Reliance ने करीं 67,195 करोड़ की डील्स, अब मिला ग्रोथ का नया इंजन

लॉकडाउन के दौरान रिलाएंस ने वाकई में एक बड़ा हाथ मारा है। इस दौरान रिलाएंस ने कई डील्स किए। जिनके जरिये रिलाएंस को करीब 67,195 करोड़ रुपये का निवेश मिला है।

Update: 2020-05-21 10:51 GMT

वैसे तो लॉकडाउन में अधिकतर कंपनियों को घाटा ही हुआ है। क्योंकि लॉकडाउन में अधिकतर व्यापार और उद्योग बंद ही रहे। जिसके चलते सारी बड़ी से छोटी सभी कंपनियों को लॉस ही उठाना पड़ा। लेकिन बिजनेस करना कोई एशिया के सबसे अमीर भारतीय और रिलाएंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी से सीखे। जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान भी अपनी कंपनी का भविष्य निखार लिय। अंबानी ने लॉकडाउन के बीच कुछ ही हफ्तों के भीतर फेसबुक, जनरल अटलांटिक, सिल्वर लेक और विस्टा इक्विटी पार्टनर जैसी चार विदेशी कंपनियों से सौदे किए हैं। जिसके चलते अब न्यू कॉमर्स के रूप में रिलाएंस को अपनी ग्रोथ का नया साधन और इंजन मिल गया है।

रिलाएंस को मिलेगा लाभ

इस लॉकडाउन के दौरान रिलाएंस ने वाकई में एक बड़ा हाथ मारा है। इस दौरान रिलाएंस ने कई डील्स किए। जिनके जरिये रिलाएंस को करीब 67,195 करोड़ रुपये का निवेश मिला है। ऐसे में रिलाएंस को इन डील्स से काफी फायदा हुआ है। इन डील्स का एक बड़ा हिस्सा रिलायंस का कर्ज चुकाने में लगाया जाएगा। इन डील्स की मदद से रिलाएंस की ग्रोथ न्यू कॉमर्स के जरिये आगे बढ़ेगी। जो करीब 700 अरब डॉलर यानी 52,50,000 करोड़ रुपये है। रिलाएंस ने अपने 'न्यू कॉमर्स' वेंचर की स्थापना जुलाई 2018 में की थी। इसकी स्थापना के दौरान मुकेश अंबानी ने कहा था कि इसमें भारत के खुदरा कारोबार को नई परिभाषा देने की क्षमता है और यह अगले वर्षों में रिलायंस के लिए नया ग्रोथ इंजन बन सकता है।

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इसके द्वारा रिलायंस डिजिटल और फिजिकल बाजार का एकीकरण करेगी और एमएसएमई, किसानों, किराना दुकानदारों के विशाल नेटवर्क का दोहन किया जाएगा। अमेरिका की दिग्गज कंपनी फेसबुक के साथ डील कर कंपनी इसके स्वामित्व वाले वॉट्सऐप की व्यापक पहुंच का फायदा उठाएगी और अपने न्यू कॉमर्स बिजनेस की गाड़ी को तेज गति प्रदान करेगी। इस दौरान हुईं इन डील्स से सिर्फ रिलाएंस को ही फायदा नहीं होगा। बल्कि इन सौदों में उनके ग्लोबल पार्टनर्स को भी फायदा है। फेसबुक को भारत में रिलायंस के व्यापक नेटवर्क और संपर्क का फायदा मिलेगा और वह अपने कई प्रोजेक्ट के लिए नियामकीय सहयोग इस तरह से हासिल कर पाएगी।

रिलाएंस को टेक कंपनियों में दिख रहा भविष्य

मुकेश अंबानी की रिलाएंस इंडस्ट्रीज जियो को सिर्फ टेलीकॉम ऑपेरटर नहीं बल्कि एक डिजिटल कंपनी के रूप में विकसित कर रही है। मुकेश अंबानी रिलायंस को अब एनर्जी फोकस वाली कंपनी बनाए रखने की जगह विविधता वाली कंपनी बनाने पर जोर दे रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने साल 2006 में खुदरा कारोबार और 2010 में टेलीकॉम कारोबार में प्रवेश किया था। इन सौदों के जरिये रिलाएंस का जियो का भविष्य तो काफी मजबूत दिखाई दे रहा है। ऐसा लग रहा है कि रिलाएंस को अब अपना भविष्य शायद टेक कंपनियों में दिख रहा है।

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रिलायंस के सीएफओ आलोक अग्रवाल ने एक बार कहा था कि दुनिया में 3 बड़ी टेक कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1 ट्रिलियन डॉलर है, दूसरी तरफ सभी एनर्जी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण मिलाकर भी 600 अरब डॉलर के पार नहीं हो पाया है। इसलिए निवेशक अब एमेजॉन, ऐपल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक-कंज्यूमर कंपनियों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। जियो प्लेटफॉर्म्स भी इसी दिशा में बढ़ रही है, हालांकि अभी उसे काफी लंबी यात्रा करनी है।

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