वैवाहिक संबंध में हो रहे बलात्कार, कानून को लेना चाहिए इस पर तगड़ा एक्शन
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार भारत में हर 16 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है, और हर 4 मिनट में उसे वर्तमान में अपने ससुराल वालों से मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है।
लखनऊ: भारत केवल 36 देशों में से एक है जहां यह अंतरंग हमला पूरी तरह से कानूनी अपराध है। वैवाहिक बलात्कार को बढ़ावा देने वाले कानून को तत्काल बंद किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार भारत में हर 16 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है, और हर 4 मिनट में उसे वर्तमान में अपने ससुराल वालों से मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है। पिछले कुछ सालों से औरतों के साथ घरेलू हिंसा बढ़ती जा रही है, जिसके साथ साथ औरतें मानसिक रूप से प्रताड़ित कि जा रही हैं, और साथ ही अब उनके जिस्मों के भी साथ खेला जा रहा है। वैवाहिक बलात्कार घरेलू हिंसा से बहुत ऊपर और अपराधिक भी है।
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वैवाहिक बलात्कार केवल भारत की औरतों के लिए समस्या नहीं है
वैवाहिक बलात्कार केवल भारत की औरतों के लिए समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में हर औरत इसका शिकार हो रही है। लगभग 100 देशों में से सबसे ज्यादा शिकायत विकसित देशों में है। लेकिन उन विकसित देशों में वैवाहिक बलात्कार के लिए एक सज़ा तय कि गई है, ताकि उन सभी औरतों के साथ न्याय किया जा सके, जो कि वैवाहिक हिंसा का शिकार हो हुई हैं। लेकिन भारत उन 36 देशों में से है जहां वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं बताया गया है। और यह बहुत ही दुख की बात है। वैसे तो भारत में 100 से ज्यादा संशोधन किए जा चुके हैं, लेकिन इतने बड़े अपराध को अभी तक अनदेखा किया जा रहा।
औरतों के साथ शारीरिक हिंसा उसके ससुराल वाले करते हैं
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 2015-16 की रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में घरेलू हिंसा के 90% रिपोर्ट दर्ज होते ही नहीं है। इससे भी शर्मनाक बात यह है कि 99.1% वैवाहिक बलात्कार के भी अपराध रिपोर्ट दर्ज नहीं होते। और आज वैवाहिक बालात्कार हमारे देश में सबसे बड़ा अपराध और समस्या बनते जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार औरतों के साथ शारीरिक हिंसा उसके ससुराल वाले करते हैं। और यह रिपोर्ट भी दर्ज नहीं होने दिया जाता।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार कोई भी शादी के बाद शारीरिक संबंध एक दूसरे की असहमति से बनाता है तो वह एक अपराध है, लेकिन भारत में धारा 325 या कोई भी कानून अभी तक ऐसा नहीं बना है जो कि वैवाहिक बलात्कार को परिभाषित कर सके।
इसीलिए अभी तक शादी के बाद भी महिलाओं को शारीरिक हिंसा में कोई भी सुरक्षा नहीं दी गई है जिसकी वजह से वह आज भी मानसिक व शारीरिक प्रताड़ित हो रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शारीरिक हिंसा, घरेलू हिंसा या यौन उत्पीड़न से संबंधित कानूनों में किए गए संशोधन महिलाओं की रक्षा के लिए अभी तक अप्रभावी ही हैं।
100 से अधिक देशों में औरतें वैवाहिक हिंसा का शिकार हो रही हैं
वैवाहिक संबंध में पत्नी को उचित सहमति के बिना यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का कार्य, एक अन्यायपूर्ण है। आज, यह 100 से अधिक देशों में औरतें वैवाहिक हिंसा का शिकार हो रही हैं। और भारत उन 36 देशों में से एक है, जहां अभी भी वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण नहीं हुआ है। 2013 में, महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र की समिति (CEDAW) ने सिफारिश की कि भारत सरकार को वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण करना चाहिए।
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कानूनविद यह समझने में विफल रहते हैं कि एक विवाह को एक पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरन बलात्कार करने के लिए एक लाइसेंस के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। एक विवाहित महिला को अपने जीवन में उतनी ही स्वतंत्र है जितनी की अविवाहित महिला होती है।
किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं होना चाहिए।
रिपोर्ट- प्रिया सिंह बिसेन
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