RBI Monetary Policy: क्या होता रेपो रेट, कैसे निर्धारित करता लोन का घटना और बढ़ना? जानें सब कुछ

RBI Monetary Policy: मौद्रिक नीति एक ऐसी नीति होती है जिसके माध्यम से किसी देश का मौद्रिक प्राधिकरण विशेषकर उस देश का सेंट्रल बैंक उस देश की अर्थव्यवस्था के अंदर ब्याज की दरों के नियंत्रण के माध्यम से मुद्रा की पूर्ति को नियमित और नियंत्रित करता है

Update: 2022-08-05 09:21 GMT

What is Repo R (image social media)

Repo Rate: मौद्रिक नीति एक ऐसी नीति होती है जिसके माध्यम से किसी देश का मौद्रिक प्राधिकरण विशेषकर उस देश का सेंट्रल बैंक उस देश की अर्थव्यवस्था के अंदर ब्याज की दरों के नियंत्रण के माध्यम से मुद्रा की पूर्ति को नियमित और नियंत्रित करता है ताकि वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी से बचा जा सके अर्थव्यवस्था को विकास की दिशा में ले जाया सके। सामान्य भाषा में मुद्रा से संबंधित समस्य नीतियों को मौद्रिक नीति की संज्ञा दी जाती है। भारत की मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई करता है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति का उद्देश्य 

देश में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने और आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए धन की मात्रा का प्रबंधन करना है। आरबीआई खुले बाजार के संचालन, बैंक दर नीति, आरक्षित प्रणाली, क्रेडिट नियंत्रण नीति, नैतिक अनुनय और कई अन्य उपकरणों के माध्यम से मौद्रिक नीति को लागू करता है। इनमें से किसी भी उपकरण का उपयोग करने से ब्याज दर में परिवर्तन होगा, या अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में परिवर्तन होगा। 

क्या होता रेपो रेट और कैसे होता निर्धारण 

रेपो रेट वो दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक से बैंकों को कर्ज मिलता है। इस तरह रेपो रेट के बढ़ने पर बैंकों को आरबीआई से महंगा लोन मिलता है। जिसके कारण बैंक भी आम लोगों को महंगे दर पर लोन देती है। जब महंगाई काफी अधिक होती है तो रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में कैश फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी। 

इस लिए बढ़ाई गई रेपो रेट दर

इसी प्रकार जब अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ते दर पर लोन मिलता है। उदाहरण के लिए कोरोनाकाल में अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई थी, मांग कम होने से आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थी। तब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटाकर इकोनॉमी में कैश फ्लो बढ़ा दिया था। 

मौद्रिक नीति समिति बैठक के फैसला

बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रेपो रेट में बढोतरी का ऐलान किया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट 0.50 % बढ़ने की जानकारी दी। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 4.90 प्रतिशत से बढ़कर 5.40 प्रतिशत हो गई है। अब इसका असर होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ईएमआई पर दिखने वाला है। आपको अब अधिक ईएमआई चुकानी होगी।

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