Rohingya Issue: हरदीप पुरी ने नहीं हटाया अपना ट्वीट, सरकार के दो विभागों में संवाद की कमी या अहम बड़ा
Rohingya Issue: रोहिंग्या शरणार्थी के मुद्दे पर मोदी सरकार की तरफ से दो बयान आए और दोनों बिल्कुल एक दूसरे के विपरीत थे। लिहाजा इस पर बवाल मचना तय था और मचा भी।
Rohingya Issue: देश की राजनीति में रोहिग्या शरणार्थियों का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। अभी तक इस मुद्दे का जिक्र अमूमन चुनावों के समय भारतीय जनता पार्टी द्वारा की जाती थी लेकिन बुधवार को इस मुद्दे को लेकर ऐसा हुआ कि भगवा परिवार के अंदर ही घमासन मच गया। रोहिंग्या शरणार्थी के मुद्दे पर मोदी सरकार की तरफ से दो बयान आए और दोनों बिल्कुल एक दूसरे के विपरीत थे। लिहाजा इस पर बवाल मचना तय था और मचा भी। विपक्ष तो छोड़िए संघ परिवार के संगठनों ने ही सरकार के खिलाफ हमले शुरू कर दिए।
दरअसल ये पूरा विवाद केंद्रीय शहरी विकास एवं पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के उस ट्वीट के बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए रहने के दुरूस्त इंतजाम करने की बात कही थी। फिर क्या था बांग्लादेशी घुसपैठियों को दीमक और रोहिंग्या शरणार्थियों को किसी भी कीमत पर भारत में नहीं रहने देने की बात करने वाले दक्षिणपंथी नेता और संगठन केंद्रीय मंत्री की बात पर आगबबूला हो गए। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिति को संभाला और रोहिंग्या शरणार्थियों को आवास मुहैया कराए जाने वाले खबरों का खंडन किया। लेकिन तब तक सरकार की फजीहत हो चुकी थी।
कैसे शुरू हुआ बवाल
बुधवार सुबह साढ़े सात बजे केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर लिखा, भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उन्हें बुनियादी सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और चौबीसों घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके बाद उन्होंने अपने अगले ट्वीट में सीएए प्रोटेस्ट के दौरान सरकार के विरूद्ध लिखने वाले पत्रकारों को निशाने पर लेते हुए कहा, जिन लोगों ने भारत की शरणार्थी नीति को जानबूझकर CAA से जोड़ने पर अफवाह फैलाकर करियर बनाया, वे निराश होंगे। भारत संयुक्त राष्ट्र के रिफ्यूजी कन्वेंशन 1951 को मानता है और रंग, धर्म और जाति के बिना जिसे भी जरूरत है उसे शरण देता है।
अपनों के निशाने पर आ गए पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का ये ट्वीट बैकफायर कर गया। भले उनकी मंशा इसके जरिए मीडिया के उस सेक्शन को निशाने पर लेना था,जो सीएए को लेकर सरकार के खिलाफ काफी कुछ भला – बुरा कहते थे और लिखते थे। लेकिन कल रोहिंग्या शरणार्थियों को आवास मुहैया कराने की उनकी बात ने उनकी पार्टी के विचारधारा को मानने वाले लोगों को नाराज कर दिया। वह खुद सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल हुए। दिल्ली में सरकार चलाने वाले आम आदमी पार्टी ने भी उनपर निशाना साधा और कहा कि इसे दिल्ली की जनता मंजूर नहीं करेगी। लेकिन विपक्षी दलों से अधिक इन्हें अपने घर के लोगों ने ही घेरा।
वीएचपी ने जताई थी नाराजगी
विश्व हिंदू परिषद ने रोहिंग्याओं को दिल्ली में आवास मुहैया कराने की बात पर कड़ी आपत्ति जाहिर की। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पाकिस्तान से भारत आए हिंदू शरणार्थी आज भी अमानवीय स्थिति में रह रहे हैं। उनके पास कोई बुनियादी सुविधा नहीं है। और सरकार दूसरी ओर रोहिंग्याओं को घर और सुरक्षा देने की बात हो रही है। इस फैसले ने हमारे दर्द को और बढ़ा दिया है। वीएचपी नेता ने रोहिग्याओं को देश से बाहर करने की मांग करते हुए केंद्रीय मंत्री पुरी को अमित शाह का वह बयान याद दिलवाया जिसमें उन्होंने रोहिंग्याओं को शरणार्थी नहीं घुसपैठिया बताया था।
