Wealth Report India: देश की आधी दौलत एक फीसदी अमीरों के हाथों में, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Wealth Report India: विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के पहले दिन अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट का भारत संबंधी हिस्सा जारी करते हुए, ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने ये आंकड़े बताए हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-01-16 11:29 IST

देश की आधी दौलत एक फीसदी अमीरों के हाथों में (photo: social media )

Wealth Report India: हमारे देश में अमीर-गरीब के बीच की खाई इतनी चौड़ी है कि उसका अंदाज़ा भी डराने और निराश करने वाला है। रईसों के पास कितनी दौलत है इसका अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि सिर्फ एक फीसदी सुपर अमीरों के पास भारत की 40 फीसदी दौलत है। तस्वीर का दूसरा पहलू परेशान करने वाला है क्योंकि देश की आधी आबादी के हिस्से में सिर्फ तीन फीसदी संपत्ति है।

ऑक्सफैम की रिपोर्ट

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के पहले दिन अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट का भारत संबंधी हिस्सा जारी करते हुए, ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने ये आंकड़े बताए हैं।

रोजाना बढ़ी हजारों करोड़ की दौलत

ऑक्सफैम ने कहा कि जब से महामारी शुरू हुई तबसे नवंबर 2022 तक भारत में अरबपतियों की संपत्ति में वास्तविक रूप से 121 प्रतिशत या 3,608 करोड़ रुपये प्रति दिन की वृद्धि हुई है। ऑक्सफैम ने कहा है कि भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई। भारत के 100 सबसे धनी लोगों की संयुक्त संपत्ति 660 अरब डॉलर (54.12 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गई है। यह राशि 18 महीने से अधिक के पूरे केंद्रीय बजट को फंड दे सकती है।

गरीबों का जीएसटी

ये भी हैरान करने वाली बात है कि जीएसटी का लाखों करोड़ रुपया देश की आम गरीब जनता की जेब से आता है। 2021-22 में जीएसटी में जमा हुए कुल 14.83 लाख करोड़ रुपये का लगभग 64 प्रतिशत देश की सबसे नीचे वाली 50 फीसदी आबादी से मिला। दूसरी ओर टॉप 10 अमीरों का योगदान मात्र 3 फीसदी था।

थोड़ा सा टैक्स और बड़े बड़े फायदे

'सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के अरबपतियों पर उनकी पूरी संपत्ति पर 2 फीसदी की दर से एक बार कर लगाया जाता है, तो इससे देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के पोषण के लिए 40,423 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।

- यही नहीं, भारत के दस सबसे अमीरों पर 5 प्रतिशत कर लगाने से सभी बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है।

- रिपोर्ट में कहा गया है कि - सिर्फ एक अरबपति, गौतम अडानी पर 2017-2021 से अप्राप्त लाभ पर एकमुश्त टैक्स लगाने से 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते थे, जो एक साल के लिए पांच मिलियन से अधिक भारतीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को रोजगार देने के लिए पर्याप्त था।

- देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों पर 5 प्रतिशत का एक बार का टैक्स लगा दिया जाए तो उससे 1.37 लाख करोड़ रुपये मिल जाएंगे। ये रकम वर्ष 2022-23 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (86,200 करोड़ रुपये) और आयुष मंत्रालय (3050 करोड़ रुपये) द्वारा अनुमानित धन से 1.5 गुना अधिक है।

- टॉप 100 भारतीय अरबपतियों पर 2.5 प्रतिशत कर लगाने या टॉप 10 भारतीय अरबपतियों पर 5 प्रतिशत कर लगाने से बच्चों को स्कूल में वापस लाने के लिए आवश्यक पूरी राशि मिल जाएगी।

लैंगिक असमानता

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में भारत की लैंगिक असमानता के बारे में कहा गया है कि महिला श्रमिकों को एक पुरुष श्रमिक द्वारा कमाए गए प्रत्येक 1 रुपये की तुलना में सिर्फ 63 पैसे मिलते हैं। ये अंतर अनुसूचित जाति और ग्रामीण श्रमिकों के लिए और भी अधिक है। शहरी आय की तुलना में 2018 - 19 में जहां एससी समूह ने 55 फीसदी अर्जित किया वहीं ग्रामीण श्रमिकों ने आधा ही पाया।

रिपोर्ट का आधार

ऑक्सफैम ने कहा है कि उसकी रिपोर्ट भारत में असमानता के प्रभाव का पता लगाने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक जानकारी का मिश्रण है। देश में धन असमानता और अरबपतियों की संपत्ति को देखने के लिए फोर्ब्स और क्रेडिट सुइस जैसे स्रोतों का उपयोग किया गया है। जबकि एनएसएस, केंद्रीय बजट दस्तावेज, संसदीय प्रश्न आदि जैसे सरकारी स्रोतों का उपयोग रिपोर्ट के माध्यम से किए गए तर्कों की पुष्टि करने के लिए किया गया है।

हाशिये पर जनता

ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा है कि - "देश के हाशिए पर - दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक एक ऐसे सिस्टम में पीड़ित हैं जो सबसे अमीर लोगों के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है। गरीब अधिक करों का भुगतान कर रहे हैं, अमीरों की तुलना में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं। समय आ गया है कि अमीरों पर कर लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने उचित हिस्से का भुगतान करें।"

बेहर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से वेल्थ टैक्स और उत्तराधिकार कर जैसे प्रगतिशील कर उपायों को लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये उपाय असमानता से निपटने में ऐतिहासिक रूप से प्रभावी साबित हुए हैं।

2021 में फाइट इनइक्वलिटी एलायंस इंडिया (एफआईए इंडिया) द्वारा एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, ऑक्सफैम ने कहा कि यह पाया गया कि भारत में 80 प्रतिशत से अधिक लोग अमीरों और निगमों पर कर का समर्थन करते हैं जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान रिकॉर्ड मुनाफा कमाया। इसमें कहा गया है कि "90 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य के अधिकार और लिंग आधारित हिंसा को रोकने के लिए बजट के विस्तार जैसे असमानता से निपटने के लिए बजट उपायों की मांग की है।"

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