चीर हरण... देश में ऐसी चीखें सड़कों पर हर रोज गूंजती हैं। लेकिन कितनी कमाल की बात है न कि ये चीखें न तो हम आप सुन पाते हैं और न शासन-प्रशासन। यदि ये चीख प्रशासन सुनता भी तो उतनी ही तेजी से इन दर्द की कराहों को दबाने की कोशिश करता है ताकि सबकी नौकरियां बरकरार रहे। वहीं जब ये चीख कभी हमारे और आप तक पहुंचती है तो बस छः महीने या साल भर में किसी एक के लिए। यही वजह है कि पिछले साल के आंकड़ों में बलत्कार घटने के बजाय बढ़ गए।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानि एनसीआरबी के अनुसार पिछले तीन सालों में देश में रेप केस के मामले बढ़ हैं। आंकड़े के अनुसार भारत में एक दिन में औसतन 87 रेप की घटना होती हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार यहां एक दिन में 5.6 रेप के मामले सामने आते हैं। वहीं महिला के खिलाफ अपराध में उत्तर प्रदेश अव्वल है। भले ही भाजपा की योगी सरकार बड़े बड़े दावे करती हो लेकिन एनसीआरबी का डाटा हकीकत का आयना दिखा रहा है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले सालों के मुकाबले रेप के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 



क्या देश में रेप के उंगलियों पर गिने केस

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हत्या के बाद रेप मामले को लेकर देशभर में डॉक्टर से लेकर छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दोषी के खिलाफ जल्द से जल्द सजा की मांग कर रहे हैं। अब तक उंगलियों पर गिने चुने ही केस हैं जिसे लेकर लोगों ने आवाज उठाई है। परिणाम ये रहा कि दोषिय़ों को सजा मिली। दिल्ली के निर्भया केस में भी दोषियों को फांसी की सजा तक पहुंचाया। वहीं हैदराबाद की वेटनरी डॉक्टर के आरोपी का एनकाउंटर हो गया था। कई ऐसे मामले हुए जिनको लेकर लोगों ने आवाज उठाई तो कार्रवाई हुई जबकि कुछ पीड़ितायें ऐसी हैं जो एफआईआर के लिए भटकती रहती हैं।      

हकीकत बयां करते ये आंकड़ें

बलात्कार भारत में महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे आम अपराध है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 31677 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, या औसतन 86 मामले प्रतिदिन, 2020 के 28046 मामलों से वृद्धि हुई, जबकि 2019 में 32033 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं महिला अपराध के खिलाफ अकेले 2022 में 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो हर घंटे लगभग 51 एफआईआर के बराबर है, डेटा 2021 और 2020 की तुलना में गंभीर वृद्धि को उजागर करता है। 2021 और 2020 में, उत्तर प्रदेश में इस श्रेणी में 56,083 और 49,385 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान (40,738 और 34,535), महाराष्ट्र (39,526 और 31,954), पश्चिम बंगाल (35,884 और 36,439), और मध्य प्रदेश (30,673 और 25,640) थे।

कुल 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपराध दर राष्ट्रीय औसत 66.4 से अधिक दर्ज की गई। सूची में दिल्ली 144.4 के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद हरियाणा (118.7), तेलंगाना (117), राजस्थान (115.1), ओडिशा (103), आंध्र प्रदेश (96.2), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (93.7), केरल (82), असम (81) हैं। मध्य प्रदेश (78.8), उत्तराखंड (77), महाराष्ट्र (75.1), और पश्चिम बंगाल (71.8)। एनसीआरबी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अपराध की दर - जिसने अकेले भारत में लगभग 15 प्रतिशत मामलों का योगदान दिया - 58.6 थी।

कहां कितने दर्ज हुए रेप के मामले, देखें दर

राज्यमामलेदर (%)
राजस्थान634216.4
मध्य प्रदेश2947-
असम183510
उत्तर प्रदेश2845-
दिल्ली-12.9
अरुणाचल प्रदेश-11.1
महाराष्ट्र2506-

कानूनों में करना पड़ा बदलाव

दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया रेप मामले के बाद बलत्कार के क़ानून में बदलाव किए गए। आपराधिक क़ानून (संशोधन) अधिनियम 2013 में रेप की परिभाषा को विस्तृत किया गया। रेप की धमकी देने को अपराध बताया गया और अगर ऐसा करता कोई व्यक्ति पाया जाता है तो उसके लिए सज़ा का प्रावधान किया गया है। बढ़ते रेप के मामलों को देखते हुए न्यूनतम सज़ा को सात साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। अगर मामले में पीड़िता की मौत हो जाती है या उनका शरीर वेजीटेटीव स्टेट यानी निष्क्रिय स्थिति में चला जाता है तो उसके लिए अधिकतम सज़ा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है। इसके अलावा मौत की सज़ा का भी प्रावधान किया गया है।

वहीं, अगर कोई बच्चा जो 16 साल की उम्र पूरी कर चुका हो या उससे ज़्यादा उम्र का हो और उस पर ऐसे जघन्य अपराध का आरोप लगता है तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से ऐसे बच्चे का मानसिक और शारीरिक आकलन करवाया जा सकता है और उसके आधार पर भारतीय दंड संहिता में सज़ा का प्रावधान किया गया है। 

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