गृह मंत्रालय ने तुरंत दी सफाई
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के ट्वीट पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सफाई देने में देरी नहीं लगाई। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में पुरी की बातों का खंडन करते हुए कहा गया कि रोहिंग्या घुसपैठिए को फ्लैट नहीं दिए जाएंगे, उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। जहां से उन्हें उनके देश में निर्वासित किया जाएगा। इसकी कानूनी प्रक्रिया पर काम चल रहा है।
पुरी ने भी दी सफाई
गृह मंत्रालय के बयान के बाद बैकफुट पर आए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सफाई देते हुए कहा कि रोहिंग्या अवैध विदेशियों के मुद्दे के संबंध में गृह मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति सही स्थिति बताती है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि रोहिंग्या के मुद्दे पर उनका बयान गलत था तो उन्होंने अपना पुराना ट्वीट डिलीट क्यों नहीं किया। पुरी मोदी सरकार में एक कद्दावर मंत्री हैं। उनके पास शहरी विकास और पेट्रोलियम जैसे दो अहम विभाग हैं। डिप्लोमैट से नेता बने हरदीप सिंह पुरी एक सिख चेहरा होने के नाते सरकर में काफी मायने भी रखते हैं। इसलिए कुछ सियासी जानकार इसे अहम की लड़ाई से जोड़कर भी देखते हैं। खैर, इस प्रकरण ने मोदी सरकार के शीर्ष स्तर पर तालमेल में कमी को भी उजागर किया है। रोहिंग्या जैसे विचाराधारा से जुड़े मुद्दे पर सरकार में दो राय होना, कोई मामूली बात नहीं है क्योंकि ये सरकार विचारधारा से जुड़े मुद्दों को सबसे अधिक प्राथमिकता देती है।
शाह ने हमेशा से रोहिग्याओं के खिलाफ लिया है सख्त लाइन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद से लेकर चुनावी रैलियों तक में देश में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए काफी सख्त लहजे का इस्तेमाल किया है। साल 2019 में संसद में सीएए पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत बतौर नागरिक कभी स्वीकार नहीं करेगा। रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के रास्ते भारत में आ जाते हैं। शाह ने आगे कहा था, रोहिंग्या शरणार्थी नहीं बल्कि घुसपैठिये हैं। इसके बाद इसी साल उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने एक चुनावी सभा में रोहिंग्याओं को देश से निकालने की बात कही थी।
कौन हैं रोहिंग्या और भारत में कितना है इनकी आबादी
इतिहासकारों के मुताबिक, ब्रिटिश शासन के दौरान आज के बांग्लादेश और तब के बंगाल से बड़ी संख्या में मुसलमान मजदूरों को बर्मा (म्यांमार) के रखाइन प्रांत ले जाया गया था। धीरे – धीरे रखाइन में मुस्लिमों की आबादी बढ़ती गई। बाद में इसी मुस्लिम आबादी को रोहिंग्या कहा जाने लगा। साल 1948 में आजादी हासिल करने के बाद म्यांमार मं बहुसंख्यक बौद्ध और अल्पसंख्यक मुस्लिमों में दंगे शुरू हो गए। साल 1982 में म्यांमार की मिलिट्री तानाशाही ने रोहिंग्या मुसलमानों से नागरिक का दर्जा छिन लिया। इसके बाद इनकी स्थिति वहां बदतर हो गई। ये स्टेटलेस जातीय समुह बन गए। साल 2012 में सेना और रोहिंग्या चरमपंथी गुटों के बीच भयानक हिंसा ने उन्हें यहां से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। जो आज तक जारी है। सबसे अधिक रोहिंग्या मुसलमान 13 लाख के करीब पड़ोसी देश बांग्लादेश में रहते हैं। भारत में इनकी आबादी करीब 40 हजार है।