कर्जे में डूबी Reliance: ऋणमुक्त होने के लिए अब करने जा रही ऐसा

आरआईएल राइट्स इश्यू लाने पर विचार कर रही है। कंपनी के फैसले पर अंतिम निर्णय बोर्ड की मीटिंग के दौरान 30 अप्रैल 2020 को लिया जायेगा।

Update: 2020-04-28 09:44 GMT

नई दिल्ली: पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर भी करोड़ों का कर्ज है। अब कंपनी इस कर्ज से बचने के लिए कुछ अलग करने की सोच रही है। दरअसल आरआईएल राइट्स इश्यू लाने पर विचार कर रही है। कंपनी के फैसले पर अंतिम निर्णय बोर्ड की मीटिंग के दौरान 30 अप्रैल 2020 को लिया जायेगा। इस बात की जानकारी कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज की दी। बोर्ड बैठक में मौजूदा शेयरधारकों को राइट्स के आधार पर इक्विटी शेयर जारी करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।

कंपनी के आधे शेयर मुकेश अंबानी के पास

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से जानकारी देते हुए बताया गया कि गुरुवार को होने वाली बोर्ड बैठक में 31 मार्च 2020 को समाप्त हुई चौथी तिमाही के स्टैंडअलोन और कंसोलिडेटिड वित्तीय परिणामों को भी मंजूरी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त रिलायंस के शेयरधारकों को दिए जाने वाले डिविडेंड पर भी विचार किया जाएगा। वर्त्तमान समय में रिलाएंस के 23 लाख शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में हैं। जिनमें से आधे शेयर मुकेश अंबानी और उनके परिवार के पास हैं।

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फिलहाल रिलाएंस की ओर से अभी तक शेयर बाजारों को राइट्स इश्यू से सम्बंधित कोई जानकारी नहीं प्रदान की गई है। वहीं मंगलवार को 11.40 बजे बीएसई पर कंपनी का शेयर 27.80 अंक यानी 1.94 फीसदी की गिरावट के साथ 1402.50 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। इस दौरान कंपनी का बाजार पूंजीकरण 8,89,276.22 लाख करोड़ रुपये था।

3.5 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी है रिलाएंस

गौरतलब है कि देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलाएंस इंडस्ट्रीज पर मौजूद समय में करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। जिसके विषय में पिछले साल केश अंबानी ने कहा था कि उनकी कंपनी 18 महीने यानी मार्च 2021 तक पूरी तरह से कर्जमुक्त हो जाएगी। इसके लिए राशि जुटाने की दिशा में कंपनी हरसंभव प्रयास कर रही है।

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इस महीने की शुरुआत में रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड ने नॉन-कन्वर्टेबल डिबेंचर (एनसीडी) के जरिए 25 हजार करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और अब कंपनी 29 साल बाद राइट इश्यू के जरिए सार्वजनिक रूप से धन जुटाने की योजना बना रही है। साल 1991 में रिलायंस ने कन्वर्टेबल डिबेंचर्स के जरिए धन जुटाया था और बाद में इन डिबेंचर्स को 55 रुपये की दर से इक्विटी शेयर में बदल दिया था।

ये होता है राइट्स इश्यू का मतलब

कारोबार से नहीं जुड़े बहुत से लोगो को ये समझ में नहीं आ रहा होगा कि ये राइट्स इश्यू होता क्या है। काफी लोगों के मन में इसको लेकर सवाल होगा। तो आइये यहां हम आपको बताते हैं कि आखिर राइट्स इश्यू होता क्या है। दरअसल पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियां राइट्स इश्यू लाती हैं।

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राइट्स इश्यू के जरिए कंपनियां अपने मौजूदा शेयरधारकों को ही अतिरिक्त शेयर खरीदने के लिए मंजूरी देती हैं। शेयरधारक एक निश्चित अनुपात में शेयर खरीद सकते हैं, जो कंपनी तय करती है। यानी शेयरधारक कंपनी की ओर से तय अवधि में राइट्स इश्यू के तहत शेयर खरीद सकते हैं। हालांकि इसके जरिए कंपनी के मालिकाना हक पर कोई असर नहीं पड़ता है।

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